ध्यान दें:





State PCS Current Affairs


मध्य प्रदेश

भारत बोत्सवाना से चीते लाएगा

  • 29 Apr 2025
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

भारत में चीतों के पुनर्वास प्रयासों को एक नई दिशा देने के लिये अफ्रीकी देश बोत्सवाना से आठ चीते दो चरणों में भारत लाए जाएंगे।

मुख्य बिंदु

  • चीतों का पुनर्वास:
    • वर्ष 2022 में शुरू की गई चीता परियोजना, विलुप्त हो चुकी चीतों की प्रजातियों को जंगल में फिर से लाने की भारत की महत्वाकांक्षी पहल है। अब तक इस परियोजना पर 112 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किये जा चुके हैं, जिसमें से लगभग 67% राशि अकेले मध्य प्रदेश में चीता पुनर्वास गतिविधियों के लिये आवंटित की गई है।।
    • मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य में चीतों का पुनर्वास किया जाएगा।
      • यह अभयारण्य राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है, जिसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच एक अंतरराज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित किया जाएगा।
    • कूनो और गांधी सागर अभयारण्य में चीता मित्रों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि चीतों के संरक्षण और पुनर्वास में उनकी कार्यक्षमता बढ़ सके।

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य:

  • यह राजस्थान से सटे मंदसौर और नीमच ज़िलों की उत्तरी सीमा पर मध्य प्रदेश में स्थित है।
  • इसकी विशेषता विशाल खुले परिदृश्य और चट्टानी इलाके हैं।
  • वनस्पतियों में उत्तरी उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन, मिश्रित पर्णपाती वन और झाड़ी शामिल हैं।
  • अभयारण्य में पाई जाने वाली कुछ वनस्पतियाँ खैर, सलाई, करधई, धावड़ा, तेंदू और पलाश हैं।
  • जीवों में चिंकारा, नीलगाय, चित्तीदार हिरण, धारीदार लकड़बग्घा, सियार और मगरमच्छ शामिल हैं।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA):

  • यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।
  • इसकी स्थापना 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गई थी।
  • इसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 ( जैसा कि 2006 में संशोधित किया गया ) के प्रावधानों के तहत बाघ संरक्षण को मज़बूत करने के लिये, इसे सौंपी गई शक्तियों और कार्यों के अनुसार किया गया था।

close
Share Page
images-2
images-2