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  • 26 Jul 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस 16: कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइज़ेशन एंड स्टोरेज़ (CCUS) प्रौद्योगिकियाँ क्या हैं? चर्चा कीजिये कि यह वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुँचने में कैसे मदद करेंगी। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइज़ेशन एंड स्टोरेज़ (CCUS) के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये
    • कार्बन को कैप्चर करने और इसे स्टोर करने के लिये कुछ तकनीकों का उल्लेख कीजिये।
    • वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने में CCUS के योगदान पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    कार्बन कैप्चर, यूटिलाइज़ेशन और स्टोरेज (CCUS):

    • कार्बन कैप्चर, यूटिलाइज़ेशन और स्टोरेज (CCUS) में फ्लू गैस (चिमनियों या पाइप से निकलने वाली गैसें) और वातावरण से CO2 को हटाने के तरीकों एवं प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है। इसके बाद CO2 को उपयोग करने के लिये उसका पुनर्चक्रण तथा सुरक्षित और स्थायी भंडारण विकल्पों का निर्धारण किया जाता है।
    • CO2 को CCUS का उपयोग करके ईंधन (मीथेन और मेथनॉल), रेफ्रिजरेंट और निर्माण संबंधित सामग्री में परिवर्तित किया जाता है।
    • संचय की गई गैस का उपयोग सीधे आग बुझाने वाले यंत्रों, फार्मा, खाद्य और पेय उद्योगों के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में भी किया जाता है।
    • CCUS प्रौद्योगिकियाँ नेट ज़ीरो लक्ष्यों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जिसमें भारी उद्योगो से उत्सर्जित कार्बन से निपटने और वातावरण से कार्बन को हटाने से संबंधित कुछ समाधान शामिल है।
    • CCUS को वर्ष 2030 तक देशों को अपने उत्सर्जन को आधा करने तथा वर्ष 2050 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण उपकरण माना जाता है।
    • यह ग्लोबल वार्मिंग को 2 °C (डिग्री सेल्सियस) तक सीमित रखने के लिये पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने हेतु महत्त्वपूर्ण है, साथ ही पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर 1.5 डिग्री सेल्सियस के लिये बेहतर भूमिका निभा सकती है।

    CCUS के अनुप्रयोग:

    • जलवायु परिवर्तन को कम करना: CO2 उत्सर्जन की दर को कम करने के लिये वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल प्रणालियों को अपनाने के बावजूद जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों को सीमित करने के लिये वातावरण में CO2 की संचयी मात्रा को कम करने की आवश्यकता है।
    • कृषि: ग्रीनहाउस वातावरण में फसल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये पौधों और मिट्टी जैसे बायोजेनिक स्रोतों से CO2 का संचय किया जा सकता है।
    • औद्योगिक उपयोग: पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुकूल निर्माण सामग्री के लिये स्टील निर्माण प्रक्रिया का एक औद्योगिक उपोत्पाद (स्टील स्लैग के साथ CO2 का संयोजन)।
    • बढ़ी हुई तेल रिकवरी: CCU प्रौद्योगिकी का उपयोग पहले से ही भारत में किया जा रहा है। उदाहरण के लिये ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन ने CO2 को इंजेक्ट करके एन्हांस्ड ऑयल रिकवरी (EOR) हेतु इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

    शुद्ध शून्य उत्सर्जन:

    • ऊर्जा क्षेत्र से वैश्विक CO2 उत्सर्जन वर्ष 2070 तक शुद्ध आधार पर शून्य हो जायेगा, जो CCUS में घोषित नीतियों के परिदृश्य की तुलना में उत्सर्जन में संचयी कमी का लगभग 15% हिस्सा है। CCUS के योगदान में समय के साथ वृद्धि होती है क्योंकि प्रौद्योगिकी में सुधार होता है, लागत में कमी आती है तथा कुछ क्षेत्रों में सस्ते विकल्प समाप्त हो जाते हैं। वर्ष 2070 तक ऊर्जा क्षेत्र से 10.4 Gt CO2 अवशोषित करने का लक्ष्य है।
    • CCUS का प्रारंभिक उद्देश्य मौज़ूदा जीवाश्म ईंधन-आधारित बिजली और औद्योगिक संयंत्रों के साथ-साथ कम लागत वाले CO2 कैप्चर अवसरों जैसे हाइड्रोजन उत्पादन, को फिर से तैयार करना है। समय के साथ सबसे प्रसिद्ध तकनीकें जैसे कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (सीसीएस), डायरेक्ट एयर कैप्चर एंड स्टोरेज (डीएसीएस) तथा कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (बीईसीसीएस) के साथ बायोएनर्जी की ओर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
    • वैश्विक हाइड्रोजन का उपयोग वर्ष 2070 तक सात गुना बढ़कर 520 एमटी किया जाना चाहिये जो परिवहन, उद्योग, इमारतों और बिजली के डीकार्बोनाइज़ेशन में योगदान देगा। सतत् विकास परिदृश्य में संचयी उत्सर्जन में कमी का लगभग 6% निम्न-कार्बन हाइड्रोजन से होता है, जिसमें वर्ष 2070 में CCUS से लैस जीवाश्म-आधारित उत्पादन से 40% हाइड्रोजन की मांग शामिल है।
    • ऊर्जा प्रणाली में उत्सर्जन को संतुलित करने के लिये कार्बन को समाप्त करने की आवश्यकता होती है जो तकनीकी रूप से कठिन या निषेधात्मक रूप से महंगा है। यह ऊर्जा क्षेत्र के बाहर से उत्सर्जन को ऑफसेट करने में भी मदद कर सकता है। डीएसी प्रौद्योगिकियाँ बीईसीसीएस के साथ एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं तथा मुख्य चुनौती डीएसी की लागत को कम करने की होगी जो आज मुख्य रूप से बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता के कारण बहुत अधिक है।

    CCUS से जुड़ी चुनौतियाँ:

    • महँगा: कार्बन कैप्चर में सॉर्बेंट्स का विकास शामिल है जो प्रभावी रूप से ग्रिप गैस या वातावरण में मौजूद CO2 के संयोजन से हो सकता है, यह अपेक्षाकृत महँगी प्रक्रिया है।
    • पुनर्नवीनीकृत CO2 की कम मांग: CO2 को व्यावसायिक महत्त्व के उपयोगी रसायनों में परिवर्तित करना या CO2 का उपयोग तेल निष्कर्षण या क्षारीय औद्योगिक कचरे के उपचार के लिये करना, इस ग्रीनहाउस गैस के मूल्य में वृद्धि कर देगा।
    • CO2 की विशाल मात्रा की तुलना में मांग सीमित है, इसे वातावरण से हटाने की आवश्यकता है, ताकि जलवायु परिवर्तन के हानिकारक पर्यावरणीय प्रभावों को कम किया जा सके।

    कार्बन के भंडारण के लिये कोई भी व्यवहार्य प्रणाली प्रभावी एवं लागत प्रतिस्पर्द्धी, दीर्घकालिक भंडारण के रूप में स्थिर एवं पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिये।

    देशों को उन चुनिंदा तकनीकों पर ज़ोर देना चाहिये, जो अधिक निवेश आकर्षित कर सकती हैं।

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