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सुपरकिलोनोवा

  • 23 Dec 2025
  • 13 min read

स्रोत: TH

IIT बॉम्बे और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बंगलूरू के वैज्ञानिकों की भागीदारी वाले एक अंतर्राष्ट्रीय शोध दल ने 'सुपरकिलोनोवा' नामक एक असाधारण ब्रह्मांडीय विस्फोट की संभावित खोज की है। यह अत्यंत दुर्लभ घटना सामान्य किलोनोवा की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली और ऊर्जावान है।

  • किलोनोवा: दो न्यूट्रॉन तारों के परस्पर विलय के दौरान सोना, प्लैटिनम और नियोडिमियम जैसे भारी रेडियोधर्मी तत्त्वों का उत्सर्जन होता है। इन तत्त्वों के रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न होने वाली प्रकाशीय और अवरक्त किरणों को ही खगोल विज्ञान में 'किलोनोवा' कहा जाता है।
  • सुपरकिलोनोवा: सामान्य किलोनोवा के विपरीत, सुपरकिलोनोवा में ऊर्जा कहीं अधिक होती है। ऐसा इसलिये है क्योंकि यह एक ऐसे सुपरनोवा से शुरू होता है जिससे दो न्यूट्रॉन तारे बनते (एक के बजाय) हैं, जो इसके विस्फोट को और अधिक शक्तिशाली बना देते हैं।"
    • ये न्यूट्रॉन तारे बाद में अंदर की ओर घूमते हुए आपस में मिल जाते हैं, जिससे किलोनोवा का निर्माण होता है। इसके परिणामस्वरूप एक अधिक शक्तिशाली और जटिल घटना घटित होती है, जिसमें सुपरनोवा और किलोनोवा दोनों के लक्षण दिखाई देते हैं।
    • अध्ययनों से पता चलता है कि एक सुपरकिलोनोवा तीव्र गुरुत्वाकर्षण तरंगें और एक शक्तिशाली विद्युत चुंबकीय विस्फोट उत्पन्न करता है, जो एक सामान्य किलोनोवा की तुलना में अधिक चमकीला और लंबे समय तक चलने वाला दिखाई देता है।
    • सुपरकिलोनोवा वर्तमान में खगोल विज्ञान की एक उभरती हुई श्रेणी है, जो अभी भी सैद्धांतिक प्रस्तावों और शुरुआती अवलोकनों पर आधारित है। यह किलोनोवा की तरह अभी तक पूरी तरह से स्थापित या प्रमाणित नहीं हुआ है।

और पढ़ें: स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स सुपरनोवा

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