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मध्य प्रदेश

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में बाघ की मृत्यु

  • 18 Jan 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (BTR) में एक युवा बाघ मृत पाया गया था।

मुख्य बिंदु:

  • 12 महीने से 18 महीने की उम्र के उप-वयस्क बाघ का शव BTR के धमोखर रेंज में एक खाई में देखा गया था।
  • शव परीक्षण के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के दिशा-निर्देशों के अनुसार शवाधान कर दिया गया।
    • 9 जनवरी को, 15 महीने से 18 महीने की उम्र के एक युवा बाघ का शव BTR के पतोर रेंज में एक खाई में पाया गया था।
  • मध्य प्रदेश ने हालिया जनगणना (2022) में "बाघ राज्य" का दर्जा बरकरार रखा है, राज्य में बड़ी बिल्ली प्रजातियों की संख्या वर्ष 2018 में 526 से बढ़कर 785 हो गई है।
  • रिपोर्ट ‘स्टैटस ऑफ टाइगर्स: को-प्रेडेटर एंड प्रेय इन इंडिया-2022’ के अनुसार, जुलाई 2023 में NTCA और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जारी की गई, मध्य प्रदेश (785) में देश में सबसे अधिक बाघों की संख्या है, इसके बाद कर्नाटक (563) तथा उत्तराखंड (560) का स्थान है।

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (BTR)

  • यह मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में स्थित है और विंध्य पहाड़ियों पर फैला हुआ है।
  • वर्ष 1968 में, इसे एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया था और वर्ष 1993 में निकटवर्ती पनपथा अभयारण्य में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत एक बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
  • इसका नाम इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख पहाड़ी के नाम पर रखा गया है, जिसके विषय में कहा जाता है कि इसे हिंदू भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को लंका पर नज़र रखने के लिये दिया था। इसलिये इसका नाम बांधवगढ़ पड़ा।
  • यह रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिये जाना जाता है। बांधवगढ़ में बाघों की जीवसंख्या का घनत्व भारत के साथ-साथ विश्व में सबसे अधिक है।
  • पूरा पार्क 20 से अधिक धाराओं से भरा हुआ है, जिनमें से कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण धाराएँ हैं जोहिला, जनाध, चरणगंगा, दमनार, बनबेई, अम्बानाला और अंधियारी झिरिया हैं।
    • ये धाराएँ फिर सोन नदी (गंगा नदी की एक महत्त्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी) में विलीन हो जाती हैं।
  • महत्त्वपूर्ण शिकार प्रजातियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर और रीसस मकाक शामिल हैं।
  • बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया और सियार जैसे प्रमुख शिकारी इन पर निर्भर हैं।

भारतीय वन्यजीव संस्थान

  • यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1982 में हुई थी।
  • यह देहरादून, उत्तराखंड में स्थित है।
  • यह वन्यजीव अनुसंधान और प्रबंधन में प्रशिक्षण कार्यक्रम, शैक्षणिक पाठ्यक्रम तथा सलाह प्रदान करता है।

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