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Mains Marathon

  • 31 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    दिवस-40. अतिचालकता (superconductivity) की अवधारणा और आधुनिक प्रौद्योगिकी में इसके महत्त्व की व्याख्या कीजिये। व्यावहारिक अनुप्रयोगों के उदाहरण देते हुए इससे मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डालिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अतिचालकता और इसकी बुनियादी विशेषताओं का संक्षिप्त विवरण देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • अतिचालकता के अनुप्रयोगों पर चर्चा करते हुए आधुनिक प्रौद्योगिकी तथा विभिन्न क्षेत्रों में अतिचालकता के महत्त्व पर प्रकाश डालिये, साथ ही इसके लाभों पर भी चर्चा कीजिये।
    • मुख्य बिंदुओं का सारांश बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    अतिचालकता एक ऐसी घटना है जहाँ कुछ सामग्रियां शून्य विद्युत प्रतिरोध प्रदर्शित करती हैं और क्रांतिक तापमान से नीचे ठंडा होने पर चुंबकीय क्षेत्र समाप्त कर देती हैं। इसका तात्पर्य यह है कि एक सुपरकंडक्टर के माध्यम से विद्युत धारा बिना किसी ऊर्जा हानि के प्रवाहित हो सकती है। अतिचालकता का तात्पर्य पूर्ण प्रतिचुंबकत्व से भी है, जिसका अर्थ है कि एक अतिचालक किसी भी बाहरी चुंबकीय क्षेत्र को प्रतिकर्षित करेगा और इसे अप्रभावी करने के लिये अपना स्वयं का विपरीत चुंबकीय क्षेत्र बनाएगा। इसे मैस्नर प्रभाव (Meissner Effect) के नाम से जाना जाता है।

    आधुनिक तकनीक में अतिचालकता के कई संभावित अनुप्रयोग हैं खासकर ऊर्जा, परिवहन, चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में।

    इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों के कुछ उदाहरण:

    • सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट: ये शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेट हैं जो उच्च और स्थिर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिये सुपरकंडक्टिंग कॉइल्स का उपयोग करते हैं। इनका उपयोग चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) मशीनों में किया जाता है, जिनका व्यापक रूप से चिकित्सा निदान और अनुसंधान के लिये उपयोग किया जाता है।
      • इनका उपयोग कण त्वरक में भी किया जाता है, जैसे कि लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC), जिसमें पदार्थ की मौलिक प्रकृति का अध्ययन करने के लिये उप-परमाणु कणों को तीव्र करने के साथ इनके बीच टक्कर कराना शामिल है।
      • सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट का उपयोग चुंबकीय उत्तोलन (मैग्लेव) ट्रेनों के लिये भी किया जा सकता है, जो घर्षण और वायु प्रतिरोध को कम करके अत्यधिक तीव्र गति एवं दक्षता हासिल कर सकती हैं।
    • सुपरकंडक्टिंग केबल: ये ऐसे विद्युत तार हैं जिनमें न्यूनतम विद्युत हानि के साथ विद्युत संचारित करने के लिये सुपरकंडक्टिंग सामग्री का उपयोग होता है।
      • ये पावर ग्रिड के प्रदर्शन और विश्वसनीयता में सुधार कर सकते हैं, साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन एवं लागत को भी कम कर सकते हैं।
      • ये सौर एवं पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लंबी दूरी के संचरण को भी सक्षम कर सकते हैं।
    • सुपरकंडक्टिंग डिवाइस: ये इलेक्ट्रॉनिक और रेडियो फ़्रीक्वेंसी डिवाइस हैं जिनमें तेज़ और संवेदनशील संचालन प्राप्त करने के लिये सुपरकंडक्टिंग घटकों का उपयोग होता है।
      • इनमें सुपरकंडक्टिंग क्वांटम इंटरफेरेंस डिवाइस (SQUIDs) शामिल हैं, जो बहुत संवेदनशील मैग्नेटोमीटर हैं जिनसे बेहद कमज़ोर चुंबकीय क्षेत्रों को मापा जा सकता है।
      • भू-भौतिकी, चिकित्सा, सुरक्षा और क्वांटम कंप्यूटिंग में भी इसके अनुप्रयोग हैं।
      • इसमें जोसेफसन जंक्शन और रैपिड सिंगल फ्लक्स क्वांटम (RSFQ) तकनीक भी शामिल है, जो सुपरकंडक्टर्स में क्वांटम टनलिंग प्रभाव पर आधारित है।
      • ये कंप्यूटर, राउटर और मेमोरी चिप्स जैसे उच्च गति वाले डिजिटल सर्किट के प्रचालन को सक्षम कर सकते हैं।

    अतिचालकता के लाभ:

    • शून्य विद्युत प्रतिरोध: प्रतिरोध की अनुपस्थिति का मतलब है कि सुपरकंडक्टिंग सिस्टम से बिना किसी ऊर्जा हानि का प्रवाह हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक दक्षता होने के साथ परिचालन लागत में कमी आती है।
    • उच्च चुंबकीय क्षेत्र: सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट पारंपरिक मैग्नेट की तुलना में अधिक मज़बूत चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में अधिक शक्तिशाली अनुप्रयोग सक्षम हो सकते हैं।
    • परिशुद्धता और संवेदनशीलता: स्क्विड जैसे सुपरकंडक्टिंग उपकरण अविश्वसनीय रूप से छोटे चुंबकीय क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं, जो उन्हें संवेदनशील माप के लिये अपरिहार्य बनाते हैं।
    • ऊर्जा की खपत में कमी: सुपरकंडक्टिंग से विद्युत वितरण के दौरान नष्ट होने वाली ऊर्जा की मात्रा को काफी कम किया जा सकता है, जिससे ऊर्जा संरक्षण में योगदान मिलता है।
    • तेज़ और संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स को सक्षम बनाना: इससे तेज़ और संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सुविधा मिलती है। इससे क्वांटम कंप्यूटिंग, हाई-स्पीड संचार और डेटा स्टोरेज के लिये नई संभावनाएँ भी सृजित होती हैं।

    अतिचालकता के आधुनिक प्रौद्योगिकी पर कई प्रभाव हैं। इससे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये दक्षता, प्रदर्शन और कार्यक्षमता के मामले में कई लाभ मिलते हैं। हालाँकि इससे संबंधित कुछ चुनौतियों तथा सीमाओं का भी सामना करना पड़ता है जिन्हें दूर करने के लिये आगे के शोध और विकास की आवश्यकता है। दक्षता, संवेदनशीलता और नवीनता सहित इसके द्वारा प्रदान किये जाने वाले लाभ अनुसंधान एवं अनुप्रयोग विकास में सहायक हैं।

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