इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 05 अप्रैल, 2019

  • 05 Apr 2019
  • 8 min read

सीआईआई फाउंडेशन अवार्ड- 2019 (CII Foundation Award- 2019)

सीआईआई फाउंडेशन अवार्ड- 2019
CII Foundation Award- 2019

हाल ही में CII फाउंडेशन अवार्ड- 2019 के तहत तीन महिलाओं को CII वूमन एक्जम्पलर अवार्ड प्रदान किया गया इनके नाम और क्षेत्र हैं:

  1. भिमव्वा चलवादी (शिक्षा क्षेत्र)
  2. वनलालरुअती (स्वास्थ्य क्षेत्र)
  3. नीलिमा तिग्गा (सूक्ष्म उद्यम)
  • सीआईआई फाउंडेशन (CII Foundation) द्वारा चलाया जाने वाला यह कार्यक्रम ज़मीनी स्तर पर काम करने वाली अनुकरणीय महिलाओं को मान्यता देता है।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत में विकास की प्रक्रिया में सभी बाधाओं के खिलाफ उत्कृष्ट प्रदर्शन और योगदान करने वालों की खोज, उनकी पहचान और समर्थन करके सामुदायिक स्तर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।
  • कार्यक्रम के तीन प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:

♦ पहचान (Identification)
♦ मान्यता (Recognition)
♦ क्षमता निर्माण और सलाह (Capacity building and mentoring)

  • इस कार्यक्रम में ज़मीनी स्तर पर काम करने वाली उन महिलाओं को पुरस्कार प्रदान किया जाता है जिन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सूक्ष्म उद्यमों/उपक्रमों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • पुरस्कार को एक्ज़म्पलर (EXEMPLAR) कहा जाता है क्योंकि पुरस्कार जीतने वाले अनुकरणीय स्व-प्रेरित व्यक्ति होते हैं, जो अपने स्वयं के जीवन और अपने समाज में बदलाव लाने के लिये उत्कृष्ट कार्य करते हैं।

सामुदायिक रेडियो स्टेशन और SVEEP (Community Radio Stations and SVEEP)

हाल ही में नई पहल के रूप में भारत के चुनाव आयोग ने मतदाताओं को शिक्षित करने और उन तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिये देश भर में 150 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशनों (Community Radio Stations) तक पहुँच बनाई है।

सामुदायिक रेडियो

  • सामुदायिक रेडियो (Community Radio) एक प्रकार की रेडियो सेवा है जो एक निश्चित क्षेत्र के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रसारण सामग्री प्रेषित करती है।
  • इसका प्रसारण छोटे से भौगोलिक क्षेत्र तक ही सीमित होता है।
  • इसमें सामान्य विकास के मुद्दे और चिंताएँ प्रेषित की जाती हैं, जो स्थानीयकृत होने के बावजूद हैं राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास लक्ष्यों से जुड़ी होती हैं।
  • वर्तमान में भारत भर में 180 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशन हैं, जो बुंदेलखंडी, गढ़वाली, अवधी और संथाली आदि भाषाओं में प्रसारण का कार्य करते हैं।

व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी (SVEEP)
Systematic Voters Education and Electoral Participation

  • SVEEP विभिन्न मोड और मीडिया के माध्यम से नागरिकों, निर्वाचकों तथा मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करने और चुनावी प्रक्रियाओं के बारे में उनकी जागरूकता तथा भागीदारी बढ़ाने के लिये डिज़ाइन किया गया एक कार्यक्रम है।
  • इसे राज्य के सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल के साथ-साथ चुनावों के पिछले अनुभवों के आधार पर डिज़ाइन किया गया है।

ढोल (Dhole) : एशियाई जंगली कुत्ता

Dhole

हाल ही में किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि एशियाई जंगली कुत्ते या ढोल जो कि शिकारी जानवर हैं, भारत के जंगलों से विलुप्त होने के कगार पर है।

  • IUCN ने ढोल (जिसे एशियाटिक वाइल्ड डॉग, इंडियन वाइल्ड डॉग तथा रेड डॉग भी कहा जाता है) को लुप्तप्राय श्रेणी (EN) में सूचीबद्ध किया है।
  • ढोल की घटती संख्या चिंताजनक है क्योंकि वे वनों में अपने शिकार की आबादी को संतुलित करते हैं तथा एक स्वस्थ वन पारिस्थितिकी तंत्र हेतु महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • अधिकांश क्षेत्रों में इनकी संख्या कम हो रही है जिसका मुख्य कारण आवास हानि, शिकार का अभाव, घरेलू कुत्तों से बीमारी का संचरण और अन्य प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा है।
  • ढोल के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में वैज्ञानिकों को अधिक जानकारी नहीं है, इसलिये इनका संरक्षण किया जाना कठिन है|
  • बंगलूरू स्थित सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज (CWS) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि पश्चिमी घाटों के सर्वेक्षण में 37,000 वर्ग किलोमीटर क्षत्र में इनके विलुप्त होने का खतरा है।
  • संरक्षित वन के कारण पश्चिमी घाटों और मध्य भारतीय जंगलों में ढोल की अपेक्षाकृत अधिक संख्या पाई जाती है, जबकि पूर्वी घाट, पूर्वोत्तर राज्यों, उत्तरी भारत, सिक्किम, लद्दाख इत्यादि में ढोल बहुत कम संख्या में पाए जाते हैं।
  • ढोल एक जंगली मांसाहारी जानवर है जो मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में वन क्षेत्रों में निवास करता है।
  • वैश्विक स्तर पर लगभग 82% ढोल अपने निवास क्षेत्र से गायब हो गए हैं।

राष्ट्रीय समुद्री दिवस: 2019 (National Maritime Day: 2019)

प्रत्येक वर्ष भारत में 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस (National Maritime Day) मनाया जाता है.

  • इस बार का राष्ट्रीय समुद्री दिवस इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि आज से ठीक सौ साल पहले 5 अप्रैल 1919 को पहला भारतीय समुद्री जहाज़ (Indian Ship) मुंबई से ब्रिटेन (Mumbai to Britain) की यात्रा पर रवाना हुआ था
  • इसकी याद में 1964 से हर साल 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया जाता है
  • इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को भारतीय जहाजरानी उद्योग की गतिविधिओं के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में इसकी अहम भूमिका से रूबरू कराना है
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2