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शासन व्यवस्था

शासन में जवाबदेही

  • 18 May 2020
  • 24 min read

जवाबदेही सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों और उनके द्वारा लिये गए निर्णयों की समीक्षा की जाए ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि सरकार की पहलें उनके घोषित उद्देश्यों को पूरा कर रही हैं अथवा नहीं और जिस समुदाय को वे लाभान्वित करने का लक्ष्य रखती हैं, उन्हें लाभ पहुँचा रही हैं या नहीं तथा बेहतर प्रशासन एवं  निर्धनता उन्मूलन में योगदान कर रही हैं अथवा नहीं ।

जवाबदेही सुशासन के प्रमुख आधारों में से एक है। हालाँकि विद्वानों और पेशेवरों, दोनों के लिये जवाबदेही के विभिन्न प्रकारों का मार्गदर्शन करना कठिन कार्य हो सकता है। हाल ही में शैक्षणिक और विकास समुदायों, दोनों के अंदर जवाबदेही के विभिन्न प्रकारों के संबंध में विमर्श ने ज़ोर पकड़ा है। यह लेख जवाबदेही के विभिन्न प्रकारों की परिभाषा और तात्पर्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्तमान में जारी विमर्श को रेखांकित करता है और उस प्रमुख भूमिका पर विचार करता है जिसका निर्वहन विधायिका जवाबदेही सुनिश्चित करने में करती है।

जवाबदेही क्या है?

  • जवाबदेही की धारणा एक अस्पष्ट अवधारणा है जिसे सटीक शब्दों में परिभाषित करना कठिन है। हालाँकि मोटे तौर पर कहा जाए तो जवाबदेही तब होती है जब किसी एक व्यक्ति या निकाय और उस व्यक्ति या निकाय द्वारा किये गए कार्यों का किसी अन्य व्यक्ति या निकाय द्वारा निरीक्षण अथवा समीक्षा की जाती है और वे उनके कृत्यों के औचित्य से उन्हें अवगत कराते है।
  • इस प्रकार जवाबदेही की अवधारणा में दो विशिष्ट चरण शामिल हैं: उत्तरदायित्त्व (Answerability) और प्रवर्तन (Enforcement)।
    • उत्तरदायित्त्व से तात्पर्य सरकार, उसकी एजेंसियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने निर्णयों और कार्यों के संबंध में जानकारी प्रदान करना और जनता एवं निरीक्षण/निगरानी का कार्य करने वाली जवाबदेही संस्थाओं के समक्ष इन निर्णयों व कार्यों के औचित्य को प्रकट करना है।
    • प्रवर्तन से तात्पर्य यह है कि जनता या जवाबदेही के लिये ज़िम्मेदार संस्थाएँ उल्लंघनकर्त्ता पक्ष का अनुमोदन कर सकती हैं या उल्लंघनकारी व्यवहार का उपचार कर सकती हैं।
  • जवाबदेही की विभिन्न संस्थाएँ इन दोनों चरणों में से किसी एक के लिये या दोनों चरणों के लिये ज़िम्मेदार हो सकती हैं।

शासन के लिये जवाबदेही महत्वपूर्ण क्यों है?

  • सार्वजनिक अधिकारियों या निकायों की विद्यमान प्रभावशीलता का मूल्यांकन यह सुनिश्चित करता है कि-
    • वे अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं।
    • सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति में सार्थक व्यय हो रहा है।
    • सरकार के प्रति विश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं।
    • उस समुदाय के प्रति उत्तरदायी हैं जिनकी सेवा करना उनका कर्त्तव्य है।

जवाबदेही के प्रकार 

जवाबदेही की अवधारणा को जवाबदेही के प्रकार और/या जिस व्यक्ति, समूह या संस्था के प्रति सार्वजनिक अधिकारी जवाबदेह होते हैं, के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है। जवाबदेही के विभिन्न रूपों के तत्व पर जारी वर्तमान विमर्श जवाबदेही के विरोधी रूपों के संदर्भ में सर्वोत्तम अवधारणात्मक रूप प्राप्त करता है। जवाबदेही के मुख्य रूपों को उनके विपरीत या वैकल्पिक अवधारणा के संदर्भ में नीचे वर्णित किया गया है।

क्षैतिज बनाम ऊर्ध्वाधर जवाबदेही

(Horizontal vs. Vertical Accountability)

  • प्रचलित विचार यह है कि संसद और न्यायपालिका जैसी संस्थाएँ क्षैतिज जवाबदेही सुनिश्चित करती है। यह अपेक्षाकृत स्वायत्त सत्ताओं (अर्थात् अन्य संस्थाओं) के नेटवर्क की क्षमता है जो किसी अधिकारी की ज़िम्मेदारियों के निर्वहन के अनुचित तरीके पर संदेह कर सकती है और उसे दंडित भी कर सकती हैं।
  • दूसरे शब्दों में, क्षैतिज जवाबदेही राज्य संस्थानों की वह क्षमता है कि वे अन्य सार्वजनिक एजेंसियों और सरकार की शाखाओं द्वारा प्राधिकार के दुरुपयोग की जाँच कर सकती हैं।
  • दूसरी ओर, ऊर्ध्वाधर जवाबदेही वह साधन है जिसके माध्यम से नागरिक, मास मीडिया और नागरिक समाज अधिकारियों पर अच्छे प्रदर्शन के मानकों को लागू करना चाहते हैं।
  • जबकि संसद को आमतौर पर क्षैतिज जवाबदेही के निर्माण में एक महत्त्वपूर्ण संस्था माना जाता है, यह ऊर्ध्वाधर जवाबदेही में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • नागरिक और नागरिक समाज समूह सरकार द्वारा अनुचित या अपर्याप्त कार्रवाई के मामले में शिकायतों के निवारण और हस्तक्षेप के लिये निर्वाचित प्रतिनिधियों के समर्थन की मांग कर सकते हैं।
  • इसके अलावा जन सुनवाई, समिति द्वारा जाँच और सार्वजनिक याचिका के उपयोग के माध्यम से संसद जनता की आवाज़ को एक माध्यम प्रदान कर सकती है तथा इसके माध्यम से नागरिक एवं नागरिक समूह सरकार पर सवाल उठा सकते हैं और जहाँ उपयुक्त हो, संसदीय संस्वीकृति की मांग कर सकते हैं।

राजनीतिक बनाम कानूनी जवाबदेही

(Political Vs. Legal Accountability)

  • संसद और न्यायपालिका कार्यपालिका की शक्ति पर क्षैतिज संवैधानिक नियंत्रण के रूप में कार्य करती हैं। इन दोनों संस्थाओं की भूमिका की व्याख्या इस प्रकार भी की जा सकती है कि संसद कार्यपालिका को राजनीतिक रूप से जवाबदेह बनाए रखती है, जबकि न्यायपालिका कार्यपालिका को कानूनी रूप से जवाबदेह बनाए रखती है।
  • ये वर्गीकरण इस तथ्य से उपजे हैं कि संसद एक राजनीतिक संस्था है, जबकि न्यायपालिका केवल कानूनी मुद्दों पर निर्णय ले सकती है। दोनों मिलकर निरंतर निगरानी करते हैं ताकि सरकार को उसके कार्यकाल के दौरान जवाबदेह बनाए रखा जा सके।
  • उन्हें शीर्ष अंकेक्षक संस्थाओं, भ्रष्टाचाररोधी आयोग, लोकपाल कार्यालय और मानवाधिकार संस्थाओं का भी सहयोग प्राप्त हो सकता है।
    • माध्यमिक स्तर के ये 'जवाबदेही के स्वायत्त संस्थान' (Autonomous Institutions of Accountability) आमतौर पर कार्यपालिका से स्वतंत्र स्थापित किये गए हैं।
    • शीर्ष अंकेक्षक संस्थाएँ ('वेस्टमिंस्टर संसदीय प्रणालियों में), भ्रष्टाचाररोधी आयोग और लोकपाल कार्यालय प्रायः संसद को रिपोर्ट करते हैं, जबकि फ्रेंचभाषी देशों (Francophone Countries) में शीर्ष अंकेक्षक संस्थाएँ एवं अन्य कई देशों में मानवाधिकार संस्थाओं जैसे निकाय न्यायपालिका का अंग होते हैं।
  • राजनीतिक जवाबदेही आमतौर पर मत्रियों की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी की अवधारणा के रूप में सामने  आती है, जो कि ज़िम्मेदार सरकार की अवधारणा का आधार है।

एक अन्य दर्शन: क्षैतिज बनाम ऊर्ध्वाधर जवाबदेही

  • कुछ टिप्पणीकारों की इस संबंध में व्यापक भिन्न राय है कि क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर जवाबदेही में कौन से तत्त्व शामिल होते है। क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर जवाबदेही की एक वैकल्पिक अवधारणा यह निर्धारित करने के लिये पक्षों के बीच संबंध पर निर्भर करती है कि एक पक्ष दूसरे पक्ष के ऊपर क्षैतिज या ऊर्ध्वाधर जवाबदेही का अभ्यास करता है या नहीं। कई मामलों में जहाँ एक पारंपरिक टॉप-डाउन प्रधान-अभिकर्ता संबंध (Principal-Agent Relationship) होता है (जहाँ प्रधान, अभिकर्ता या एजेंट को प्रतिनिधित्व सौंपता है), आदेश शृंखला में एजेंट अपने प्रत्यक्ष वरिष्ठों के प्रति जवाबदेह होता है और यह ऊर्ध्वाधर जवाबदेही का एक रूप होता है। उदाहरण के लिये, सार्वजनिक अधिकारी विभाग/एजेंसी के प्रति, विभाग मंत्री के प्रति, मंत्री संसद के प्रति (विशेष रूप से संसदीय प्रणालियों में) और संसद जनता के प्रति जवाबदेह होती है।
  • संसद एक प्रमुख कर्त्ता है। सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह बनाए रखने के मामले में संसद प्रधान या प्रिंसिपल की भूमिका में होती है, जबकि अधिकारी एजेंट की भूमिका में होते हैं। प्रधान के रूप में संसद एजेंटों के रूप में सरकार और उसके अधिकारियों से यह अपेक्षा रखती है कि वे उसके द्वारा अनुमोदित कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करें और इस संबंध में किये गए कार्यों के प्रति सरकार और अधिकारियों को जवाबदेह बनाए रखती है।
  • संसद एक एजेंट भी है, जहाँ निर्वाचक (प्रधान के रूप में) विधि निर्माताओं (Legislators) को विधि के निर्माण के लिये और उनकी ओर से सरकार के कार्यों की निगरानी करने के लिये चुनते हैं। निर्वाचक फिर चुनाव के समय विधि निर्माताओं की जवाबदेही का परीक्षण करते हैं। कुछ अन्य व्यवस्थाओं में 'वापस बुलाने' (Recall) के विकल्प का प्रयोग किया जाता है जहाँ जवाबदेही में विफल रहे निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाया जा सकता है और उनकी जगह किसी और को निर्वाचित किया जा सकता है।
  • प्रत्यक्ष प्रिंसिपल-एजेंट संबंध की अनुपस्थिति जवाबदेही संबंध को क्षैतिज जवाबदेही या सामाजिक जवाबदेही में पदावनत कर देती है। सामाजिक या क्षैतिज जवाबदेही होने के लिये आमतौर पर कर्त्ता और फोरम के बीच एक पदानुक्रमित संबंध का अभाव होता है और न ही जवाबदेही सुनिश्चित करने का कोई औपचारिक दायित्व होता है।

सामाजिक जवाबदेही (Social Accountability)

  • सामाजिक जवाबदेही के संबंध में प्रचलित दृष्टिकोण यह है कि यह जवाबदेही निर्माण का ऐसा दृष्टिकोण है जो कि नागरिक सहभागिता पर आधारित है अर्थात् ऐसी स्थिति जहाँ आम नागरिक और/या सिविल सोसायटी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जवाबदेही सुनिश्चित करने में भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। इस तरह की जवाबदेही को कभी-कभी समाज संचालित क्षैतिज जवाबदेही (Society Driven Horizontal Accountability) के रूप में संदर्भित किया जाता है।
  • 'सामाजिक जवाबदेही' शब्द का अभिप्राय किसी विशेष प्रकार की जवाबदेही को संदर्भित करना नहीं है, बल्कि यह जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये एक विशेष दृष्टिकोण (या उपायों की एक शृंखला) से संबंधित है। सामाजिक जवाबदेही के तंत्र का राज्य और नागरिकों या दोनों द्वारा सूत्रपात और समर्थन किया जा सकता है, लेकिन प्रायः वे मांग-प्रेरित होते हैं  और नीचे से ऊपर (बॉटम-अप) की ओर दृष्टिकोण से कार्यान्वित होते हैं।
  • यह आमतौर पर स्वीकार किया जाता है कि सामाजिक जवाबदेही तंत्र ऊर्ध्वाधर जवाबदेही का एक उदाहरण है। हालाँकि कुछ टिप्पणीकारों का तर्क है कि सामाजिक जवाबदेही के संबंध में कर्त्ता और फोरम के बीच एक पदानुक्रमिक संबंध का अभाव होता है जिससे इसमें जवाबदेही सुनिश्चित करने का कोई औपचारिक दायित्व नहीं है। विभिन्न हितधारकों को जवाबदेही सौंपना मूल रूप से स्वैच्छिक आधार पर होता है जिसमें प्रधान (प्रिंसिपल) का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। इस प्रकार सामाजिक जवाबदेही को क्षैतिज जवाबदेही का एक रूप कहा जा सकता है।
  • सामाजिक जवाबदेही की पहलों में वैसी विविधता और भिन्नता देखने को मिलती है जैसी भागीदारीपूर्ण बजट निर्माण (Participatory Budgeting), प्रशासनिक प्रक्रियाओं और अधिनियमों, सामाजिक ऑडिट आदि में देखने को मिलती है जहाँ सरकार की निगरानी और नियंत्रण में नागरिकों की सहभागिता होती है। यह सरकारी पहल या इकाइयों से विपरीत हो सकती है, जैसे कि नागरिक सलाहकार बोर्ड जो सार्वजनिक कार्यों को पूरा करते हैं।
  • सामाजिक जवाबदेही के विचारों में एक जिस बात की प्रायः अनदेखी की जाती है, वह है विधि निर्माताओं की भूमिका जो वे ऐसे ज़मीनी जवाबदेही तंत्रों की महत्ता बढ़ाने में निभा सकते हैं। उदाहरण के लिये, संसद का कोई सदस्य संसद में प्रश्नकाल के दौरान किसी मंत्री से सवाल करके या किसी सरकारी मंत्रालय या विभाग से प्रत्यक्ष सूचनाओं का अनुरोध करके अपने निर्वाचकों की चिंताओं का प्रतिनिधित्व कर सकता है।

विकर्ण जवाबदेही (Diagonal Accountability) 

  • विकर्ण जवाबदेही ऊर्ध्वाधर जवाबदेही के कर्त्ताओं को शामिल करती है। सामान्य रूप से विकर्ण जवाबदेही नागरिकों को क्षैतिज जवाबदेही संस्थाओं के कार्यकलाप में प्रत्यक्ष रूप से शामिल करने का प्रयास करती है। यह राज्य द्वारा सरकारी कार्यकारी निरीक्षण की ज़िम्मेदारी पर एकाधिकार को तोड़कर नागरिक समाज के निगरानी कार्य की सीमित प्रभावशीलता को बढ़ाने का एक प्रयास है।
  • विकर्ण जवाबदेही के मुख्य सिद्धांत: 
    1. क्षैतिज जवाबदेही तंत्र में भागीदारी - सामुदायिक पैरोकार या कार्यकर्ता (Community Advocates) विकर्ण जवाबदेही के लिये विशिष्ट व पृथक संस्थान बनाने के बजाय क्षैतिज जवाबदेही की संस्थाओं में भागीदारी करते हैं।
    2. सूचना प्रवाह - सामुदायिक पैरोकारों को सरकारी कार्यों के बारे में सूचनाओं तक पहुँच बनाने का अवसर दिया जाता है जो सामान्य रूप से क्षैतिज स्तर तक सीमित होगी, उदाहरण के लिये आंतरिक प्रदर्शन समीक्षा आदि। सामुदायिक पैरोकार जवाबदेही प्रक्रिया के संबंध में सरकारी एजेंसी के प्रदर्शन के बारे में प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध कराते हैं।  
    3. जवाब देने के लिये अधिकारियों को बाध्य करना - सामुदायिक पैरोकार किसी सरकारी एजेंसी को सवालों के जवाब देने हेतु बाध्य करने के लिये क्षैतिज जवाबदेही संस्थान के प्राधिकार का सहयोजन करते हैं (जैसे सांसद द्वारा निर्वाचकों के मुद्दे के संबंध में मंत्री से सवाल पूछा जाता है)।
    4. संस्वीकृति की क्षमता - सामुदायिक पैरोकार निष्कर्षों के प्रवर्तन या निर्वाचित अधिकारियों को प्रभावित करने के लिये क्षैतिज जवाबदेही संस्था का प्राधिकार ग्रहण कर लेते हैं।
  • कुछ लोगों का तर्क है कि सिविल सोसाइटी मौजूदा एजेंसियों पर अपना कार्य अधिक प्रभावी ढंग से करने के लिये दबाव बनाकर क्षैतिज जवाबदेही संस्थाओं की प्रभावशीलता को सशक्त कर सकती है।
    • जवाबदेही में इस प्रकार की भागीदारी कदाचार या गलत कार्य के विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्रवाई नहीं है, जैसा ऊर्ध्वाधर जवाबदेही के साथ होता है, बल्कि समाज-प्रेरित क्षैतिज जवाबदेही है (जैसे नागरिक सलाहकार बोर्ड जो सरकारी व्यय के लेखा परीक्षण या सरकारी खरीद के पर्यवेक्षण जैसे सार्वजनिक कार्य की पूर्ति करता है)।
    • सामान्य रूप से सक्रिय नागरिक और नागरिक समाज समूह निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ मिलकर संसद की प्रतिनिधिकारी भूमिका के संवर्द्धन का प्रयास कर सकते हैं।
  • टिप्पणीकारों का एक अल्पसंख्यक समूह विकर्ण जवाबदेही के संघटकों को लेकर भिन्न राय रखता है। कुछ टिप्पणीकार मुख्य रूप से अर्द्ध-कानूनी मंचों (जैसे लोकपाल, लेखा परीक्षक और स्वतंत्र निरीक्षक जो संसद या ज़िम्मेदार मंत्री को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रिपोर्ट करते हैं) के माध्यम से प्रशासनिक जवाबदेही (Administrative Accountability) का सुझाव देते हैं, जो स्वतंत्र व बाह्य प्रशासनिक व वित्तीय निगरानी व नियंत्रण का एक रूप है। जवाबदेही का यह रूप पारंपरिक टॉप-डाउन/प्रिंसिपल-एजेंट संबंधों से भिन्न है क्योंकि प्रशासनिक जवाबदेही संस्था सार्वजनिक अधिकारियों के साथ पदानुक्रमिक संबंध में नहीं होती है और प्रायः उसके पास सार्वजनिक अधिकारियों को अनुपालन के लिये बाध्य करने की औपचारिक शक्तियाँ नहीं होती हैं। यह तर्क दिया जाता है कि ये प्रशासनिक एजेंट जवाबदेही के सहायक मंच हैं जो राजनीतिक प्रधानों को प्रशासनिक एजेंटों की भारी विविधता को नियंत्रित करने में मदद करने के लिये स्थापित किये गए थे। इस प्रकार उनका जवाबदेही संबंध विकर्ण जवाबदेही का एक रूप है।

सामाजिक जवाबदेही बनाम विकर्ण जवाबदेही

(Social Accountability Vs. Diagonal Accountability)

  • हाल ही में विश्व बैंक ने तर्क दिया कि विकर्ण जवाबदेही के तंत्र को शामिल करने के लिये सामाजिक जवाबदेही पर्याप्त है। यह भी कहा गया कि विकर्ण जवाबदेही तंत्र को सामाजिक जवाबदेही का एक रूप भी माना जा सकता है।
  • यदि यह माना जाए कि सामाजिक जवाबदेही का आशय किसी विशेष प्रकार की जवाबदेही से नहीं, बल्कि कठोर जवाबदेही के लिये एक विशेष दृष्टिकोण से है तो यह विकर्ण जवाबदेही की तुलना में एक अधिक व्यापक अवधारणा प्रकट होती है। यह इस विचार को बल प्रदान करता है कि विकर्ण जवाबदेही तंत्र सामाजिक जवाबदेही के व्यापक दृष्टिकोण का एक घटक हो सकता है।
  • हालाँकि यह विचार कुछ टिप्पणीकारों की राय के विपरीत है जो सामाजिक जवाबदेही और विकर्ण जवाबदेही के बीच एक भारी अंतर देखते हैं।
    • उनका तर्क है कि राज्य प्रायः अपने अनन्य निरीक्षण डोमेन में नागरिकों के प्रवेश का प्रतिरोधी होता है और इसके बदले सामाजिक जवाबदेही के नए रूपों को प्रोत्साहन देता है, जिन्हें वह महज एक आउटरीच (जो सिविल सोसाइटी को सरकार के व्यवहार के संबंध में लोक मान्यता से सरकार को सूचित करने का अवसर प्रदान करता है) के रूप में खारिज कर सकता है। 

निष्कर्ष

  • 'जवाबदेही की शृंखला' (Chain of Accountability) में संसद प्रमुख कर्त्ता है। न्यायपालिका के साथ वह न केवल स्वयं के अधिकार में बल्कि ऐसे संस्थान के रूप में भी जिसे कई स्वायत्त जवाबदेही संस्थान रिपोर्ट करते हैं, क्षैतिज जवाबदेही का प्रमुख संस्थान हैं। इसके माध्यम से ही राजनीतिक जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है। 
  • सामाजिक जवाबदेही और विकर्ण जवाबदेही के रूप में जवाबदेही की नई अवधारणाएँ सामने आई हैं। सामाजिक जवाबदेही को 'समाज-प्रेरित क्षैतिज जवाबदेही' के रूप में परिभाषित किया गया है जो सरकार से नागरिकों को प्रत्यक्ष जवाबदेही प्रदान कराने की इच्छा रखती है।
  • संसद और निर्वाचित प्रतिनिधि महत्वपूर्ण वाहन हैं जिनके माध्यम से नागरिक और नागरिक समूह भी प्रवर्तन सुनिश्चित करा सकते हैं। विकर्ण जवाबदेही को जैसे भी परिभाषित किया जाए, संसद उन संस्थाओं में से एक है जिनके माध्यम से इनका अभ्यास किया जा सकता है।
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