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उत्तर प्रदेश

कतर्निया घड़ियाल कंजर्वेशन व रिसर्च सेंटर के रूप में होगा विकसित

  • 08 Nov 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

7 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले के डीएफओ आकाशदीप बधावन ने बताया कि कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में घड़ियाल कंजर्वेशन व रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • इसके लिये 10 सदस्यीय शोध और प्रशिक्षुओं का दल कतर्निया पहुँच गया है। यहाँ तीन महीने रहकर यह दल घड़ियाल पर डाक्यूमेंट्री फिल्म तैयार करेगा।
  • जलीय क्षेत्र में घड़ियाल के कुनबों को बढ़ाने व उनके रहन-सहन पर रिसर्च कर शोध-पत्र तैयार किया जाएगा। इसी के आधार पर सरकार पर्यटन स्थल के स्वरूप व घड़ियाल रिसर्च सेंटर तक की योजना को अंतिम रूप देगी।
  • गौरतलब है कि भारत-नेपाल सीमा से कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग लगा हुआ है। 551 वर्ग किलोमीटर में प्रभाग में बाघ, तेंदुआ, हाथी, गैंडा समेत कई तरह के दुर्लभ वन्यजीव व पक्षियों का बसेरा है। कतर्निया के बीच होकर बहने वाली गेरुआ नदी के छह किलोमीटर के दायरे में घड़ियाल के कुनबों का बसेरा रहता है। देश भर में कतर्नियाघाट घड़ियाल कंजर्वेशन के रूप में ही शुरुआत से जाना जाता है।
  • अब इसी पहचान को राष्ट्रीय व विश्व फलक पर चमकाने की तैयारी हो रही है। इसके तहत घड़ियालों के कुनबों को बढ़ाने के साथ ही घड़ियाल सेंटर के आकार को भी बदलने की योजना बन रही है।
  • 10 सदस्यीय टीम में तीन शोधकर्त्ता, छह प्रशिक्षु शोधकर्त्ता व एक मूवी मेकर शामिल हैं। यह टीम तीन माह कतर्निया में रहकर शोध करेगी। शोध रिपोर्ट के आधार पर सेंटर का स्वरूप तैयार किया जाएगा।
  • कतर्नियाघाट पर फिल्म बनाई जा चुकी है, लेकिन विशेषकर घड़ियाल पर पहली बार डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की तैयारी हो रही है। फिल्म में कतर्निया के शोध-पत्रों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि भविष्य में छात्रों को शोधपरक सामग्री आसानी से मिल सके।
  • गेरुआ में 12 पूल बने हुए हैं। इनमें से तीन पूल में कछुआ का बसेरा है, जबकि एक पर मगरमच्छों का कब्ज़ा है। वहीं छह पूलों में घड़ियालों का कुनबा रहता है। जिस तेजी से इनकी संख्या बढ़ रही है, ऐसे में पूल कम और आकार में छोटे पड़ रहे हैं। बड़े घड़ियाल चार से पाँच फूट के होते हैं। एक पूल में छह से ज़्यादा नहीं रह सकते हैं।
  • डीएफओ ने बताया कि वाइल्ड लाइफ से दशकों से जुड़ी मूवी मेकिंग की बंगलूरू की विशेषज्ञ त्रिशाला अशोक भी टीम के साथ आई हुई हैं। रिसर्च में कॉलेज के छात्रों को भी जोड़ा जाएगा। इसमें मूवी मेकिंग में रुचि रखने वाले छात्रों को विशेषज्ञ जानकारी साझा कर उनकी जिज्ञासा बढ़ाएंगी।
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