राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
मालदीव ने विश्व में पहली बार पीढ़ीगत धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाया
चर्चा में क्यों?
मालदीव आधिकारिक रूप से दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने धूम्रपान पर पीढ़ीगत प्रतिबंध लागू किया है, जिसके तहत 1 जनवरी, 2007 या उसके बाद जन्मे किसी भी व्यक्ति को तंबाकू उत्पादों को खरीदने, रखने या उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
मुख्य बिंदु
- पीढ़ीगत प्रतिबंध:
- यह प्रतिबंध सिगरेट, सिगार और धूम्ररहित तंबाकू सहित सभी प्रकार के तंबाकू पर लागू होता है।
- उल्लंघन को रोकने के लिये खुदरा विक्रेताओं को बिक्री से पहले आयु की पुष्टि करनी होगी।
- इसका उद्देश्य एक पीढ़ी के भीतर तंबाकू के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है ।
- मालदीव में पहले से ही वेपिंग और ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध है, चाहे उम्र कोई भी हो।
- न्यूज़ीलैंड ऐसा कानून लागू करने वाला पहला देश था (1 जनवरी, 2009 के बाद जन्म लेने वालों के लिये), लेकिन उसने इसे प्रभावी होने से पहले ही वर्ष 2023 में निरस्त कर दिया।
- स्वास्थ्य परिप्रेक्ष्य:
- WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, तंबाकू से हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मौत होती है।
- यह कदम युवाओं में तंबाकू सेवन की प्रवृत्ति को रोकने तथा भावी पीढ़ियों की सुरक्षा के लिये WHO के तंबाकू नियंत्रण फ्रेमवर्क कन्वेंशन (FCTC) के अनुरूप है।
तंबाकू नियंत्रण पर WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन (FCTC)
- परिचय:
- यह विश्व की पहली वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य संधि है। 180 से अधिक देशों (भारत सहित) ने इस संधि को अनुमोदित किया है।
- इसे वर्ष 2003 में अपनाया गया और 2005 में लागू किया गया।
- उद्देश्य:
- वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों को तंबाकू सेवन तथा तंबाकू के धुएँ के संपर्क से होने वाले विनाशकारी स्वास्थ्य, सामाजिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक परिणामों से सुरक्षित रखना।
- प्रमुख प्रावधान:
- तंबाकू विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन पर प्रतिबंध।
- पैकेजिंग के कम-से-कम 30-50% भाग पर स्वास्थ्य चेतावनियाँ अनिवार्य।
- कराधान और सार्वजनिक धूम्रपान प्रतिबंध सहित तंबाकू की मांग तथा आपूर्ति को कम करने के उपाय।
- अवैध व्यापार का विनियमन और नीति-निर्माण में उद्योग हस्तक्षेप से सुरक्षा।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फेरारी रेस करने वाली पहली भारतीय महिला
चर्चा में क्यों?
डायना पुंडोले ने अंतर्राष्ट्रीय सर्किट पर फेरारी 296 चैलेंज कार चलाने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया।
मुख्य बिंदु
- डायना पुंडोले फेरारी 296 चैलेंज में प्रतिस्पर्द्धा कर रही हैं, जो एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय वन-मेक रेसिंग शृंखला है, जिसमें ब्रांड की नवीनतम उच्च प्रदर्शन वाली रेस कार शामिल है।
- दुबई ऑटोड्रोम और यास मरीना, अबू धाबी सहित मध्य-पूर्वी सर्किटों में उनकी भागीदारी उन्हें वैश्विक स्तर पर आधिकारिक तौर पर फेरारी रेस करने वाली पहली भारतीय महिला बनाती है।
- फेरारी 296 चैलेंज के बारे में:
- फेरारी 296 चैलेंज, फेरारी की चैलेंज रेसिंग शृंखला का नवीनतम मॉडल है, जो 488 चैलेंज इवो का स्थान लेगा।
- यह शृंखला फेरारी के वैश्विक वन-मेक चैंपियनशिप प्रारूप के तहत चलती है, जिसमें विश्व के पेशेवर और शौकिया (जेंटलमैन) रेसर शामिल होते हैं।
मध्य प्रदेश Switch to English
नौरादेही अभयारण्य चीतों का तीसरा आवास
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश में नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य को कुनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर के बाद भारत के तीसरे चीता आवास के रूप में विकसित किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- नौरादेही अभयारण्य:
- यह सागर, दमोह और नरसिंहपुर ज़िलों में स्थित है।
- यह ऊपरी विंध्य पर्वतमाला में स्थित है और गंगा तथा नर्मदा नदी घाटियों को जोड़ता है।
- यह पन्ना और सतपुड़ा के बीच जैविक गलियारे के रूप में कार्य करता है तथा अप्रत्यक्ष रूप से बांधवगढ़ एवं रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य से जुड़ता है
- प्रोजेक्ट चीता:
- परिचय:
- भारत में चीतों को फिर से लाने के लिये पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा वर्ष 2020 में प्रोजेक्ट चीता शुरू किया गया था।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य विलुप्त प्रजाति (Acinonyx jubatus) को पुनर्स्थापित करना और भारत के घास के मैदानों के पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करना है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- अंतर-सरकारी समझौता ज्ञापनों के तहत, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए।
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान (2022) पहला पुनरुत्पादन आवास बना, उसके बाद गांधी सागर अभयारण्य (2024) स्थापित किया गया।
- NTCA और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित।
- कैम्पा और केंद्र सरकार के आवंटन के माध्यम से वित्त पोषित।
- परिचय:
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भारतीय नौसेना द्वारा 'इक्षक' नौसेना में शामिल
चर्चा में क्यों?
भारतीय नौसेना, कोच्चि स्थित नौसेना बेस में, सर्वे वेसल लार्ज (SVL) श्रेणी के तीसरे पोत INS इक्षक का जलावतरण करेगी।
मुख्य बिंदु
- इक्षक पोत के बारे में:
- ‘इक्षक’ नाम का अर्थ है “मार्गदर्शक”, जो समुद्रों के सटीक मानचित्रण और नौवहन का कार्य करने वाले इस जहाज की भूमिका को पूर्णतः प्रतिबिंबित करता है।
- यह दक्षिणी नौसैनिक कमान (कोच्चि) में तैनात किया जाने वाला पहला SVL-श्रेणी का पोत है।
- गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड, कोलकाता द्वारा निर्मित इस पोत में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
- भूमिका और कार्य:
- यह जहाज बंदरगाहों, हार्बरों और नौवहन चैनलों के तटीय एवं गहरे जल क्षेत्रों के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इस पोत से प्राप्त सर्वेक्षण आँकड़े सुरक्षित समुद्री नौवहन, बंदरगाह प्रबंधन और सामुद्रिक संसाधनों के आकलन में सहायक होंगे।
- यह भारत की सटीक नौवहन चार्ट तैयार करने की क्षमता को सुदृढ़ करेगा, जिससे नागरिक और सैन्य दोनों समुद्री अभियानों को समर्थन प्राप्त होगा।
सर्वे वेसल लार्ज (SVL) श्रेणी
- सर्वे वेसल लार्ज परियोजना भारत के हाइड्रोग्राफिक सर्वे पोत के आधुनिकीकरण तथा पुराने संधायक-श्रेणी के पोतों के प्रतिस्थापन के उद्देश्य से प्रारम्भ की गई थी।
- इस श्रेणी में कुल चार पोत सम्मिलित हैं- INS संधायक, INS निर्देशक, INS इक्षक तथा INS संशोधक (निर्माणाधीन)।
- ये सभी पोत गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा आत्मनिर्भर भारत पहल के अंतर्गत निर्मित किये जा रहे हैं।
- इन्हें हाइड्रोग्राफिक, ओशनोग्राफिक एवं कार्टोग्राफिक सर्वेक्षण करने हेतु डिज़ाइन किया गया है, जिससे नौवहन चार्ट तैयार करने तथा नागरिक और रक्षा दोनों समुद्री अभियानों में सहयोग प्रदान किया जा सके।
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