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हरियाणा

हरियाणा बना क्रेच पॉलिसी लाने वाला देश का पहला राज्य

  • 27 Jul 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

26 जुलाई, 2023 को हरियाणा महिला एवं बाल विकास विभाग ने हरियाणा राज्य क्रेच नीति-2022 की अधिसूचना जारी कर दी है, जिससे राज्य की कामकाजी महिलाओं को लाभ होगा। इसके साथ ही हरियाणा क्रेच पॉलिसी लाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।                        

प्रमुख बिंदु       

  • राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने क्रेच नीति को लेकर कहा कि राज्य सरकार ने कामकाजी महिलाओं को ध्यान में रखते हुए यह नीति बनाई है, जिसके तहत छह माह से छह साल तक के बच्चे को क्रेच में आठ से दस घंटे तक रखा जा सकेगा। 
  • क्रेच में कुशल एवं प्रशिक्षित कर्मी लगाये जाएंगे। इसमें क्रेच वर्कर को 15 हज़ार रुपए और सहायिका को साढ़े सात हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जाएगा।   
  • विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा के अनुसार राज्य में 50 से अधिक कर्मचारियों वाले सभी संस्थानों को क्रेच खोलना अनिवार्य होगा। 
  • क्रेच में बच्चों के खेलने के सामान और खिलौने के साथ ही पौष्टिक भोजन, नियमित स्वास्थ्य जाँच और टीकाकरण, सोने की व्यवस्था, शिक्षा तथा शारीरिक और सामाजिक-भावनात्मक विकास के लिये तमाम इंतज़ाम होंगे।   
  • विदित है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले ही 500 क्रेच खोलने के निर्देश जारी कर चुके हैं। प्रदेश में अभी तक 16 ज़िलों में 165 क्रेच चालू किये जा चुके हैं। इन्हें नई पॉलिसी के तहत अपग्रेड किया जाएगा।   
  • महिला एवं बाल विकास विभाग ने आधुनिक सुविधा युक्त क्रेच स्थापित करने हेतु मोबाइल क्रेच ऑर्गेनाइजेशन के साथ समझौता किया है। ये क्रेच माह में 26 दिन खुलेंगे। बच्चों की सुरक्षा के लिये अभिभावकों और स्टाफ के पहचान-पत्र भी बनाए जाएंगे। 
  • क्रेच में किसी बच्चे को अकेला नहीं रहने दिया जाएगा। क्रेच में बच्चे को सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम को स्नैक्स भी दिया जाएगा तथा इसका खर्च सरकार वहन करेगी। सफाई-स्वच्छता हेतु हर माह एक हज़ार रुपए दिये जाएंगे। क्रेच में बच्चों के सोने और फीडिंग रूम की भी व्यवस्था होगी।   
  • क्रेच नीति में कामकाजी महिलाओं के कार्यालय से अधिकतम दूरी 500 मीटर निर्धारित की गई है।   
  • क्रेच के लिये जिस परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपए से कम है, उन्हें प्रत्येक बच्चे के लिये 50 रुपए, एक लाख से 1.80 लाख पर 100 रुपए, 1.80 लाख से तीन लाख रुपए पर 250 रुपए, तीन से पाँच लाख वार्षिक आय पर 350 रुपए तथा पाँच लाख से अधिक की आय पर 500 रुपए हर माह देने होंगे।

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