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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 अगस्त, 2021

  • 02 Aug 2021
  • 8 min read

ऊधम सिंह

उप-राष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने क्रांतिकारी और महान देशभक्‍त शहीद ऊधम सिंह के शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्ष 1899 में पंजाब के संगरूर ज़िले के ‘सुनाम’ में पैदा हुए ऊधम सिंह एक राजनीतिक कार्यकर्त्ता थे, जो अमेरिका में रहते हुए गदर पार्टी से जुड़े हुए थे। गदर पार्टी साम्यवादी प्रवृत्ति का एक बहु-जातीय दल था और इसकी स्थापना वर्ष 1913 में सोहन सिंह भाकना द्वारा की गई थी। कैलिफोर्निया स्थित यह दल अंग्रेज़ों को भारत से बाहर निकालने के लिये प्रतिबद्ध था। 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में शामिल लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे। यद्यपि गोली चलाने का आदेश जनरल डायर द्वारा दिया गया था, किंतु ऊधम सिंह समेत अधिकांश लोगों ने माइकल ओ' ड्वायर को इस नरसंहार का ज़िम्मेदार माना, क्योंकि वह उस समय पंजाब के उप-राजपाल था और जनरल डायर उसी के आदेश पर काम कर रहा था। इसी के मद्देनज़र 13 मार्च, 1940 को ऊधम सिंह ने ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ और ‘रॉयल सेंट्रल एशियन सोसाइटी’ की कैक्सटन हिल में एक बैठक में ओ'डायर को गोली मार दी। उन्हें तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया और ब्रिक्सटन जेल भेज दिया गया। इस दौरान उन्होंने पुलिस के बयानों और अदालत की कार्यवाही में स्वयं को ‘मोहम्मद सिंह आज़ाद’ के रूप में संदर्भित किया, जो कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक था। हत्या के अपराध में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई और 31 जुलाई, 1940 को पेंटनविले जेल में फाँसी  दे दी गई। 

मुस्लिम महिला अधिकार दिवस

देश भर में तीन तलाक के खिलाफ कानून के महत्त्व को रेखांकित करने के लिये 01 अगस्त को ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ का आयोजन किया गया। केंद्र सरकार ने 01 अगस्त, 2019 को तीन तलाक की प्रथा को एक कानूनी अपराध घोषित करते हुए कानून अधिनियमित किया था। ध्यातव्य है कि भारत सरकार द्वारा अधिनियमित इस कानून का उद्देश्य तीन तलाक जैसी गंभीर सामाजिक बुराई के खिलाफ कानून लाकर ‘लैंगिक समानता’ सुनिश्चित करना था तथा मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक, मौलिक एवं लोकतांत्रिक अधिकारों को और मज़बूत करना था। इस कानून का उद्देश्य महिलाओं के बीच आत्मनिर्भरता और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देना है, ताकि उन्हें और अधिक सशक्त बनाया जा सके। संसद द्वारा पारित इस अधिनियम के मुताबिक, तलाक की घोषणा को एक संज्ञेय अपराध के रूप में माना जाएगा जिसके लिये जुर्माने के साथ 3 वर्ष की कैद हो सकती है। गौरतलब है कि इस कानून के माध्यम से तीन तलक के मामलों में 82 प्रतिशत की कमी आई है। ‘मिस्र’ पहला मुस्लिम राष्ट्र था जिसने वर्ष 1929 में तीन तलाक नामक सामाजिक बुराई को समाप्त किया था, जिसके पश्चात् सूडान, पाकिस्तान (1956), मलेशिया (1969), बांग्लादेश (1972), इराक (1959), सीरिया (1953) द्वारा इस पर प्रतिबंध लगाया गया।

लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार

प्रसिद्ध व्यवसायी और पुणे स्थित ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ के संस्थापक-अध्यक्ष साइरस पूनावाला को वर्ष 2021 के लिये प्रतिष्ठित ‘लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार’ हेतु चुना गया है। साइरस पूनावाला को कोरोनो वायरस महामारी के दौरान उनके कार्य और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिये सम्मानित किया जाएगा, जहाँ व्यापक स्तर पर कोविशील्ड वैक्सीन का निर्माण किया जा रहा है। ध्यातव्य है कि साइरस पूनावाला और उनकी कंपनी ने सस्ती कीमतों पर अलग-अलग टीके उपलब्ध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ‘लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार’ को वर्ष 1983 में पूर्ण स्वतंत्रता या स्वराज्य (स्व-शासन) के सबसे प्रारंभिक एवं सबसे मुखर प्रस्तावकों में से एक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के सम्मान में स्थापित किया गया था। इस पुरस्कार में एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार और प्राप्तकर्त्ता के लिये एक स्मृति चिह्न शामिल है। इसके प्राप्तकर्त्ताओं में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति शामिल हैं। साइरस पूनावाला का जन्म वर्ष 1941 में हुआ और वर्ष 1966 में उन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की स्थापना की। 

तेंदुओं की डीएनए प्रोफाइलिंग

ओडिशा के ‘वन और पर्यावरण विभाग’ के वन्यजीव संगठन ने राज्य में तेंदुओं की डीएनए प्रोफाइलिंग करने का निर्णय किया है। तेंदुओं की यह डीएनए प्रोफाइलिंग ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (OUAT) के सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ हेल्थ (CWH) के सहयोग से की जाएगी। इस पहल के हिस्से के रूप में उन क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जहाँ तेंदुए पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों से उनके नमूने एकत्र किये जाएंगे, जिन्हें डीएनए प्रोफाइलिंग के लिये सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ हेल्थ में भेजा जाएगा। यह पहल शिकारियों और व्यापारियों से ज़ब्त किये गए जानवरों की त्वचा और अन्य अंगों के अवशेषों के माध्यम से तेंदुओं के बारे में जानने में मदद करेगी। यह प्रणाली वन्यजीव अपराधों, विशेष रूप से तेंदुओं के अवैध शिकार के विरुद्ध लड़ाई में सहायक होगी। वर्ष 2018 तक ओडिशा में तेंदुओं की आबादी लगभग 760 थी। तेंदुओं को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची-I में शामिल किया गया है।

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