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शासन व्यवस्था

COVID- 19 फंड के तहत राज्यों को 15,000 करोड़ रुपए

  • 10 Apr 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

COVID- 19 आपातकालीन निधि 

मेन्स के लिये:

महामारी प्रबंधन के लिये रणनीति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘भारत COVID-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया तथा स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी पैकेज’ (India COVID-19 Emergency Response and Health System Preparedness Package) नामक प्रोज़ेक्ट के तहत राज्यों के लिये 15,000 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी है।

मुख्य बिंदु:

  • यह राशि ‘मिशन मोड दृष्टिकोण’ (Mission Mode Approach) के तहत 100% केंद्र पोषित योजना के तहत प्रदान की जाएगी।
  • इस राशि में से 7774 करोड़ रुपए COVID- 19 महामारी के प्रति तत्काल आपातकालीन अनुक्रिया के लिये तथा शेष राशि मध्यम अवधि की सहायता (1-4 वर्ष) के रूप में दी जाएगी।

‘मिशन मोड दृष्टिकोण’ (Mission Mode Approach- ):

  • मिशन मोड परियोजनाओं का तात्पर्य ऐसी परियोजनाओं से होता है जिनमें स्पष्ट रूप से परिभाषित उद्देश्य, लक्ष्य होते हैं।  
  • इस परियोजनाओं को एक तय समय सीमा में पूरा करना होता है तथा प्राप्त किये गए लक्ष्यों के परिणामों के मापन के स्पष्ट मानक होते हैं।

प्रोज़ेक्ट के चरण: 

  • प्रोज़ेक्ट तीन चरणों में लागू किया जाएगा:
    • प्रथम चरण, जनवरी 202O से जून 2020 तक
    • द्वितीय चरण, जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक  
    • तृतीय चरण, अप्रैल 2021 से मार्च 2024 तक 

पैकेज के उद्देश्य:

  • डायग्नोस्टिक्स तथा समर्पित उपचार सुविधाओं के विकास के माध्यम से भारत में COVID-19 महामारी के प्रसार को धीमा तथा सीमित करना।
  • संक्रमित रोगियों के उपचार के लिये आवश्यक चिकित्सा उपकरणों तथा दवाओं खरीद में इस धन का उपयोग करना। 
  • भविष्य के लिये ऐसी महामारियों की रोकथाम तथा तैयारियों की दिशा में स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करना।
  • जैव-सुरक्षा तैयारी, महामारी अनुसंधान तथा संचार गतिविधियों को मज़बूत करना। 
  • परिस्थितियों के अनुसार पैकेज से संबंधित विभिन्न घटक इकाइयों तथा कार्यान्वयन एजेंसियों के मध्य समन्वय स्थापित करना।

पैकेज के लाभ:

  • COVID- 19 महामारी के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिये आवश्यक, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment- PPE), आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर आदि उपकरण खरीदने में मदद मिलेगी।
  • व्यय की प्रमुख हिस्सेदारी का उपयोग मज़बूत आपातकालीन अनुक्रिया को बढ़ाने, महामारी अनुसंधान को मज़बूत करने, सामुदायिक सहभागिता और जोखिम संचार एवं कार्यान्वयन, प्रबंधन, क्षमता निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन घटक के लिये किया जा सकेगा।

स्रोत: द हिंदू

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