लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 23 अप्रैल, 2019

  • 23 Apr 2019
  • 4 min read

स्टार्टअप इकोसिस्टम रैंकिंग

हाल ही में स्टार्टअपब्लिंक ने वर्ष 2018 के लिये स्टार्टअप इकोसिस्टम रैंकिंग जारी की है जिसमें भारत को 100 देशों में से 17वाँ स्थान मिला है।

  • गौरतलब है कि वर्ष 2017 में भारत 37वें स्थान पर था।
  • इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों को उनके स्टार्टअप इकोसिस्टम की ताकत के आधार रैंकिंग दी जाती है।
  • रैंकिंग देते समय 1000 शहरों और 100 देशों के स्टार्टअप इकोसिस्टम को ध्यान में रखा जाता है।
  • भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में बंगलूरू, नई दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई टॉप-100 शहरों में शामिल हैं।
  • पिछले वर्ष भारत में 3800 नए स्टार्टअप लॉन्च किये गए थे।
  • भारतीय स्टार्टअप ने 2018 में 743 समझौतों के ज़रिये 11 बिलियन डॉलर का वित्त प्राप्त किया। रैंकिंग में USA, UK और कनाडा पहले तीन स्थानों पर काबिज़ हैं।

वर्म

वर्म (Worm) एक ऐसा कंप्यूटर कोड है जो उपयोगकर्त्ता की भागीदारी के बिना ही एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फैलता जाता है।

  • अधिकांश वर्म ईमेल अटैचमेंट के रूप में शुरू होते हैं, जिन्हें खोले जाने पर वे कंप्यूटर को संक्रमित कर देते हैं।
  • वर्म किसी वायरस, ट्रोजन या अन्य मैलवेयर की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि उन्हें पकड़ पाना कठिन होता है।
  • वर्म फाइलों को हैक करने के लिये संक्रमित कंप्यूटर को स्कैन करता है। इन फाइलों में एड्रेस बुक या अस्थायी वेब पृष्ठ के साथ ही ईमेल एड्रेस भी शामिल हो सकते हैं।

ट्रोजन हॉर्स

ट्रोजन हॉर्स (Trojan Horse) कंप्यूटर प्रोग्राम के अंदर छुपा एक दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है।

  • यह किसी वैध प्रोग्राम जैसे- किसी स्क्रीन सेवर के अंदर छुपकर कंप्यूटर में प्रवेश करता है।
  • कंप्यूटर में प्रवेश करने के पश्चात् यह ऑपरेटिंग सिस्टम में कोड डालता है, जिससे हैकर कंप्यूटर तक पहुँचने में सक्षम हो जाता है।
  • आमतौर पर ट्रोज़न हॉर्स का प्रसार स्वतः नहीं होता है। यह वायरस, वर्म या डाउनलोड किये गए किसी सॉफ़्टवेयर द्वारा फैलाया जाता है।

यूरोपियन यूनियन उपग्रह

हाल ही में यूनानी विश्वविद्यालय के छात्रों की एक टीम ने उपग्रह का उपयोग करके समुद्र में उपस्थित कूड़े का पता लगाया है।

  • यूरोपीय उपग्रह प्रणाली एक निश्चित समय अंतराल पर पृथ्वी के सभी भागों से गुज़रती है।
  • अतः इन उपग्रहों द्वारा समुद्र में तैरते हुए कूड़ा-करकट का पता लगाया जा सकता है।
  • समुद्र में मौजूद कूड़ा-करकट (जिनमें सबसे ज़्यादा प्लास्टिक पदार्थ होते हैं) समुद्री जीवों जैसे- डॉल्फ़िन, कछुए और सील के लिये सबसे खतरनाक होते हैं।
  • समुद्री कचरा एक वैश्विक समस्या है जो दुनिया के सभी महासागरों को प्रभावित करता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2