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Sambhav-2024

  • 24 Jan 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस 57

    प्रश्न 1. हिमनद घाटियों में मिलने वाले विविध निक्षेपित स्थलरूपों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उत्तर की शुरुआत प्रस्तावना के साथ कीजिये, जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करती है।
    • हिमनद घाटियों में पाए जाने वाले विविध निक्षेपण स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिये।
    • इन स्थलाकृतियों को रेखाचित्रों की सहायता से भी समझाइये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    प्रस्तावना:

    हिमनद घाटियों का निर्माण ग्लेशियरों के खिसकने से होता है, विशाल हिमपिंड जो अपरदन और निक्षेपण जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से स्थालाकृतियों का निर्माण करते हैं। हिमनद घाटियों में पाई जाने वाली निक्षेपणात्मक स्थलाकृतियों में विविधता होती है, जो हिमनदों के खिसकने की गतिशील प्रकृति को दर्शाती है।

    निकाय:

    हिमनद घाटियों का निर्माण:

    • हिमनद घाटियों के खिसकने से ग्लेशियरों का अपरदन होता है। ग्लेशियर के टूटने और घर्षण जैसी प्रक्रियाएँ परिदृश्य को नष्ट कर देती हैं, जिससे तीक्ष्ण तटों वाली यू-आकार की घाटियों का निर्माण होता है।
    • हिमानी घाटियों में पाई जाने वाली निक्षेपात्मक भू-आकृतियाँ:
      • हिमोढ़ (Moraines):
        • ये ग्लेशियर द्वारा अपरदित और निक्षेपित किये गए चट्टानों,
        • वसादों और टिल सहित असंगठित निक्षेपणात्मक संचय होता है।
        • हिमोढ़ विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे– पार्श्व हिमोढ़, मध्यस्थ हिमोढ़ और अंतस्थ हिमोढ़।
      • ड्रमलिन (Drumlins):
        • ड्रमलिन का निर्माण हिमनद दरारों में भारी चट्टानी मलबे के भरने व उसके बर्फ के नीचे रहने से होता है।
        • ये विशेषताएँ ड्रमलिन के लंबे भाग हिमनद के प्रवाह की दिशा को दर्शाते हैं। जो आमतौर पर ड्रमलिन फ़ील्ड नामक समूहों में पाई जाती हैं।
      • एस्कर (Eskers):
        • एस्कर बजरी और रेत की लंबी, घुमावदार चट्टानें होती हैं, जो ग्लेशियरों के भीतर या नीचे बहने वाली पिघली जल धाराओं द्वारा एकत्रित की गई थीं।
        • ये घुमावदार भू-आकृतियाँ प्रायः कई किलोमीटर तक फैली होती हैं और भूमिगत जल निकासी प्रणाली प्रदान करती हैं।
      • केटल और केटल होल (Kettles and Kettle Holes):
        • केटल हिमनद परिदृश्य में अवसाद होते हैं, जो तब निर्मित होते हैं, जब हिमखंड खिसकते हुए ग्लेशियर से अलग होता है और आसपास के अवसाद अंततः होल को भर देते हैं।
        • केटल होल छोटे होते हैं, प्रायः गोलाकार अवसाद हिमानी धौत मैदानों में पाए जाते हैं।
        • दोनों विशेषताएँ ग्लेशियरों के पिघलने और मंदी का प्रमाण हैं।
      • हिमानी धौत मैदान (Outwash Plains):
        • हिमानी धौत मैदान विशाल समतल या मंद ढाल वाले होते हैं, जो ग्लेशियरों के पीछे हटने के कारण जल धाराओं द्वारा निक्षेपित रेत और बजरी से निर्मित होते हैं।
      • केम (Kames):
        • केम ग्लेशियर की सतह पर या दरारों के भीतर पिघली जल धाराओं द्वारा एकत्रित किये गए रेत और बजरी के अनियमित टीले हैं।
        • ये भू-आकृतियाँ आकार में भिन्न-भिन्न होती हैं और आमतौर पर हिमोढ़ के साथ पाई जाती हैं।

    निष्कर्ष:

    हिमनद घाटियों में पाए जाने वाली विविध निक्षेपण भू-आकृतियाँ हिमनदों और आसपास के परिदृश्य के बीच जटिल अंतःक्रिया का परिणाम हैं। हिमोढ़, ड्रमलिन, एस्कर, केटल, हिमानी धौत मैदान और केम सामूहिक रूप से पुराने हिमनदों के दौरान पृथ्वी की सतह को आकार देने वाली गतिशील प्रक्रियाओं की एक ज्वलंत तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।

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