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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रथम राष्ट्रीय समय सारणी अध्ययन

  • 06 Aug 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

वित्‍त मंत्रालय का राजस्‍व विभाग वैश्विक व्‍यापार बढ़ाने की अपनी रणनीतिक प्रतिबद्धता के तहत 1 से 7 अगस्‍त के बीच भारत का प्रथम राष्‍ट्रीय ‘टाइम रिलीज स्‍टडी’ अथवा समय सारणी अध्ययन [India’s first national Time Release Study (TRS)] कराएगा।

टाइम रिलीज स्‍टडी क्या है?

  • TRS दरअसल अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मान्‍यता प्राप्‍त एक साधन (टूल) है जिसका उपयोग अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार के प्रवाह की दक्षता एवं प्रभावकारिता मापने के लिये किया जाता है और इसकी वकालत विश्‍व सीमा शुल्‍क संगठन ने की है।
  • उत्‍तरदा‍यी गवर्नेंस से जुड़ी इस पहल के ज़रिये कार्गो यानी माल के आगमन से लेकर इसे भौतिक रूप से जारी करने तक वस्‍तुओं की मंज़ूरी के मार्ग में मौजूद नियम आधारित और प्रक्रियागत बाधाओं (विभिन्‍न टच प्‍वाइंट सहित) को मापा जाएगा।
  • इसका मुख्‍य उद्देश्‍य व्‍यापार प्रवाह के मार्ग में मौजूद बाधाओं की पहचान करना एवं उन्‍हें दूर करना है।
  • इसके साथ ही प्रभावशाली व्‍यापार नियंत्रण से कोई भी समझौता किये बगैर सीमा संबंधी प्रक्रियाओं की प्रभावकारिता एवं दक्षता बढ़ाने के लिये आवश्‍यक संबंधित नीतिगत एवं क्रियाशील उपाय करना है।

TRS के लाभ

  • इस पहल से भारत को ‘कारोबार में सुगमता’ विशेषकर सीमा पार व्‍यापार संकेतक के मामले में अपनी बढत को बरकरार रखने में मदद मिलेगी जो सीमा पार व्‍यापार की व्‍यवस्‍था की दक्षता को मापता है।
  • पिछले वर्ष इस संकेतक से जुड़ी भारत की रैंकिंग 146वीं से सुधरकर 80वीं हो गई।
  • इस पहल के अपेक्षित लाभार्थी निर्यात उन्‍मुख उद्योग और सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम (MSMEs) होंगे जो तुलनीय अंतरराष्‍ट्रीय मानकों के साथ भारतीय प्रक्रियाओं के और अधिक मानकीकरण से लाभ उठाएंगे।
  • राष्‍ट्रीय स्‍तर पर किये जाने वाले TRS ने इसे एक कदम और आगे बढ़ा दिया है तथा एकसमान एवं बहुआयामी क्रिया विधि विकसित की है जो कार्गो मंज़ूरी प्रक्रिया के नियामकीय एवं लॉजिस्टिक्‍स पहलुओं को मापती है और वस्‍तुओं के लिये औसत रिलीज़ टाइम को प्रमाणित करती है।

अन्य प्रमुख बिंदु

  • यह अध्‍ययन एक ही समय में 15 बंदरगाहों पर कराया जाएगा जिनमें समुद्री, हवाई, भूमि एवं शुष्‍क बंदरगाह शामिल हैं और जिनका आयात संबंधी कुल प्रवेश बिलों (बिल ऑफ एंट्री) में 81 प्रतिशत और भारत के अंदर दाखिल किये जाने वाले निर्यात संबंधी शिपिंग बिलों में 67 प्रतिशत हिस्‍सेदारी होती है।
  • राष्‍ट्रीय स्‍तर वाला TRS आधारभूत प्रदर्शन माप को स्‍थापित स्‍थापित करेगा और इसके तहत सभी बंदरगाहों पर मानकीकृत परिचालन एवं प्रक्रियाएँ होंगी।
  • TRS के निष्‍कर्षों के आधार पर सीमा पार व्‍यापार से जुड़ी सरकारी एजेंसियाँ उन मौजूदा एवं संभावित बाधाओं को पहचानने में समर्थ हो जाएंगी जो व्‍यापार के मुक्‍त प्रवाह के मार्ग में अवरोध साबित होती हैं।
  • इसके साथ ही ये सरकारी एजेंसियाँ माल या कार्गो जारी करने के समय को घटाने के लिये आवश्‍यक सुधारात्‍मक कदम भी उठाएंगी। यह पहल केंद्रीय अप्रत्‍यक्ष कर एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड की अगुवाई में हो रही है।

स्रोत: pib

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