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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 17 सितंबर, 2020

  • 17 Sep 2020
  • 13 min read

कोसी रेल महासेतु

KOSI RAIL MAHASETU

18 सितंबर, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु (KOSI RAIL MAHASETU) राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

Bridge

प्रमुख बिंदु:

  • कोसी रेल महासेतु 1.9 किलोमीटर लंबा है और इसकी निर्माण लागत 516 करोड़ रुपए है।

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 1887 में निर्माली एवं भापतियाही (सरायगढ़) के बीच एक मीटर गेज लाइन शुरू की गई थी। किंतु वर्ष 1934 में आई भयानक बाढ़ और भारत-नेपाल में आए भूकंप के कारण यह रेलवे लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। 
  • कोसी नदी की प्रकृति (बार-बार अपवाह मार्ग बदलना) के चलते लंबे समय तक इस रेल मार्ग को शुरू किये जाने का कोई प्रयास नहीं किया गया था।
  • कोसी रेल महासेतु परियोजना के लिये तत्कालीन केंद्र सरकार ने वर्ष 2003-04 में मंज़ूरी दी थी।

महत्त्व:

  • भारत-नेपाल सीमा के करीब होने के कारण इस पुल का रणनीतिक महत्त्व भी है।
  • कोसी रेल महासेतु से न सिर्फ बिहार का विकास होगा बल्कि इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र से भी संपर्क स्थापित हो सकेगा। 

कोसी नदी: 

Kosi-river

  • यह एक सीमापारीय नदी (Trans-Boundary River) है जो तिब्बत, नेपाल एवं भारत से होकर बहती है।
  • यह तिब्बत में हिमालय के उत्तरी ढलानों और नेपाल में दक्षिणी ढलानों से होकर बहती है।
  • चात्रा गार्ज (Chatra Gorge) के उत्तर में सहायक नदियों के एक प्रमुख संगम से कोसी नदी को अपनी सात ऊपरी सहायक नदियों के लिये सप्तकोशी (Saptakoshi) के नाम से भी जाना जाता है।
    • कोसी नदी की 7 धाराएँ हैं जिनमें अरुणा नदी प्रमुख है। 
  • सप्तकोशी भारत के उत्तरी बिहार में कटिहार ज़िले के कुर्सेला के पास गंगा में मिलने से पहले कई शाखाओं में बँट जाती है।
  • यह नदी अपना मार्ग परिवर्तित करने तथा आकस्मिक बाढ़ लाने के लिये प्रसिद्ध है इसलिये इसे बिहार का शोक कहा जाता है।   
  • कोसी नदी के जलग्रहण क्षेत्र में विभिन्न ऊँचाइयों पर अलग-अलग छह भू-वैज्ञानिक एवं जलवायु बेल्ट शामिल हैं जिनमें तिब्बत का पठार, हिमालय, हिमालय मध्य-पहाड़ी बेल्ट, महाभारत श्रंखला, शिवालिक पहाड़ी शामिल हैं।


इम्पैक्ट 2020

IMPACT 2020

16-18 सितंबर, 2020 के मध्य पहली बार आयोजित होने वाले ऑनलाइन सम्मेलन सह कार्यशाला ‘इम्पैक्ट 2020’ (IMPACT 2020) की मेजबानी ‘सशस्त्र सेना मेडिकल कॉलेज’ (Armed Forces Medical College- AFMC) कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस तीन दिवसीय सम्मेलन में लेखकों, समीक्षकों एवं संपादकों के विशिष्ट संकाय शामिल होंगे जो चिकित्सा प्रकाशन में समकालीन मुद्दों पर इंटरेक्टिव सत्र आयोजित करेंगे। 
  • यह सम्मेलन ‘मेडिकल जर्नल आर्म्ड फोर्सेज़ इंडिया’ (Medical Journal Armed Forces India- MJAFI) द्वारा आयोजित किया जा रहा है जो देश की सबसे पुरानी एवं सबसे बड़ी मल्टी स्पेशलिटी शोध पत्रिकाओं में से एक है।
    • पुणे स्थित AFMC के पोर्टलों से प्रकाशित ‘MJAFI’ इस वर्ष अपना 76वाँ प्रकाशन संस्करण उत्सव मना रहा है।
    • पिछले 76 वर्षों में यह जर्नल दुनिया भर के शोधकर्त्ताओं द्वारा लेख प्रस्तुत करने के साथ एक अच्छी तरह से अनुक्रमित चिकित्सा प्रकाशन बन गया है।
  • IMPACT 2020 के हिस्से के रूप में चिकित्सा लेखन पर कार्यशालाओं, समीक्षा, जैव सांख्यिकी, अनुसंधान में नैतिकता जैसे कई सत्र आयोजित होंगे।
  • AFMC के संकाय एवं छात्रों के अलावा देशभर से लगभग 100 प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
  • इस सम्मेलन की टैगलाइन ‘मेक योर रिसर्च काउंट…’ (Make Your Research Count…) है।
  • यह सम्मेलन दुनियाभर में अपने शोध को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने एवं चिकित्सा पद्धति व नीतियों को बदलने हेतु वैज्ञानिक आधार प्रदान करने के लिये चिकित्सा क्षेत्र में वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।

सशस्त्र सेना मेडिकल कॉलेज’

(Armed Forces Medical College- AFMC):

AFMC

  • AFMC, भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे में एक मेडिकल कॉलेज है। इस कॉलेज का प्रबंधन भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया जाता है।
  • इसे मई, 1948 में बीसी रॉय समिति (BC Roy Committee) की सिफारिश पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्नातकोत्तर शिक्षण संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था।
  • AFMC की स्नातक विंग (Undergraduate Wing) को 4 अगस्त, 1962 को स्थापित किया गया था। 


‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये प्राध्‍यापकों के विकास’ पर एक वेबिनार 

A Webinar on ‘Faculty Development for Quality Education’ 

15 सितंबर, 2020 को शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षक पर्व (Shikshak Parv) पहल के तहत ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये प्राध्‍यापकों के विकास’ पर एक वेबिनार का आयोजन किया।  

प्रमुख बिंदु:

  • नई शिक्षा नीति (NEP) के मद्देनज़र शिक्षकों की भूमिकाओं एवं ज़िम्मेदारियों को प्रतिबिंबित करने तथा संकाय के क्षमता विकास एवं कैरियर प्रगति के विभिन्न पहलुओं को समझने के उद्देश्य से इस वेबिनार का आयोजन किया गया।
  • केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति-2020 को आगे बढ़ाने के लिये 8 सितंबर से 25 सितंबर, 2020 तक शिक्षक पर्व मना रहा है। 

एक राष्ट्रीय वेबिनार:

  • 16 सितंबर, 2020 को शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षक पर्व पहल के तहत राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) एवं उन्नत भारत अभियान (UBA) के वॉलंटियर्स के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया।
  • इस वेबिनार में देशभर से राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना, नेहरू युवा केंद्र संगठन एवं उन्नत भारत अभियान के वॉलंटियर्स भी वर्चुअल माध्यमों से शामिल हुए। 
  • इस वेबिनार के आयोजन पर एक हैंडबुक ‘नई शिक्षा नीति- 2020 की सूचनाओं के प्रसार के लिये NSS, NCC, NYKS एवं UBA वॉलंटियर्स के लिये वेब रिसोर्स’ (Web Resources for NSS, NCC, NYKS and UBA Volunteers for Dissemination of Information on New Education Policy 2020) का प्रकाशन भी किया गया।  


जी 20 देशों की पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक (ईएमएम)

Environment Ministerial Meeting (EMM) of the G20 Countries

16 सितंबर, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सऊदी अरब के सुल्तान की अध्यक्षता में जी-20 देशों की पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक (Environment Ministerial Meeting- EMM) आयोजित हुई।

प्रमुख बिंदु:

  • इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवं वन मंत्री ने भारत के राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम (National Coastal Mission Programme) द्वारा किये गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। जिसके तहत भारत सरकार ने देश में कोरल रीफ के संरक्षण के लिये कई कदम उठाए हैं।
    • उन्होंने भू-क्षरण रोकने तथा जलवायु परिवर्तन शमन एवं अनुकूलन के वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये भारत के प्रयासों को भी साझा किया।

राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम

(National Coastal Mission Programme):

  • इस मिशन की परिकल्पना ‘जलवायु परिवर्तन के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना’ (National Action Plan on climate change) के तहत की गई है।    
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल तटीय पर्यावरण का संरक्षण करना बल्कि विकास को बढ़ावा देना, राजस्व उत्पन्न करना और रोज़गार प्रदान करना है।
  • राष्ट्रीय तटीय मिशन में आईसीजेडएम परियोजना (ICZM Project) के सभी चरण शामिल किये गए हैं।
    • भारत सरकार ने तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण, सुरक्षा एवं प्रबंधन के लिये वर्ष 2010 में एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना (Integrated Coastal Zone Management Project- ICZM Project) शुरू की है।

भू-क्षरण कम करने के लिये वैश्विक पहल

(Global Initiative on Reducing Land Degradation):

  • इस वैश्विक पहल का उद्देश्य G-20 सदस्य देशों में भू-क्षरण को रोकने की मौजूदा कार्य योजना पर कार्य करना है। 
  • इसके अलावा वैश्विक स्तर पर सतत् विकास के लक्ष्य व एसडीजी की उपलब्धि पर संभावित प्रभाव को ध्यान में रखते हुए अन्य किसी को नुकसान न पहुँचाने के सिद्धांत का पालन करने के लिये मौजूदा ढाँचे के कार्यान्वयन को मज़बूत करना है।

वैश्विक कोरल रीफ अनुसंधान एवं विकास में वृद्धि का मंच

(Global Coral Reef R&D Accelerator Platform):

  • यह एक अभिनव पहल है जिसका उद्देश्य वैश्विक अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम तैयार करना है जो कोरल रीफ संरक्षण, पुनर्स्थापन एवं अनुकूलन के सभी पहलुओं में अनुसंधान, नवाचार एवं क्षमता निर्माण को गति देकर इस दिशा में किये गए प्रयासों को मज़बूत करता हो।
  • इसके अलावा इस पहल का उद्देश्य कोरल रीफ के संरक्षण एवं उनके नुकसान को रोकने  के लिये किये गए उपायों एवं प्रतिबद्धताओं को मज़बूती प्रदान करना है।
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