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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स : 30 जुलाई, 2021

  • 30 Jul 2021
  • 4 min read

सूर्य की ‘नियर-सर्फेस शीयर लेयर’ 

Near-Surface Shear Layer of the Sun

हाल ही में आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्ज़र्वेशनल साइंसेज़ (ARIES) और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलुरू के भारतीय खगोलविदों ने पहली बार सूर्य की एक ‘नियर-सर्फेस शीयर लेयर’  (Near-Surface Shear Layer- NSSL) के अस्तित्व की सैद्धांतिक व्याख्या की है।

  • ARIES विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।

नियर-सर्फेस शीयर लेयर के बारे में (NSSL):

  •  हेलियोसिज़्मोलॉजी आधारित ऑब्ज़र्वेशन से पता चला है कि भूमध्य रेखा और ध्रुवों के मध्य  परिवर्तित रोटेशन के अलावा सूर्य में एक नियर-सर्फेस शीयर लेयर (NSSL) विद्यमान है।
  • NSSL का  अस्तित्व, जहांँ सूर्य के घूर्णन प्रोफाइल (Rotation Profile) में परिवर्तन होता है, के बहुत निकट मौजूद होता है।
  • यह लेयर/परत सौर सतह के बहुत करीब मौजूद है, जिसमें  भीतरी त्रिज्या के साथ कोणीय वेग तेज़ी से घटता है।
  • माना जाता है कि NSSLबड़े पैमाने पर सूर्य के चुंबकत्व को संचालित करने वाले संवहन पैटर्न (Convective Patterns) की प्रकृति को परिभाषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

नोट: 

  • कोणीय वेग: यह वह समय दर है जिस पर कोई वस्तु एक अक्ष के चारों ओर घूमती है या जिस पर दो निकायों के बीच कोणीय विस्थापन की स्थिति बदलती है।
  • हेलियोसिज़्मोलॉजी (Helioseismology): यह सूर्य के अंदर की गतिविधियों का पता लगाने के लिये ध्वनि तरंगों का उपयोग करने की एक तकनीक है।

अध्ययन का निष्कर्ष:

  • यह व्याख्या करती है कि किस प्रकार सौर ध्रुवों और भूमध्य रेखा (जिसे थर्मल विंड टर्म कहते हैं) के तापमान में मामूली अंतर का संतुलन सोलर डिफरेंशियल रोटेशन की वजह से प्रतीत होने वाले सेंट्रिफुगल फोर्स के कारण होता है। 
  • अपने अध्ययन में उन्होंने तापीय पवन संतुलन समीकरण (Thermal Wind Balance Equation) नामक एक समीकरण का प्रयोग किया है।
  • NSSL को समझना कई सौर परिघटनाओं जैसे- सौर कलंक का निर्माण, सौर चक्र और अन्य ऐसी घटनाओं को समझने में भी मदद करेगा।

सूर्य के विभेदक घूर्णन के बारे में:

  • यह लंबे समय से ज्ञात था कि सूर्य का विभेदक घूर्णन भी है, जिसका अर्थ है कि सूर्य के विभिन्न भाग अलग-अलग गति से घूमते हैं।
    • सूर्य ध्रुवों की तुलना में भूमध्य रेखा पर तेज़ी से घूमता है।
  • समय के साथ सूर्य की विभेदक घूर्णन दर इसके चुंबकीय क्षेत्र की ओर मुड़कर उलझा देती है।
    • चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में स्थित ‘टैंगल्स’ बहुत मज़बूत स्थानीयकृत चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकते हैं।
    • सूर्य की सतह पर ये स्थानीयकृत चुंबकीय क्षेत्र सक्रिय हैं, जहाँ सनस्पॉट होते हैं।
    • इसके अलावा ये सक्रिय क्षेत्र अक्सर सौर तूफान उत्पन्न करते हैं: सौर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs)।

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