लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 01 जुलाई, 2019

  • 01 Jul 2019
  • 7 min read

पुदुचेरी वाटर रिच मॉडल

Puducherry Water Rich Model

पुदुचेरी वाटर रिच मॉडल शहरी नालों और ग्रामीण नहरों के लिये एक महत्त्वपूर्ण मॉडल है जिसके तहत जल धारण क्षमता में सुधार करने हेतु गाद निकाला जाएगा।

  • इस मॉडल को पुदुचेरी प्रशासन और आम जनता के आपसी सहयोग से किया जाएगा।
  • इस मॉडल के अंतर्गत प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सभी जल निकायों एवं नालियों की निगरानी करने के साथ ही मानचित्रण भी सुनिश्चित किया जाएगा।
  • लाभ
    • श्रमदान के लिये स्थानीय समुदाय को जोड़ते हुए जल निकायों की निगरानी
    • स्थानीय समुदायों की यह भागीदारी
    • निकटतम उद्योग या संस्थानों का सहयोग
  • इस मॉडल के तहत किसानों को गाद निकालने की अनुमति (निःशुल्क) देता है। उल्लेखनीय है कि यह गाद खेतों से बहकर आई मिट्टी होती है जो पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
  • हाल ही में इस मॉडल के अंतर्गत सभी योगदानकर्ताओं को प्रशासन द्वारा स्वच्छता ही सेवा (Swachta Hi Sewa) पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

संपदा शुल्क

Estate duty

सरकार अपने व्यय और राजस्व को संतुलित करने के लिये वर्ष 1985 में खत्म किये गए संपदा शुल्क को दोबारा अस्तित्व में ला सकती है।

  • भारत में संपदा शुल्क (Estate duty) को वर्ष 1953 में लागू किया गया था।
  • जब किसी संपत्ति के मालिक की मृत्यु हो जाती थी और वह संपत्ति उसके किसी उत्तराधिकारी को हस्तांतरित हो जाती थी, तब संपदा शुल्क लगाया जाता था।
  • इसमें कर की मात्रा का निर्धारण, हस्तांतरित की गई संपत्ति के आधार पर किया जाता था।
  • संपदा शुल्क के अंतर्गत कर की अधिकतम दर 40 प्रतिशत थी, जोकि केवल उन्ही संपत्तियों पर लगाई जा सकती थी जिनका मूल्य 50 लाख से अधिक था।
  • इस शुल्क को हटाने का मुख्य कारण यह था कि इससे प्राप्त होने वाला राजस्व, इसके प्रशासन पर किये जाने वाले खर्च से बहुत कम होता था जिसके कारण सरकार को इससे कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता था।
  • इस शुल्क में सभी प्रकार की संपत्तियों जैसे - चल संपत्ति, अचल संपत्ति, रिहायशी मकान, आदि को शामिल किया जाता है।

‘INS शिवालिक’ और ‘सिंधुशक्ति’

INS 'Shivalik' and 'Sindhukirti'

हाल ही में रक्षा मंत्री ने भारतीय नौसेना द्वारा निर्मित स्वदेशी युद्धपोत ‘INS शिवालिक’ और स्वदेशी पनडुब्बी ‘सिंधुशक्ति’ का दौरा किया है।

INS शिवालिक

  • INS शिवालिक राडार से बच निकलने वाला भारत का पहला युद्धपोत है जिसे प्रोजेक्ट 17 के तहत बनाया गया है।
  • इस युद्धपोत के निर्माण में लगभग 80 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का प्रयोग किया गया है।
  • INS शिवालिक मिसाइलों, हेलीकॉप्टरों, बंदूकों और युद्ध प्रबंधन प्रणाली से लैस है। INS शिवालिक किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने में सक्षम है।
    • युद्ध प्रबंधन प्रणाली जहाज़ पर सभी हथियारों और सेंसर को प्रभावी ढंग से समन्वयित करने का कार्य करता है।
  • INS शिवालिक के निर्माण में प्रयोग किये गए विशेष वायुगतिकी (Special Aerodynamics), उपकरण और सामग्री इसे राडार से बच निकलने में सहायता करते हैं।
  • भारत के अतिरिक्त अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्राँस, स्वीडन, जापान, इटली और चीन के पास भी इस प्रकार के युद्धपोत के निर्माण की क्षमता है।

प्रोजेक्ट 17- शिवालिक श्रेणी के युद्धपोत

  • प्रोजेक्ट 17 भारतीय नौसेना में शिवालिक युद्धपोतों की एक पूरी श्रेणी से संबंधित परियोजना है।
  • प्रोजेक्ट 17 के तहत निर्मित INS शिवालिक, INS सह्याद्री और INS सतपुड़ा पूरी तरह से भारत में निर्मित युद्धपोत हैं।

पनडुब्बी सिंधुशक्ति

  • नौसेना में सबसे पुरानी पनडुब्बियों में से एक ‘सिधुशक्ति’ एक डीज़ल-इलेक्ट्रिक क्लास पनडुब्बी (Diesel-Electric Class Submarine) है जो टॉरपीडो, मिसाइल और यहाँ तक ​​कि बारूद के बमों को भी लॉन्च कर सकता है।
  • आधुनिक सेंसर से युक्त हथियारों और प्रणालियों के साथ पुनर्निर्मित पनडुब्बी सिंधुशक्ति को वर्ष 1990 में नौसेना के बेड़े में शामिल की गई थी।

राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन

National Film Heritage Mission- NFHM

राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन देश की सिनेमाई विरासत को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिये सूचना और प्रसारण मंत्रालय की एक महत्त्वपूर्ण पहल है।

  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन को वर्ष 2017 में लॉन्च किया था।
  • नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया (National Film Archive of India- NFAI) इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिये नोडल संस्था है।
  • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से फिल्‍मों की करीब डेढ़ लाख रीलों का संरक्षण तथा लगभग 3500 फिल्‍मों का डिजिटलीकरण करना है।
  • इसके तहत लगभग दो हजार फिल्‍मों के चित्रों और ध्‍वनियों को ठीक करना, संरक्षण सुविधाएँ विकसित करना और इन सब कार्यों के लिये पर्याप्‍त मात्रा में मानव संसाधन बल को प्रशिक्षित किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
  • फिल्‍मों पर अनुसंधान करने वालों के लिये एक नई डिजिटल लाइब्रेरी तथा व्‍यक्‍तिगत रूप से फिल्‍में देख पाने के लिये अलग सुविधा भी होगी।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2