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प्रारंभिक परीक्षा

आईबीबीआई विनियम, 2017 में संशोधन

  • 17 Jun 2022
  • 4 min read

हाल ही में भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड द्वारा भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (शिकायत व शिकायत प्रबंधन प्रक्रिया) विनियमन, 2017 तथा भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण व जाँच) विनियमन, 2017 में संशोधन किया गया है। 

आईबीबीआई विनियम, 2017 

  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (शिकायत व शिकायत प्रबंधन प्रक्रिया) विनियमन, 2017: 
    • यह दिवाला पेशेवरों, दिवाला पेशेवर एजेंसियों और उपयोगी सूचना के खिलाफ दायर शिकायतों एवं शिकायतों के निवारण के लिये एक तंत्र प्रदान करता है।  
  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण व जाँच) विनियमन, 2017: 
    • यह दिवाला पेशेवर एजेंसियों, दिवाला पेशेवरों और उपयोगी सूचनाओं पर निरीक्षण और जाँच करने और अनुशासन समिति द्वारा आदेश पारित करने हेतु एक तंत्र प्रदान करता है। 

संशोधन की मुख्य विशेषताएंँ: 

  •  संशोधन की मुख्य विशेषताओं के बारे में: 
    • वर्तमान तंत्र में देरी के मुद्दे को संबोधित करने के लिये (शिकायत व शिकायत प्रबंधन प्रक्रिया) विनियमन, 2017 और (निरीक्षण एवं जाँच) विनियमन, 2017 में प्रदान की गई प्रवर्तन प्रक्रिया से संबंधित विभिन्न समयसीमा में संशोधन। 
    • दिवाला पेशेवरों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की जाँच के माध्यम से IP को विनियमित करने में IPAs (Insolvency Professional Agency) की प्रभावी भागीदारी। 
    • अनुशासन समिति (DC) के आदेश के परिणाम के बारे में लेनदारों की समिति (CoC)/ निर्णायक प्राधिकरण (AA) को सूचना प्रदान करना। 
  • संशोधन का कारण: 
    • शीघ्र निवारण किया जा सके और सेवा प्रदाताओं पर अनुचित बोझ डालने से बचा जा सके। 

भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड: 

  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) की स्थापना दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता,  2016 के तहत 1 अक्तूबर, 2016 को हुई थी। 
  • यह संहिता के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार पारिस्थितिकी तंत्र का एक प्रमुख स्तंभ है जो कॉर्पोरेट व्यक्तियों, साझेदारी फर्मों और व्यक्तियों के पुनर्गठन तथा दिवाला समाधान से संबंधित कानूनों को समयबद्ध तरीके से समेकित एवं संशोधित करता है ताकि ऐसे व्यक्तियों की संपत्ति के मूल्य को अधिकतम किया जा सके। उद्यमशीलता, ऋण की उपलब्धता को बढ़ावा देने के साथ ही सभी हितधारकों के हितों को संतुलित करता है। 
  • यह एक अद्वितीय नियामक है क्योंकि यह पेशे के साथ-साथ प्रक्रियाओं को भी नियंत्रित करता है। 
  • यह दिवाला पेशेवरों, दिवाला व्यावसायिक एजेंसियों, दिवाला व्यावसायिक संस्थाओं और सूचना उपयोगिताओं की नियामक निगरानी करता है। 
  • इसे देश में मूल्यांकनकर्त्ताओं के पेशे के विनियमन और विकास के लिये कंपनी (पंजीकृत मूल्यांकनकर्त्ता एवं मूल्यांकन नियम), 2017 के तहत 'प्राधिकरण' के रूप में भी नामित किया गया है।

 

स्रोत: पी.आई.बी. 

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