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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 मार्च, 2021

  • 04 Mar 2021
  • 7 min read

हिमालयन सीरो

हाल ही में असम में पहली बार ‘हिमालयन सीरो’ (HImalayan Serow) को देखा गया है। ‘हिमालयन सीरो’ को असम में 950 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले मानस टाइगर रिज़र्व में देखा गया है, जो कि टाइगर रिज़र्व के स्वस्थ पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत देता है। हिमालयन सीरो बकरी, गधा, गाय तथा सुअर के समान दिखता है। यह बड़े सिर, मोटी गर्दन, छोटे अंग, खच्चर जैसे कान, और काले बालों वाला एक मध्यम आकार का स्तनपायी है। ‘हिमालयन सीरो’ या ‘कैपरीकोर्निस सुमात्रेंसिस’ थार हिमालयी क्षेत्र तक ही सीमित है और इसे ‘मेनलैंड सीरो’ या ‘कैपरीकोर्निस सुमात्रेंसिस’ की उप-प्रजाति माना जाता है। इससे पूर्व दिसंबर 2020 में हिमाचल प्रदेश के स्पीति के पास एक नदी के किनारे स्थानीय लोगों और वन्यजीव अधिकारियों ने हिमालयन सीरो को देखा था। असम और हिमाचल प्रदेश में ‘सीरो’ को देखा जाना इस लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण है कि ये आमतौर पर समुद्र की सतह से 4,270 मीटर की ऊँचाई पर नहीं पाए जाते हैं। हिमालयन सीरो को IUCN की रेड लिस्ट में 'सुभेद्य’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है, जो कि इसे पूर्ण सुरक्षा प्रदान करती है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का प्राथमिक उद्देश्य दुर्घटनाओं और किसी अन्य आपात परिस्थिति को रोकने के लिये आवश्यक सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के स्थापना दिवस पर पहली बार वर्ष 1972 में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, राष्ट्रीय स्तर पर एक गैर-लाभकारी, स्व-वित्तपोषित, त्रिपक्षीय निकाय है। इसे श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय द्वारा 4 मार्च, 1965 को सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर एक स्वैच्छिक आंदोलन शुरू करने के लिये स्थापित किया गया था। यह एक स्वायत्त निकाय है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का उद्देश्य समाज की रक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना और लोगों में एक निवारक संस्कृति तथा वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद आम जनता के बीच सुरक्षा से संबंधित संदेश प्रसारित करने वर्ष सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश में 1.50 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है और इससे भी अधिक संख्या में लोग शारीरिक रूप से अक्षम हो जाते हैं, जिसके कारण पीड़ित परिवारों के साथ-साथ संपूर्ण देश को भारी क्षति का सामना करना पड़ता है। 

विश्‍व श्रवण दिवस

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 03 मार्च को विश्व श्रवण दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य इस संदेश को प्रसारित करना है कि समय पर और प्रभावी देखभाल लोगों को श्रवण बाधिता से मुकाबला करने में मदद कर सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आयोजित किया  जाने वाला यह दिवस श्रवण तंत्रिकाओं की सुरक्षा और निवारक उपायों को अपनाने के लिये की जाने वाली कार्रवाई के बारे में जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। विश्व स्तर पर तकरीबन 1.5 बिलियन लोग पूर्ण अथवा आंशिक रूप से श्रवण बाधिता का सामना कर रहे हैं और इसमें से लगभग 430 मिलियन लोगों को जल्द-से-जल्द पुनर्वास सहायता की आवश्यकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2050 तक विश्व भर में लगभग 2.5 मिलियन लोग या 4 में से 1 व्यक्ति पूर्ण अथवा आंशिक रूप से श्रवण बाधिता से प्रभावित होगा। 

उदयपुर विज्ञान केंद्र

त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस ने हाल ही में उदयपुर विज्ञान केंद्र (त्रिपुरा) का उद्घाटन किया है। उदयपुर विज्ञान केंद्र 22वाँ विज्ञान केंद्र है, जिसे राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (NCSM) द्वारा विकसित करके राज्य सरकार को सौंपा गया है। संस्कृति मंत्रालय की विज्ञान की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये योजना के तहत राज्य सरकारों को विज्ञान केंद्र सौंपे जा रहे हैं। 6 करोड़ रुपए की लागत से विकसित इस केंद्र को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के साथ-साथ त्रिपुरा के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित किया है। यह विज्ञान केंद्र छात्रों को विज्ञान के बारे में कई अज्ञात तथ्यों को जानने में सक्षम करेगा। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (NCSM) द्वारा देश के सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में विज्ञान केंद्र स्थापित किये गए हैं। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1978 को की गई थी।

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