मध्य प्रदेश Switch to English
भोपाल में प्रधानमंत्री रोज़गार मेला आयोजित
चर्चा में क्यों?
कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री ने मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित प्रधानमंत्री रोज़गार मेला के दौरान नवचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति-पत्र वितरित किये।
- इस राष्ट्रव्यापी रोज़गार अभियान के तहत देशभर में 51,000 से अधिक अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों के नियुक्ति-पत्र प्रदान किये गए।
मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री रोज़गार मेलाके बारे में:
- भारत सरकार ने 22 अक्तूबर, 2022 को पहला रोज़गार मेला शुरू किया, जिसके तहत 75,000 से अधिक नवचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति-पत्र वितरित किये गए।
- अब तक सरकार ने देशभर में रोज़गार मेले के 16 संस्करण आयोजित किये हैं, जिनमें 10 लाख से अधिक भर्ती-पत्र जारी किये गए हैं।
- यह पहल रोज़गार के अवसरों का विस्तार करने तथा एक मज़बूत और भविष्य के लिये तैयार कार्यबल के निर्माण की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
- सरकारी भर्ती के पूरक के रूप में, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) बेरोज़गार युवाओं को निजी क्षेत्र में नौकरियों से जोड़ने के लिये रोज़गार मेलों का आयोजन कर रहा है।
- उद्देश्य :
- युवाओं को करियर के अवसर प्रदान कर सशक्त बनाना
- राष्ट्र निर्माण में युवाओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना
- नियोक्ताओं और उम्मीदवारों के बीच रोज़गार की प्रक्रिया को त्वरित करना
- समतापूर्ण एवं समावेशी विकास के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना
- विभागवार नियुक्तियों का समावेश:
- नव नियुक्त अभ्यर्थियों ने रेल मंत्रालय, गृह मंत्रालय, डाक विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग तथा श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय जैसे प्रमुख मंत्रालयों और विभागों में कार्यभार ग्रहण किया है।
- यह लोक प्रशासन में मानव संसाधनों की समग्र मज़बूती को दर्शाता है।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC)
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC), कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के अधीन कार्य करता है और भारत के कौशल विकास एजेंडा में इसकी केंद्रीय भूमिका है।
- 31 जुलाई, 2008 को स्थापित NSDC एक लाभ-निरपेक्ष सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी है, जिसे कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत पंजीकृत किया गया है।
- यह एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसरों का विस्तार करना है।
- इसका मुख्य उत्तरदायित्व निजी क्षेत्र द्वारा संचालित व्यावसायिक प्रशिक्षण पहलों को सशक्त बनाना, समर्थन देना और उनका समन्वय करना है।
- यह संगठन कौशल भारत मिशन के तहत कौशल प्रशिक्षण की गुणवत्ता और पहुँच में सुधार पर केंद्रित है।
- NSDC का लक्ष्य उद्योग-उपयुक्त कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से भारत के युवाओं को रोज़गार योग्य बनाना और एक कुशल व्यावसायिक प्रशिक्षण पारितंत्र का निर्माण करना है।
मध्य प्रदेश Switch to English
स्माइल-बी पर राष्ट्रीय कार्यशाला
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) ने इंदौर में एक राष्ट्रीय कार्यशाला एवं अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें भिक्षावृत्ति में संलिप्त व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के उद्देश्य से स्माइल-बी उप-योजना पर ध्यान केंद्रित किया गया।
मुख्य बिंदु
स्माइल-बी के बारे में:
- यह SMILE पहल की एक उप-योजना है, जिसका उद्देश्य भीख माँगने में संलिप्त व्यक्तियों को सम्मानजनक एवं स्थायी समर्थन के साथ समाज की मुख्यधारा में पुनः शामिल करके 'भिक्षावृत्ति मुक्त भारत' का निर्माण करना है।
- दिसंबर 2024 तक यह योजना 81 शहरों/कस्बों में लागू की जा चुकी है, जिनमें प्रमुख तीर्थस्थल, ऐतिहासिक स्थल एवं पर्यटन स्थल शामिल हैं।
- अगले चरण में इसका विस्तार 50 अतिरिक्त शहरों तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- अप्रैल 2025 तक भारत में 9,958 व्यक्तियों की पहचान भीख माँगने में संलिप्त के रूप में की गई है, जिनमें से विभिन्न योजना हस्तक्षेपों के माध्यम से 970 व्यक्तियों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया है।
राष्ट्रीय कार्यशाला और अभिविन्यास कार्यक्रम के बारे में:
- इस कार्यक्रम में भीख माँगने में संलिप्त व्यक्तियों के लिये बचाव कार्य, प्राथमिक पुनर्वास और आजीविका पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
- कार्यशाला में राज्य नोडल अधिकारियों, शहरी स्थानीय निकाय (ULB) के प्रतिनिधियों, गैर सरकारी संगठनों तथा नागरिक समाज समूहों सहित विविध प्रतिभागियों ने भाग लिया।
- प्रतिभागियों ने SMILE-B योजना के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों और अपनाई गई श्रेष्ठ प्रथाओं पर केंद्रित विचार-विमर्श किया।
SMILE योजना के बारे में
- अक्तूबर 2023 में प्रारंभ की गई SMILE योजना (Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise) का उद्देश्य 'भिक्षावृत्ति मुक्त भारत' का निर्माण करना है।
- पुनर्वास रणनीति: इस योजना के अंतर्गत:
- पहचान, पहुँच और पुनर्वास के लिये स्थानीय निकायों के साथ समन्वय किया जाता है।
- फोटो/वीडियो दस्तावेज़ीकरण के माध्यम से सहानुभूतिपूर्ण जुड़ाव और व्यक्तिगत प्रोफाइलिंग की जाती है।
- ज़िला प्रशासन, गैर सरकारी संगठन, स्वयं सहायता समूह तथा मंदिर ट्रस्ट जैसे संस्थान परामर्श, शिक्षा तथा पुनः एकीकरण सहायता जैसी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
भिक्षावृत्ति
- भिक्षावृत्ति में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से भीख माँगना शामिल होता है, जैसे गाना, वस्तुएँ बेचना या शारीरिक विकृतियाँ प्रदर्शित करना।
- इंदौर (मध्य प्रदेश) को 'भिक्षावृत्ति मुक्त भारत' पहल के तहत भारत का पहला भिक्षावृत्ति मुक्त शहर घोषित किया गया है।
- स्थिति:
- जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में 4.13 लाख भिखारी हैं, जिनमें सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में है।
- सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (SECC) 2011 के अनुसार, 6.62 लाख ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिये भीख माँगने पर निर्भर हैं।
- संवैधानिक आधार:
- अवारागर्दी (जिसमें भिक्षावृत्ति शामिल है) समवर्ती सूची (सूची-III, प्रविष्टि 15) के अंतर्गत आती है, जहाँ केंद्र और राज्य, दोनों को कानून बनाने का अधिकार है।
- केंद्रीय कानून का अभाव:
- भारत में भीख माँगने से संबंधित कोई एक समान केंद्रीय कानून नहीं है।
- वर्तमान में बॉम्बे भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1959 प्रमुख कानून के रूप में लागू है, जो भीख माँगने को अपराध घोषित करता है और भिखारियों की व्यापक परिभाषा प्रस्तुत करता है।
हरियाणा Switch to English
नूह में इंटरनेट और SMS सेवाएँ निलंबित
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने सार्वजनिक शांति बनाए रखने और गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिये सतर्कता के तौर पर नूह ज़िले में मोबाइल इंटरनेट और बल्क SMS सेवाओं को 24 घंटे के लिये निलंबित किया।
मुख्य बिंदु
- आदेश के बारे में:
- हरियाणा गृह विभाग ने दूरसंचार अधिनियम, 2023 की धारा 20 तथा दूरसंचार (सेवाओं का अस्थायी निलंबन) नियम, 2024 के नियम 3 के तहत निलंबन निर्देश जारी किया।
- इस आदेश के अंतर्गत मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ (2G/3G/4G/5G/CDMA/GPRS), बल्क SMS सेवाएँ (बैंकिंग और मोबाइल रीचार्ज से संबंधित सेवाओं को छोड़कर) तथा डोंगल-आधारित इंटरनेट सेवाएँ निलंबित कर दी गईं।
- जनता को होने वाले व्यवधान को न्यूनतम रखने के लिये वॉयस कॉल, ब्रॉडबैंड इंटरनेट तथा कॉर्पोरेट लीज़ लाइन जैसी आवश्यक संचार सेवाएँ चालू रहीं।
- दूरसंचार (सेवाओं का अस्थायी निलंबन) नियम, 2024:
- अनिवार्य प्रकाशन: इंटरनेट शटडाउन सहित दूरसंचार सेवाओं को निलंबित करने वाले सभी आदेशों को स्पष्ट कारणों, भौगोलिक क्षेत्र और अवधि के साथ प्रकाशित किया जाना चाहिये।
- अधिकतम अवधि: निलंबन अवधि 15 दिन से अधिक नहीं हो सकती।
- सक्षम प्राधिकारी: निलंबन आदेश केवल "सक्षम प्राधिकारी" द्वारा ही जारी किया जा सकता है,जो केंद्र सरकार के लिये केंद्रीय गृह सचिव और राज्यों के लिये राज्य गृह सचिव है।
- समीक्षा तंत्र: किसी आदेश के जारी होने के 5 दिनों के भीतर उसकी वैधता की समीक्षा हेतु समीक्षा समिति की बैठक आवश्यक है।
- केंद्रीय समीक्षा समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं, जबकि राज्य समिति की अध्यक्षता मुख्य सचिव करते हैं।
- नोडल अधिकारी: लाइसेंस प्राप्त सेवा प्रदाताओं को निलंबन आदेश प्राप्त करने और उन्हें लागू करने के लिये प्रत्येक सेवा क्षेत्र में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा।
- सुरक्षित संचार: केवल पुलिस अधीक्षक या उससे उच्च स्तर के अधिकारी ही इन आदेशों को लिखित रूप में या सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संप्रेषित कर सकते हैं।
- अनिवार्य प्रकाशन: इंटरनेट शटडाउन सहित दूरसंचार सेवाओं को निलंबित करने वाले सभी आदेशों को स्पष्ट कारणों, भौगोलिक क्षेत्र और अवधि के साथ प्रकाशित किया जाना चाहिये।
नोट: अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ (2020) केस में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इंटरनेट एक्सेस पर सरकार द्वारा लगाया गया कोई भी प्रतिबंध अस्थायी, सीमित, वैध, आवश्यक तथा आनुपातिक होना चाहिये।
हरियाणा Switch to English
अशीम कुमार घोष हरियाणा के राज्यपाल नियुक्त
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रपति ने प्रोफेसर अशीम कुमार घोष को हरियाणा का नया राज्यपाल नियुक्त किया। इसके अतिरिक्त पुसापति अशोक गजपति राजू को गोवा का राज्यपाल और कवींद्र गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल भी नियुक्त किया गया।
मुख्य बिंदु
राज्यपाल के संवैधानिक कार्य:
- राज्यपाल राज्य के मुख्य कार्यकारी प्रमुख के रूप में कार्य करता है। वह नाममात्र प्राधिकारी के रूप में तथा केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में भी कार्य करता है।
- अनुच्छेद 154 के अनुसार, राज्य सरकार के सभी कार्यकारी कार्य राज्यपाल के नाम से किये जाते हैं और अनुच्छेद 166 के तहत, राज्यपाल द्वारा व्यवसाय के लेन-देन के नियम तैयार किये जाते हैं।
- इसके अतिरिक्त, राज्यपाल मुख्यमंत्री और उनकी सलाह पर मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करता है।
- विधायी भूमिका और विधेयकों पर स्वीकृति: राज्य विधानमंडल और संघ के बीच संवैधानिक कड़ी के रूप में, राज्यपाल अनुच्छेद 174 के तहत राज्य विधानसभा को आहूत करता है, स्थगित करता है और भंग करता है।
- किसी विधेयक को कानून बनने के लिये राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त करनी होती है, जैसा कि संघ स्तर पर राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त होती है या इसे अनुच्छेद 200 के तहत राष्ट्रपति के विचार हेतु आरक्षित किया जा सकता है।
- राज्य के वित्तीय शासन में राज्यपाल की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि अनुच्छेद 207 के तहत उनकी सिफारिश के बिना विधानसभा में कोई भी धन विधेयक प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
- वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि राज्य की वित्तीय व्यवस्था, संवैधानिक तथा राजकोषीय ज़िम्मेदारियों के अनुरूप हो।
त्रिशंकु विधानसभाओं में विवेकाधीन शक्तियाँ और भूमिका:
- राज्यपाल कुछ स्थितियों में विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करते हैं, जैसे अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करना या त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में किसी पार्टी को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित करना।
- वे उन मामलों पर भी निर्णय लेते हैं जहाँ संविधान उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह से स्वतंत्र होकर विवेकाधिकार प्रदान करता है।
नियुक्तियों और प्रशासन में भूमिका:
- राज्यपाल अनुच्छेद 165 और 316 के तहत महाधिवक्ता तथा राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों सहित प्रमुख पदाधिकारियों की नियुक्ति करते हैं।
- वे राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति भी करते हैं, जो हाल के वर्षों में एक विवादास्पद मुद्दा रहा है।
- यह कार्य राज्य के सुचारू प्रशासन को सुनिश्चित करता है, परंतु इसे राज्य सरकार के परामर्श से किया जाना चाहिये।
राष्ट्रपति शासन लागू करने में भूमिका:
- अनुच्छेद 356 के तहत, यदि राज्यपाल का मानना है कि किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है, तो वे राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं।
न्यायिक शक्तियाँ
- राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत क्षमादान की शक्तियाँ प्राप्त हैं, जिसके तहत वे राज्य के कानूनों के विरुद्ध अपराधों के लिये क्षमादान, विलंबन, राहत या सज़ा में छूट दे सकते हैं।
- हालाँकि, राष्ट्रपति के समान अधिकारों की तुलना में राज्यपाल की यह शक्ति सीमित है, क्योंकि वे मृत्युदंड अथवा कोर्ट मार्शल से संबंधित मामलों में क्षमादान नहीं दे सकते।
अनुसूचित क्षेत्रों एवं जनजातीय कल्याण हेतु विशेष ज़िम्मेदारियाँ:
- असम, मेघालय, त्रिपुरा तथा मिज़ोरम जैसे राज्यों में राज्यपाल को अनुसूचित क्षेत्रों पर विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं।
- इन राज्यों का प्रशासन संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत स्वायत्त ज़िलों के रूप में किया जाता है।
- राज्यपाल स्वदेशी अधिकारों की रक्षा तथा कल्याणकारी नीतियों को बढ़ावा देने के लिये जनजातीय प्रशासन में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
हरियाणा के राज्यपाल
हरियाणा के राज्यपाल |
कार्यकाल |
धर्मवीर |
1 नवंबर 1966 - 14 सितंबर 1967 |
बीरेंद्र नारायण चक्रवर्ती |
15 सितंबर 1967 - 26 मार्च 1976 |
न्यायमूर्ति रणजीत सिंह नरूला |
27 मार्च 1976 -13 अगस्त 1976 |
जय सुखलाल हाथी |
14 अगस्त 1976 - 23 सितंबर 1977 |
सरदार हरचरण सिंह बराड़ |
24 सितंबर 1977 – 9 दिसंबर 1979 |
न्यायमूर्ति सुरजीत सिंह संधावालिया |
10 दिसंबर 1979 – 27 फरवरी 1980 |
गणपतराव देवजी तपासे |
28 फरवरी 1980 – 13 जून 1984 |
सैयद मुज़फ्फर हुसैन बर्नी |
14 जून 1984 – 21 फरवरी 1988 |
हरि आनंद बरारी |
22 फरवरी 1988 – 6 फरवरी 1990 |
धनिक लाल मंडल |
7 फरवरी 1990 – 13 जून 1995 |
महावीर प्रसाद |
14 जून 1995 – 18 जून 2000 |
बाबू परमानंद |
19 जून 2000 - 1 जुलाई 2004 |
ओम प्रकाश वर्मा |
2 जुलाई 2004 - 7 जुलाई 2004 |
डॉ. अखलाक-उर-रहमान किदवई |
7 जुलाई, 2004 - 27 जुलाई, 2009 |
श्री जगन्नाथ पहाड़िया |
27 जुलाई, 2009 - 26 जुलाई, 2014 |
कप्तान सिंह सोलंकी |
27 जुलाई, 2014 - 24 अगस्त 2018 |
सत्यदेव नारायण आर्य |
25 अगस्त, 2018 - 07 जुलाई 2021 |
बंडारू दत्तात्रेय |
7 जुलाई 2021 - जुलाई 2025 |
अशीम कुमार घोष |
जुलाई 2025 - वर्तमान |