प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 10 जून से शुरू :   संपर्क करें
ध्यान दें:

Mains Marathon

  • 02 Sep 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    दिवस-42. भारतीय प्रवासी विश्व में सबसे अधिक और सबसे प्रभावशाली प्रवासियों में से एक हैं। भारत के लिये इसके महत्त्व के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए मातृभूमि के साथ इनके समन्वय से संबंधित आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • विश्व में भारतीय प्रवासियों के आकार और प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए एक संक्षिप्त अवलोकन प्रदान कर अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • भारत के लिये प्रवासी भारतीयों के महत्त्व हेतु विभिन्न आयामों पर चर्चा कीजिये। इसके अतिरिक्त, उदाहरण, आँकड़े या उपाख्यान भी लिखिये।
    • भारत आपसी फायदे के लिये प्रवासी भारतीयों के साथ अपने संबंधों को कैसे मज़बूत कर सकता है, इस पर एक दूरदर्शी परिप्रेक्ष्य के साथ निष्कर्ष लिखिये।

    भारतीय प्रवासी उन लोगों के लिये एक व्यापक शब्द है जो उन क्षेत्रों से प्रवास कर गए हैं जो वर्तमान भारत गणराज्य का भाग है और उनके वंशजों के लिये भी। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, विश्व का सबसे बड़ा प्रवासी भाग भारत का है, वर्ष 2020 के डेटा के अनुसार लगभग 18 मिलियन भारतीय नागरिक विदेश में निवासरत हैं। भारत और विश्व के राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भारतीय प्रवासी समूह की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

    इस परिप्रेक्ष्य में कुछ महत्त्वपूर्ण पहलू इस प्रकार हैं:

    • प्रवासी कूटनीति: भारतीय प्रवासी आपसी समझ एवं सहयोग को बढ़ावा देकर भारत और उसके मेज़बान देशों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य कर सकते हैं। वे भारत के राष्ट्रीय हितों की वकालत भी कर सकते हैं और इसकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन भी कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये, अमेरिका में भारतीय प्रवासियों ने वर्ष 2008 में यू.एस.भारत नागरिक परमाणु समझौता विधेयक का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • विप्रेषण: भारतीय प्रवासी भारत के लिये विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख स्रोत हैं, जिन्होंने वर्ष 2022 के प्रेषण में 108 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आदान-प्रदान किया, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद(GDP) का 3% था। विप्रेषण से भारत में घरेलू उपभोग, निवेश और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने में सहायता मिलती है।
    • तकनीकी विकास और उद्यमिता: भारतीय प्रवासियों ने भारत और विदेशों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार की प्रगति में योगदान दिया है। कई प्रवासी भारतीयों ने आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की है, जिससे समाज को लाभ पहुँचाने वाले नए उत्पाद एवं सेवाएँ तैयार हुईं। उनमें से कुछ ने सफल स्टार्ट-अप और व्यवसाय भी स्थापित किये हैं जो रोज़गार तथा पूंजी निर्माण में सहायक हैं।
    • सांस्कृतिक प्रसार: भारतीय प्रवासियों ने विश्व भर में भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों के प्रसार में सहायता की है, जिससे भारत की सॉफ्ट पॉवर और वैश्विक छवि में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने अपनी सामाजिक विविधता और बहुलवाद को समृद्ध करते हुए, अपनी भाषाई, धार्मिक एवं कलात्मक विरासत को भी संरक्षित कर बढ़ावा दिया है।

    भारतीय प्रवासी देश के लिये एक मूल्यवान संपत्ति और समस्त भारतीयों के लिये गर्व का स्रोत हैं। सरकार प्रवासी भारतीयों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने और भारत की विकास गाथा में उनकी भूमिका बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है। हालाँकि, इस बीच कुछ चुनौतियाँ और मुद्दे भी हैं जिनका समाधान खोजने की आवश्यकता है, जैसे:

    • सांस्कृतिक और पीढ़ीगत भिन्नता: गुज़रते समय के साथ भारतीय प्रवासी अपने सांस्कृतिक मूल से पृथक हो सकते हैं, उन्हें भविष्य में भारत के साथ मज़बूत संबंध बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, मूलतः उनकी युवा पीढ़ियों को जो उनके द्वारा अपनाए गए देशों में जन्म लेंगी।
    • पहचान का संकट: भारतीय प्रवासियों के कुछ सदस्यों को अपने मेज़बान देशों में आत्मसात होने या हाशिये पर रहने के कारण अपनी पैतृक मूल के साथ संबंध या आत्मीयता की क्षति का अनुभव हो सकता है।
    • राजनैतिक मतभेद: भारतीय प्रवासियों में विविधता प्रायः अलग-अलग राजनैतिक विचारों और संबद्धताओं को जन्म देती है, जो कभी-कभी भारतीय हितों को बढ़ावा देने के प्रयासों के समन्वय में विभाजन तथा चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती है।
    • दोहरी निष्ठा: भारतीय प्रवासी सदस्य प्रायः आश्रित देशों और भारत दोनों के प्रति दोहरी निष्ठा रखते हैं। ऐसी निष्ठा को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, मूलतः उन परिस्थितियों में जहाँ दोनों देशों के हित भिन्न-भिन्न हों।
    • वैधानिक और नीतिगत बाधाएँ: कुछ देशों में सख्त आप्रवासन और वीज़ा नीतियाँ हैं, जिससे प्रवासी सदस्यों के लिये भारत का दौरा करना या निवेश करना मुश्किल हो जाता है। ये वैधानिक और नीतिगत बाधाएँ मातृभूमि के साथ उनके जुड़ाव में बाधा बन सकती हैं।
    • भाषा रूपी बाधा: भाषा एक महत्त्वपूर्ण बाधा हो सकती है, मूलतः युवा पीढ़ी के लिये क्योंकि हो सकता है कि वे भारतीय भाषाओं में पारंगत न हों। जिसके परिणामस्वरूप उनकी भारतीय विरासत से जुड़ने की क्षमता सीमित हो सकती है।

    भारतीय प्रवासी भारत के लिये एक मूल्यवान संपत्ति हैं, इसकी क्षमता को समझते हुए सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस, पी.आई.ओ., ओ.आई.सी., भारत को जानें कार्यक्रम, मदद पोर्टल, ई-माइग्रेट परियोजना, प्रवासी बच्चों के लिये छात्रवृत्ति कार्यक्रम आदि जैसी विभिन्न नीतियों की शुरूआत की है। इन सभी पहलों में संस्थागत तंत्र को मज़बूत करने, वीज़ा मानदंडों को आसान बनाने, दोहरी नागरिकता या दीर्घकालिक वीज़ा प्रदान करने, संसद में मतदान अधिकार या प्रतिनिधित्व प्रदान करने, कराधान नियमों को आसान बनाने जैसे उपायों के माध्यम से उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान करने की अभी भी आवश्यकता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2