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उत्तराखंड

वनाग्नि रोकने के लिये 500 करोड़ रुपए का एक्शन प्लान

  • 07 Dec 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

6 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु ने देहरादून में हुई बैठक में बताया कि राज्य में हर साल जंगलों में लगने वाली आग को नियंत्रित करने के लिये वन विभाग ने 500 करोड़ रुपए का एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके लिये वन विभाग की ओर से फॉरेस्ट फायर मिटिगेशन प्रोजेक्ट पर प्रस्तुतीकरण दिया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • इस बैठक में वनाग्नि पर नियंत्रण के लिये कई उपाय सुझाए गए हैं। स्थानीय लोगों की भूमिका को अंकित कर उन्हें ट्रेनिंग तथा प्रोत्साहन राशि देने की बात कही गई है। इसके अलावा महिला और युवक मंगल दलों को भी इससे जोड़ने की चर्चा हुई।
  • वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव ने बताया कि अगले पाँच वर्षों के लिये तैयार की गई योजना लागू होने के बाद वन महकमा हर साल 100 करोड़ रुपए वनाग्नि नियंत्रण पर खर्च कर सकेगा। ज़रूरत पर वनाग्नि बुझाने के लिये हेलीकॉप्टर तक का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
  • इस एक्शन प्लान में ग्रामीणों के साथ फायर वॉचर को भी आग बुझाने के लिये पहली बार पैसा दिया जाएगा। वन मुख्यालय के मास्टर कंट्रोल रूम को अत्याधुनिक बनाने के लिये कई उपकरणों की खरीद का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा मौसम विज्ञान विभाग की मदद से ऑटोमेटेड वेदर सेंसर लगाने, मॉडल क्रू स्टेशन, एडब्ल्यूएस स्पेशलाइज्ड इक्विपमेंट्स, व्हीकल्स, वायरलेस नेटवर्क मज़बूत बनाने के लिये सामुदायिक संस्थानों को योजना से जोड़ा जाएगा।
  • उन्होंने बताया कि चीड़ की पत्तियाँ (पिरूल) वनाग्नि का प्रमुख कारण बनती हैं, जबकि पिरूल से कई उत्पाद भी बनाए जाते हैं। पिरूल से जुड़े उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि वह ज़रूरत के अनुसार जंगलों से पिरूल उठा सकें।
  • उल्लेखनीय है कि प्रदेश में प्रतिवर्ष वनाग्नि की करीब दो हज़ार घटनाएँ होती हैं। इनमें हर साल करीब तीन हज़ार हेक्टेयर जंगल जलता है। 2022 में अब तक वनाग्नि की 2,186 घटनाएँ हुई हैं, जबकि 3425 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुँचा।
  • विदित है कि वन विभाग की ओर से इस एक्शन प्लान के लिये तैयार प्रस्ताव पर प्राथमिक तौर पर चर्चा कर ली गई है। इसमें कुछ अन्य बिंदुओं को जोड़ने के लिये कहा गया है। फाइनल ड्राफ्रट तैयार होने के बाद मंजूरी के लिये केंद्र को भेजा जाएगा। 
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