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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 दिसंबर, 2021

  • 20 Dec 2021
  • 5 min read

अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस

18 दिसंबर को विश्व भर में ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ का आयोजन किया जाता है। दुनिया भर में प्रवासियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2000 में 18 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ के रूप में नामित किया था। साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसी दिवस पर वर्ष 1990 में सभी प्रवासी कामगारों और उनके परिवारों के सदस्यों के अधिकारों के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन को भी अपनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2020 में लगभग 281 मिलियन लोगों को (वैश्विक जनसंख्या का 3.6 प्रतिशत) अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। यद्यपि बहुत से लोग अपनी इच्छा से पलायन करते हैं, किंतु अधिकांश लोगों को आर्थिक चुनौतियों, प्राकृतिक आपदाओं, अत्यधिक गरीबी और संघर्ष जैसे कारणों के चलते मजबूर होकर पलायन करना पड़ता है। ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ 2021 की थीम 'मानव गतिशीलता की क्षमता का दोहन' है। यह विषय प्रवासियों द्वारा अपने ज्ञान, नेटवर्क और कौशल के माध्यम से समुदायों के निर्माण हेतु किये गए महत्त्वपूर्ण योगदान को उजागर करता है। ज्ञात हो कि भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 9 जनवरी को 'प्रवासी भारतीय दिवस' का आयोजन किया जाता है।

हैती का ‘जौमौ सूप’

संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को ने हैती के पारंपरिक सूप को ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ में शामिल कर लिया है। यूनेस्को के मुताबिक, हैती का यह ‘जौमौ सूप’ सिर्फ एक डिश नहीं है, बल्कि यह देश की आज़ादी का प्रतीक है, जो हैती के स्वतंत्रता नायकों और नायिकाओं की कहानी, मानवाधिकारों के लिये उनके संघर्ष एवं उनकी कड़ी मेहनत की कहानी बयाँ करता है। ‘स्क्वैश-आधारित’ यह सूप उन चीज़ों का प्रतीक बन गया, जिन्हें लंबे समय तक फ्राँसीसी वर्चस्व के तहत गुलामों के लिये प्रतिबंधित किया गया था, जब तक कि 'हैती’ ने 1 जनवरी, 1804 को स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की। इस प्रकार हैती विद्रोही अश्वेत दासों द्वारा निर्मित प्रथम राष्ट्र के रूप में सामने आया था। ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ उन अमूर्त विरासतों से मिलकर बनी है जो सांस्कृतिक विरासत की विविधता को प्रदर्शित करने और इसके महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करते हैं। इस सूची का निर्माण वर्ष 2008 में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा पर कन्वेंशन के समय किया गया था।

किदाम्बी श्रीकांत

भारतीय शटलर ‘किदाम्बी श्रीकांत’ ने हाल ही में ‘बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप’ में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। ऐसा करने वाले वह पहले पुरुष भारतीय शटलर बन गए हैं। फाइनल मैच में उनका मुकाबला सिंगापुर के ‘लोह किन येव’ से हुआ, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 

वीरा रानी अब्बक्का

21 दिसंबर, 2021 को ‘वीरा रानी अब्बक्का उत्सव’ का आयोजन किया जाएगा। रानी अब्बक्का, उल्लाल की पहली तुलुव रानी थीं। उन्होंने 16वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पुर्तगालियों से युद्ध लड़ा था। रानी अब्बक्का, चौटा वंश से संबद्ध थीं, जिन्होंने तटीय कर्नाटक (तुलु नाडु) के कुछ हिस्सों पर शासन किया था। इस राजवंश की राजधानी पुट्टीगे थी। बंदरगाह शहर- ‘उल्लाल’ उनकी सहायक राजधानी थी। ‘उल्लाल’ को रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता था, जिसके कारण पुर्तगालियों ने इस पर कब्ज़ा करने के कई प्रयास किये लेकिन रानी ने चार दशकों से अधिक समय तक उनके हमलों को रोका। उनकी बहादुरी के कारण उन्हें ‘अभय रानी’ के नाम से भी जाना जाता है।

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