हरियाणा
हरियाणा में पोक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट
- 30 Apr 2025
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चर्चा में क्यों?
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा को पोक्सो अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये दो महीने के भीतर फरीदाबाद, पंचकूला और गुरुग्राम में चार फास्ट ट्रैक कोर्ट अधिसूचित करने का निर्देश दिया है।
मुख्य बिंदु
- अतिरिक्त न्यायालयों का गठन:
- यह निर्देश पोक्सो अधिनियम के तहत अपराधों से निपटने के लिये अतिरिक्त अदालतों के गठन की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान जारी किया गया।
- याचिका में स्वत: संज्ञान मामले में जारी सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों को लागू करने की भी मांग की गई है।
- भारत के सॉलिसिटर जनरल के अनुसार, केंद्र सरकार ने देश भर में फास्ट ट्रैक और पोक्सो अदालतों की स्थापना और संचालन के लिये 200 करोड़ रुपए आवंटित किये थे।
- पोक्सो अधिनियम के बारे में:
- इस कानून का उद्देश्य बच्चों के यौन शोषण और यौन दुर्व्यवहार के अपराधों को संबोधित करना है। अधिनियम के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति नाबालिक माना जाता है।
- इसे वर्ष 1992 में भारत द्वारा बाल अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसमर्थन के परिणामस्वरूप अधिनियमित किया गया था।
- इस कानून का उद्देश्य बच्चों के यौन शोषण और यौन दुर्व्यवहार के अपराधों को संबोधित करना है। अधिनियम के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति नाबालिक माना जाता है।
- विशेषताएँ:
- लिंग-तटस्थ प्रकृति: अधिनियम यह मानता है कि लड़कियाँ और लड़के दोनों यौन शोषण के शिकार हो सकते हैं और ऐसा दुर्व्यवहार अपराध है, चाहे पीड़ित का लिंग कुछ भी हो।
- पीड़ित की पहचान की गोपनीयता: POCSO अधिनियम, 2012 की धारा 23 के अनुसार बाल पीड़ितों की पहचान गोपनीय रखी जानी चाहिये। मीडिया रिपोर्ट में पीड़ित की पहचान उजागर करने वाली कोई भी जानकारी नहीं दी जा सकती, जिसमें उनका नाम, पता और परिवार की जानकारी शामिल है।
- बाल दुर्व्यवहार के मामलों की अनिवार्य रिपोर्टिंग: धारा 19 से 22 ऐसे व्यक्तियों को, जिन्हें ऐसे अपराधों की जानकारी है या उचित संदेह है, संबंधित प्राधिकारियों को रिपोर्ट करने के लिये बाध्य करती है।
भारत के सॉलिसिटर जनरल (SGI)
- यह भारत के अटॉर्नी जनरल के बाद दूसरा सर्वोच्च विधि अधिकारी है।
- यह कोई संवैधानिक पद नहीं है बल्कि वैधानिक नियमों द्वारा शासित है।
- विधि अधिकारी (सेवा की शर्तें) नियम, 1987 के अनुसार इसका मुख्यालय नई दिल्ली में होगा।
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- इसका कार्यकाल तीन वर्ष का होता है।
- इसके कर्त्तव्यों में सरकार को सलाह देना, अदालतों में उपस्थित होना और अनुच्छेद 143 के संदर्भों को संभालना शामिल है।
- बिना अनुमति के सरकार के खिलाफ पेश नहीं हो सकते या आपराधिक आरोपी का बचाव नहीं कर सकते।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या मंत्रालयों को सीधे सलाह नहीं दी जा सकती; इसके लिये कानूनी मामलों के विभाग से परामर्श लेना होगा।
- निर्दिष्ट सार्वजनिक या सरकार-नियंत्रित संस्थाओं को छोड़कर निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध है।
- बिना पूर्व सरकारी अनुमोदन के लाभकारी पद पर नहीं रह सकते।