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Mains Marathon

  • 24 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस-34. व्यावसायिक क्षेत्रों में ईमानदारी का पालन, निर्णयों एवं कार्यों को सही दिशा में निर्देशित करने हेतु एक नैतिक दिशा-निर्देश के रूप में कार्य क्यों करता है? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उदाहरणों के साथ सत्यनिष्ठा को परिभाषित करते हुए शुरुआत कीजिये।
    • चर्चा करें कि नैतिक निर्णय में सत्यनिष्ठा एक नैतिक दिशासूचक के रूप में कैसे कार्य करती है?
    • चर्चा करें कि व्यावसायिक क्षेत्र में सत्यनिष्ठा कैसे स्थापित की जा सकती है?
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    "सत्यनिष्ठा" का तात्पर्य व्यक्तियों, विशेष रूप से सार्वजनिक सेवा या प्राधिकारी पदों पर बैठे लोगों के आचरण में नैतिक सिद्धांतों, नैतिकता और सत्यनिष्ठा के कड़े पालन से है। यह सभी कार्यों एवं निर्णयों में ईमानदारी, पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे नैतिक व्यवहार का उच्चतम मानक बना रहता है और भ्रष्टाचार या अनैतिक कृत्यों पर रोकथाम लगती है।

    नैतिक निर्णय में सत्यनिष्ठा एक नैतिक दिशासूचक के रूप में कार्य करती है:

    • नैतिक आधार: सत्यनिष्ठा नैतिक सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करती है, व्यावसायिक मेल-मिलाप में विश्वास और अखंडता की नींव को मज़बूती देती है।
      • भारत की सिविल सेवाओं में, अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे भ्रष्टाचार को रोकने और समान वितरण सुनिश्चित करने के लिये सार्वजनिक धन आवंटन जैसे संवेदनशील मामलों से निपटते समय सत्यनिष्ठा बनाये रखें।
    • जन विश्वास: सत्यनिष्ठा ईमानदारी और जवाबदेही का प्रदर्शन करके जन विश्वास अर्जित करती है, हितधारकों को आश्वस्त करती है कि निर्णय जनता के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखकर लिये जाते हैं।
      • सत्यम घोटाला, जहाँ वित्तीय अनियमितताओं के कारण कंपनी के प्रबंधन में विश्वास की कमी हुई, वित्तीय रिपोर्टिंग में सत्यनिष्ठा के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
      • सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के प्रबंधन में सिविल सेवकों की सत्यनिष्ठा महत्तवपूर्ण होती है, क्योंकि नागरिक यह सुनिश्चित करने के लिये उनकी सत्यनिष्ठा पर भरोसा करते हैं कि सार्वजनिक संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए।
    • पारदर्शिता: सत्यनिष्ठा का अभ्यास निर्णय लेने में पारदर्शिता को प्रोत्साहित करता है, जिससे हितधारकों को चुने गये विकल्पों के पीछे के तर्क को समझने में मदद मिलती है।
      • पारदर्शिता सिविल सेवा परीक्षाओं एवं भर्ती प्रक्रियाओं में निष्पक्षता सुनिश्चित करती है और पक्षपात या भ्रष्टाचार को रोकती है।
      • कोयला और स्पेक्ट्रम आवंटन जैसे प्राकृतिक संसाधनों की ई-नीलामी, पारदर्शिता सुनिश्चित करती है तथा भ्रष्टाचार के जोखिम को कम करती है।
    • निष्पक्षता: सत्यनिष्ठा पेशेवरों को व्यक्तिगत हितों या बाहरी दबावों से मुक्त होकर निष्पक्ष निर्णय लेने के लिये मार्गदर्शित करती है।
      • सिविल सेवाओं में, अधिकारियों को सार्वजनिक खरीद, अनुबंधों की देखरेख करते समय सत्यनिष्ठा का प्रदर्शन करना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुबंध व्यक्तिगत संबद्धता के बजाय योग्यता के आधार पर दिये जाते हैं।
    • संघर्ष समाधान: सत्यनिष्ठा पेशेवरों को हितों के टकराव से निपटने और ऐसे निर्णय लेने में मदद करती है जो व्यक्तिगत लाभ के बजाय सर्वहित को प्राथमिकता देते हैं।
      • सिविल सेवकों को अक्सर भूमि स्वामित्व या प्रशासनिक मामलों से संबंधित विवादों को हल करने का काम सौंपा जाता है, और उनकी सत्यनिष्ठा उचित परिणाम सुनिश्चित करती है।
    • संस्थागत सुदृढ़ीकरण: सत्यनिष्ठा संस्थानों की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को बनाये रखते हुये उनकी मज़बूती में योगदान देती है।
      • सहकारी आंदोलन में डॉ. वर्गीस कुरियन का नेतृत्व, डेयरी क्षेत्र में बदलाव और किसानों को सशक्त बनाने में सत्यनिष्ठा का उदाहरण है।
      • भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service - IAS) के सेवकों के भीतर सत्यनिष्ठा यह सुनिश्चित करती है कि प्रशासनिक निर्णय निष्पक्ष रूप से हों, जिससे कुशल शासन को बढ़ावा मिले।

    पेशेवर क्षेत्र में, विशेषकर भारत की सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा उत्पन्न करना:

    • सार्वजनिक जागरूकता अभियान: सत्यनिष्ठा के महत्त्व के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और नागरिकों को नैतिक व्यवहार के लिये पेशेवरों को उत्तरदायी ठहराने के लिये प्रोत्साहित करना।
      • "जागरूक भारत, समृद्ध भारत" जैसी पहल नैतिक आचरण को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देती है।
    • प्रौद्योगिकी का उपयोग: सेवा वितरण में पारदर्शिता बढ़ाने, भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जा सकता है।
      • डिजिटल इंडिया पहल ऑनलाइन सेवा वितरण को बढ़ावा देती है, जिससे प्रत्यक्ष वार्तालाप नहीं होता और भ्रष्ट आचरण से बचाव होता है।
    • योग्यता-आधारित पुरस्कार: व्यक्तिगत संबंधों के बजाय योग्यता एवं प्रदर्शन के आधार पर सिविल को पुरस्कृत किया जाना चाहिये।
      • लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार का उद्देश्य उत्कृष्ट सिविल सेवकों को उनके योगदान के आधार पर पहचानना है।
    • नैतिक नेतृत्व: वरिष्ठ अधिकारियों को नैतिक नेतृत्व का उदाहरण प्रस्तुत करने और अधीनस्थों के लिये एक मिसाल कायम करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
      • के. श्रीनिवास, एक सिविल सेवक, ने राजनीतिक दबाव से इंकार करके और कर्नाटक लोक युक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार को उजागर करके सत्यनिष्ठा का प्रदर्शन किया।
    • नागरिक सहभागिता: सिविल सेवकों को जवाबदेह बनाने और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिये शासन प्रक्रियाओं में नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना।
      • MyGov और जन सुनवाई (Jan Sunwai) जैसी पहल सरकारी सेवाओं पर नागरिक सहभागिता और फीडबैक की सुविधा प्रदान करती है।
    • केस अध्ययन और कार्यशालाएँ: सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए नैतिक दुविधाओं एवं निर्णय लेने पर चर्चा करने के लिये वास्तविक जीवन के मामले के अध्ययन और कार्यशालाओं का उपयोग करना चाहिये।
      • आपदा प्रबंधन या शहरी नियोजन के दौरान आने वाली नैतिक चुनौतियों पर चर्चा करने के लिये सिविल सेवकों के लिये कार्यशालाओं का आयोजन करना।

    जैसे-जैसे भारत अपने सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ रहा है, नैतिक आचरण, पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति अटूट प्रतिबद्धता न केवल संस्थानों में विश्वास बहाली करेगी बल्कि समावेशी एवं सतत विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में सत्यनिष्ठा को अपनाने से राष्ट्र को एक ऐसा मार्ग मिलता है जहाँ अखंडता शासन करती है जो एक ऐसे भविष्य को प्रेरित करती है जो निष्पक्षता, विश्वास और नैतिक शासन के स्तंभों पर मज़बूती से खड़ा हो।

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