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झारखंड

वन्यजीव अभयारण्य के रूप में सारंडा वन

  • 14 Oct 2025
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

झारखंड मंत्रिमंडल ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा वन के एक हिस्से को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।

  • सारंडा वन, जिसका अर्थ है "सात सौ पहाड़ियों की भूमि", भारत के सबसे समृद्ध साल वनों में से एक है तथा यह एक महत्त्वपूर्ण हाथी गलियारा भी है।

मुख्य बिंदु

  • मंत्रिमंडल ने सारंडा वन के 314.65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने को मंजूरी दी, साथ ही इसके चारों ओर 1 किलोमीटर का पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र भी निर्धारित किया। यह प्रयास वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा अनुमोदित किया गया।
    • वन अधिकार अधिनियम (FRA) के तहत अनुसूचित जनजातियों और पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों तथा राज्य एवं केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं तक उनकी पहुँच सुरक्षित रहेगी।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश

  • 8 अक्तूबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड को सारंडा वन को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने के लिये सात दिन का समय दिया था तथा बार-बार देरी करने पर परमादेश रिट की चेतावनी दी।
  • मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) को राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजनाओं के लिये मौजूदा खदानों में खनन जारी रखने की अनुमति दी, जबकि क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर रोक लगा दी।
  • राज्य ने प्रस्तावित अभयारण्य क्षेत्र का विस्तार किया है तथा सासंगदाबुरू संरक्षण रिज़र्व के लिये भूमि भी निर्धारित की है।
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