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राजस्थान

कुसुम योजना से 282 करोड़ रुपये से अधिक की बचत

  • 13 Nov 2025
  • 20 min read

चर्चा में क्यों?


राजस्थान की विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) ने विगत 18 महीनों में ‘कुसुम योजना’ के माध्यम से 282 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है।

  • यह योजना कृषि कनेक्शनों को सौर ऊर्जा से जोड़ने तथा किसानों को बंजर एवं अर्द्ध-बंजर भूमि से आय सृजन में सक्षम बनाने पर केंद्रित है।

मुख्य बिंदु

  • राजस्थान योजना के घटक-ए में देश में अग्रणी राज्य है, जो किसानों को 2 मेगावाट तक क्षमता वाले संयंत्र स्थापित करने की अनुमति देता है। घटक-सी में भी राज्य तीसरे स्थान पर है।
  • अवसंरचना:
    • राज्य ने इस योजना के क्रियान्वयन में उल्लेखनीय गति दिखाई है। केवल 20 महीनों में 942 सौर संयंत्र स्थापित किये गए हैं, जिनकी कुल क्षमता 2,100 मेगावॉट है।।
    • वर्तमान में 41 ज़िलों में 1.36 लाख सौर पंप संचालित हैं, जिन्हें 1,034 सौर संयंत्रों से विद्युत् प्राप्त होती है। जबकि 22 ज़िलों में ये पंप दो पालियों में संचालित किये जाते हैं।
  • लक्ष्य:
    • राजस्थान ने मार्च 2026 तक 11,632 मेगावाट सौर क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिससे विद्युत् क्रय लागत में और कमी आने की संभावना है।

पीएम-कुसुम योजना

  • परिचय:
    • पीएम-कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सौर ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है।
    • यह योजना कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करते हुए सिंचाई लागत कम करने और अधिक सौर ऊर्जा को ग्रिड में बेचने की सुविधा प्रदान करके किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
  • घटक:
    • घटक-A: किसानों की बंजर/परती/चरागाह/दलदली/कृषि योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्राउंड/स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना।
    • घटक-B: ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में 20 लाख स्टैंड-अलोन सौर पंपों की स्थापना।
    • घटक-C: 15 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइज़ेशन: जिसमें व्यक्तिगत पंप और फीडर-स्तरीय सौरकरण दोनों शामिल हैं।
  • उद्देश्य:
    • डीज़ल पर निर्भरता कम करना: यह योजना सिंचाई हेतु सौर ऊर्जा चालित पंपों के उपयोग को प्रोत्साहित करती है, जिससे महंगे डीजल चालित पंपों पर निर्भरता कम होती है।
    • किसानों की आय में वृद्धि: किसानों को ग्रिड को अतिरिक्त सौर ऊर्जा बेचने की सुविधा देकर, यह योजना उनकी वित्तीय स्थिरता बढ़ाती है।
    • जल एवं ऊर्जा सुरक्षा में सुधार: सौर पंप और सामुदायिक सिंचाई परियोजनाएँ किसानों के लिए जल और ऊर्जा सुरक्षा में सुधार सुनिश्चित करती हैं।
    • पर्यावरणीय प्रभाव: पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को सौर ऊर्जा से प्रतिस्थापित करके, यह योजना पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करती है और स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहित करती है।
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