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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 15- 07- 2019

  • 15 Jul 2019
  • 10 min read

भारत के प्रधानमंत्रियों पर संग्रहालय

Museum on Prime Ministers of India

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (Central Public Works Department- CPWD) ने तीन मूर्ति भवन परिसर में ‘भारत के प्रधानमंत्रियों पर संग्रहालय’ (Museum on Prime Ministers of India) को पूरा करने की समय-सीमा 1 मार्च, 2020 निर्धारित की है।

  • इस संग्रहालय पर लगभग 66 करोड़ रुपए व्यय किये जाएंगे।
  • संग्रहालय के बनने पर इसे संस्कृति मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा।
  • तीन मूर्ति मेमोरियल का निर्माण वर्ष 1922 में जोधपुर, हैदराबाद और मैसूर की रियासतों ने भारतीय सैनिकों की याद में किया था।
  • प्रतिष्ठित तीन मूर्ति भवन पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का आधिकारिक निवास था और बाद में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में उनकी स्मृति में इसे नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी (Nehru Memorial Museum and Library- NMML) के रूप में स्थापित कर दिया गया।

Spektr-RG

  • हाल ही में रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस (Roscosmos) ने जर्मनी के साथ एक संयुक्त परियोजना के तहत कज़ाखस्तान के बैकोनूर में कॉस्मोड्रोम से अंतरिक्ष दूरबीन (Space Telescope) लॉन्च की।
  • Spektr-R जिसे ‘रूसी हबल’ के रूप में जाना जाता है, को प्रतिस्थापित करने के लिये जर्मनी के सहयोग से Spektr-RG को विकसित किया गया है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व ही Spektr-R ने नियंत्रण खो दिया था।
  • ब्लैक होल, न्यूट्रॉन सितारों और चुंबकीय क्षेत्रों का निरीक्षण करने के लिये वर्ष 2011 में Spektr-R को लॉन्च किया गया था।
  • वर्ष 2011 के बाद से रूस एकमात्र ऐसा देश रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station-ISS) में टीमों को भेजने में सक्षम है।

कारगिल विजय दिवस

Kargil Vijay Diwas

वर्ष 2019 ऑपरेशन विजय की सफल परिणति की 20वीं वर्षगाँठ है, जिसमें भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की थी।

  • कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगाँठ की थीम 'रिमेंबर, रिजॉइस एंड रिन्यू' (‘Remember, Rejoice and Renew’) को जीवंत करती है।
  • इस युद्ध को जीतने के लिये सेना ने दुर्गम बाधाओं, दुश्मन के इलाकों, विपरीत मौसम एवं अन्य कठिनाइयों को पार करते हुए दुश्मन के नापाक इरादों को नाकाम कर दिया था।
  • राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, नई दिल्ली से कारगिल युद्ध स्मारक, द्रास तक एक विजय मशाल की यात्रा (रिले) निकाली जाएगी।
  • विजय मशाल कारगिल युद्ध के शहीदों के बलिदान का प्रतीक है।
  • यह मशाल यात्रा भारतीय सेना के उत्कृष्ट खिलाड़ियों और युद्ध नायकों के संचालन में उत्तर भारत के नौ प्रमुख कस्बों एवं शहरों से होते हुए अंत में 26 जुलाई, 2019 को द्रास स्थित कारगिल युद्ध स्मारक पर समाप्त होगी।

विजय मशाल

  • विजय मशाल का डिज़ाइन भारतीय सेना में मातृभूमि के लिये सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमर सैनिकों के धैर्य, हिम्मत और गौरव से प्रेरित है।
  • मशाल तांबे, पीतल और लकड़ी से बनी है जो हमारे बहादुर नायकों के तप एवं दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
  • मशाल के ऊपरी हिस्से में धातु की अमर जवान नक्काशी है, जो शहीद सैनिकों का प्रतीक है।
  • मशाल के लकड़ी वाले निचले हिस्से में अमर जवान के 20 स्वर्ण शिलालेख हैं जो कारगिल विजय के 20 गौरवशाली वर्षों को दर्शाते हैं।

दलाई लामा का उत्तराधिकारी

हाल ही में चीन ने भारत से तिब्बती गुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी को मान्यता नहीं देने का आग्रह किया।

  • चीन के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों के अनुसार, दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चीन की सरकार की मान्यता मिलनी चाहिये और दलाई लामा का चयन देश के भीतर 200 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक प्रक्रिया के तहत ही होना चाहिये।
  • उत्तराधिकार के मुद्दे पर भारत के किसी भी प्रकार के दखल का प्रत्यक्ष प्रभाव दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ सकता है।
  • दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव एक ऐतिहासिक,धार्मिक एवं राजनीतिक मुद्दा है।
  • अतः इनके उत्तराधिकार पर निर्णय उनकी निजी इच्छा अथवा दूसरे देशों में रहने वाले लोगों के गुट द्वारा नहीं लिया जाता है।

दलाई लामा

  • दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे नए विद्यालयों में से एक गेलुग या ‘येलो हैट’ तिब्बती बौद्ध धर्म स्कूल के अग्रणी आध्यात्मिक नेता को तिब्बती लोगों द्वारा दी गई एक उपाधि है।
  • 14वें तथा वर्तमान दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो (Tenzin Gyatso) हैं।
  • दलाई लामाओं को अवलोकितेश्वरा या चेनरेज़िग, कम्पासियन के बोधिसत्व और तिब्बत के संरक्षक संत की अभिव्यक्ति माना जाता है।
  • बोधिसत्व सभी संवेदनशील प्राणियों के लाभ के लिये बुद्धत्व प्राप्त करने की इच्छा से प्रेरित हैं, जिन्होंने मानवता की मदद के लिये दुनिया में पुनर्जन्म लेने की कसम खाई है।

बिना बिजली के विलवणीकरण की प्रक्रिया

TIFR desalinates seawater without electricity

हाल ही में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research-TIFR) के शोधकर्त्ताओं ने बिजली का उपयोग किये बिना समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिये उसका विलवणीकरण (Desalinate) किया है।

  • अन्य पारंपरिक तरीकों के इतर शोधकर्त्ताओं ने इसके लिये सोने के नैनोकणों का प्रयोग किया, जिन्हें समुद्री जल को पीने योग्य पानी में परिवर्तित करने के लिये किसी बाहरी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इसके अतिरिक्त सोने के नैनोकणों का प्रयोग कार्बन डाइऑक्साइड को मीथेन में बदलने के लिये भी किया जा सकता है।
  • हालाँकि यह केवल प्रारंभिक अध्ययन ही है। शोधकर्त्ताओं के समक्ष अगली सबसे बड़ी चुनौती सोने को किसी सस्ती धातु के साथ प्रतिस्थापित करना है ताकि इस प्रक्रिया को मितव्ययी बनाया जा सके।

लॉगरहेड कछुए

Loggerhead Turtles

हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, केप वर्डे (Cape Verde) के एक प्रमुख प्रजनन क्षेत्र में पैदा होने वाले लॉगरहेड कछुओं (Loggerhead turtles) की नई पीढ़ी जलवायु परिवर्तन के कारण संभवतः मादा ही होगी।

Loggerhead Turtles

  • केप वर्डे मध्य अटलांटिक महासागर में स्थित एक द्वीपीय देश है।
  • कछुओं के लिंग का निर्धारण इन्क्यूबेशन (Incubation) के तापमान के आधार पर किया जाता है और गर्म तापमान मादा कछुओं के अनुकूल होता है। यदि उच्च कार्बन उत्सर्जन जारी रहता है तो 90% से अधिक नर कछुओं पर इसका घातक प्रभाव पड़ सकता है।
  • वर्तमान उत्सर्जन परिदृश्य के तहत वर्ष 2100 तक लगभग 99.86% कछुओं के बच्चे मादा होंगे। वर्तमान में केप वर्डे में 84% बच्चे मादा हैं।
  • केप वर्डे लॉगरहेड कछुओं का तीसरा सबसे बड़ा केंद्र है।
  • द इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर ने लॉगरहेड कछुओं को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा है।
  • लॉगरहेड समुद्री कछुओं को उनके बड़े सिर के कारण यह नाम दिया गया है।
  • लॉगरहेड्स कछुए भूमध्यसागर में सबसे ज़्यादा पाए जाते हैं, इनके घोंसले ग्रीस और तुर्की से लेकर इज़राइल एवं लीबिया के समुद्र तटों पर पाए जाते हैं।
  • समुद्री कछुए न केवल सरीसृपों के एक समूह के प्रतिनिधि हैं, बल्कि समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों में एक मूल कड़ी के रूप में भी उपस्थित है।
  • यह प्रवाल भित्तियों और समुद्री शैवाल को संरक्षित रखने में भी मदद करते हैं।
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