इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV)

  • 21 May 2022
  • 3 min read

हाल ही में एक अध्ययन में यह पाया गया कि रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) के कारण होने वाले निचले श्वसन संक्रमण पांँच साल से कम उम्र के बच्चों में अधिक पाया जाता है।

  • लैंसेट द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, यह वर्ष 2019 के दौरान दुनिया में 1,00,000 बच्चों की मौत के लिये ज़िम्मेदार है।

रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) के बारे में:

  • परिचय:
    • RSV एक सामान्य श्वसन वायरस है। 
    • यह अत्यधिक संक्रामक प्रकृति का है, अर्थात्  इसमें लोगों को संक्रमित करने की उच्च क्षमता होती है।
    • इसने फेफड़ों संबंधी संक्रमण को बढ़ा दिया है।
    • यह सामान्यतः 2 से 6 साल के कम उम्र के बच्चों को संक्रमित करता है। 
    • ज़्यादातर मामलों में इसमें सामान्य सर्दी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन चरम स्थिति में यह निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस में परिवर्तित हो जाता है।
  • मुख्य निष्कर्ष:
    • वर्ष 2019 में छह वर्ष से कम आयु के 45000 से अधिक शिशुओं की मृत्यु की जानकारी मिली थी।
    • RSV से संक्रमित संपूर्ण विश्व में हर पांँच में से एक बच्चे की मौत हुई है। 
    • छह महीने और उससे कम उम्र के बच्चे इस वायरस की चपेट में सबसे ज़्यादा आते हैं।
    • शोध के अनुसार, भारत में वार्षिक घटना दर प्रति 1,000 बच्चों (5.3%) पर 53 है, पांँच साल से कम उम्र के बच्चों में RSV के लगभग 61,86,500 मामले निचले श्वसन संक्रमण से संबंधित हैं।
      • RSV के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पांँच साल से कम उम्र के 97 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो गई

Syncytial-Virus

रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस का इलाज:

  • RSV संक्रमण का कोई विश्वसनीय इलाज उपलब्ध नहीं है।
  • वैज्ञानिक, सरकार और संबंधित प्राधिकरण शिशुओं एवं बच्चों के जीवन को बचाने के लिये उपयुक्त दवा और टीकाकरण का पता लगाने के लिये इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow