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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 फरवरी, 2022

  • 18 Feb 2022
  • 7 min read

‘DefExpo-2022’ का आयोजन

गांधीनगर (गुजरात) में 10-13 मार्च के बीच एशिया की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी- ‘DefExpo-2022’ का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन में अब तक 900 से अधिक रक्षा फर्मों और 55 देशों ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। भारत की प्रमुख रक्षा प्रदर्शनी का फोकस देश को एक उभरते रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में पेश करने पर है। इस द्विवार्षिक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे 900 भागीदारों में से 100 से अधिक विदेशी हैं। 1,000-ड्रोन डिस्प्ले इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण होगा। यह दूसरी बार है जब देश में ड्रोन प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा, इससे पूर्व 29 जनवरी को दिल्ली में बीटिंग रिट्रीट के दौरान भी इस प्रकार की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। गौरतलब है कि ‘DefExpo’ के रूप में इस द्विवार्षिक कार्यक्रम की परंपरागत शुरुआत वर्ष 2014 में दिल्ली में की गई थी, जिसके बाद से इसे कई नए स्थानों पर आयोजित किया जा चुका है- गोवा (2016), चेन्नई (2018) और लखनऊ (2020)। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने हेतु कई महत्त्वपूर्ण उपाय किये हैं, जिसमें रक्षा निर्माण में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, स्थानीय रूप से निर्मित सैन्य हार्डवेयर की खरीद के लिये एक अलग बजट बनाना और ऐसे रक्षा हथियारों/उपकरणों की सूची बनाना जिन्हें आयात नहीं किया जा सकता आदि शामिल हैं।

राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक

देश की समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के भारत के प्रयास के तहत सरकार ने वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) ‘जी. अशोक कुमार’ को देश की समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने हेतु भारत का पहला ‘राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक’ (NMSC) नियुक्त किया है। देश को सुरक्षित करने के समग्र उद्देश्य के साथ विभिन्न प्रमुख हितधारकों के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह कदम काफी महत्त्वपूर्ण है। ‘राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक’ देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय’ के समन्वय में काम करेंगे। ‘राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक’ के रूप में जी. अशोक कुमार का प्राथमिक दायित्व भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, तटीय एवं समुद्री सुरक्षा में संलग्न विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और 13 तटीय राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के बीच समन्वय स्थापित करना होगा। गौरतलब है कि सरकार विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनज़र भारत की समुद्री सुरक्षा एवं निगरानी बढ़ाने के लिये सभी समुद्री हितधारकों के बीच सहयोग सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भारत के पास तकरीबन 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, मुंबई आतंकी हमले के बाद से सरकार ने तटीय एवं समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के लिये स्तरित समुद्री निगरानी स्थापित करने सहित कई सुरक्षा उपाय किये हैं। 

कला रामचंद्रन- गुरुग्राम की पहली महिला पुलिस आयुक्त

हरियाणा कैडर की आईपीएस अधिकारी कला रामचंद्रन को गुरुग्राम की पहली महिला पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। वर्ष 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी कला रामचंद्रन ने के.के. राव का स्थान लिया है, जिन्हें गुरुग्राम के पास स्थित पुलिस प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया है। कला रामचंद्रन इससे पहले रेवाड़ी, फतेहाबाद और पंचकुला ज़िलों में पुलिस अधीक्षक के रूप में काम कर चुकी हैं। वह वर्ष 2001 से इंटेलिजेंस ब्यूरो में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थीं और वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक उन्होंने मेघालय में उत्तर पूर्वी पुलिस अकादमी का नेतृत्व किया। अगस्त 2020 में वह अपने गृह कैडर में लौट आई और प्रमुख सचिव (परिवहन) के अलावा हरियाणा पुलिस मुख्यालय में क्राइम अगेंस्ट वूमेन सेल एंड विजिलेंस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्य किया। 

तुर्की के नाम में परिवर्तन

राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के नेतृत्व वाली तुर्की सरकार ने राष्ट्र का नाम तुर्की से बदलकर 'तुर्किये' करने का निर्णय किया है। इस कदम का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि सुधारना और देश के इतिहास को इसके नाम के साथ जोड़ना है। इस संबंध में राष्ट्रपति एर्दोगन द्वारा जारी बयान के अनुसार, 'तुर्किये' नाम देश की संस्कृति एवं सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है और राष्ट्र के मूल्यों का सबसे उपयुक्त तरीके से विवरण प्रस्तुत करता है। राष्ट्र के लिये इस नाम का उपयोग सभी आर्थिक गतिविधियों एवं अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं एवं पत्राचार में किया जाएगा। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार गतिविधियों में इस नाम का उपयोग इसे एक अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड बनाने में भी मदद करेगा। ज्ञात हो कि तुर्की को ‘तुर्क भाषा’ में ‘तुर्किये’ नाम से जाना जाता है। औपनिवेशिक शासन के दौरान देश को लैटिन भाषा में ‘तुर्की’ उपनाम दिया गया था, जो कि समय के साथ इसकी पहचान से जुड़ गया।

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