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न्यूरोवास्कुलर ऊतक/ऑर्गेनॉइड

  • 28 Feb 2024
  • 6 min read

स्रोत: पी.आई.बी. 

हाल ही में चंडीगढ़ में स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) के शोधकर्त्ताओं ने ऑटोलॉगस रक्त से न्यूरोवास्कुलर ऑर्गेनोइड/भ्रूण (Neurovascular Organoids- NVOE) उत्पन्न करने के लिये एक नया प्रोटोटाइप मॉडल विकसित किया है जो न्यूरोवास्कुलर ऊतकों को उत्पन्न करने के लिये एक नवीन दृष्टिकोण प्रदान करता है।

  • ये नवोन्मेषी NVOE, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और तंत्रिका संबंधी रोगों की जाँच में सहायता कर सकते हैं।

शोध से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • तंत्रिका ऑर्गेनॉइड विकास से संबंधित चुनौतियों का समाधान:
    • पारंपरिक तंत्रिका ऑर्गेनॉइड में संवहनीकरण (Vascularization) का आभाव होता है जिससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का अनुकरण और तंत्रिका संबंधी रोगों की जाँच में उनकी उपयोगिता सीमित हो जाती है।
      • ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों की आपूर्ति में सुधार करने के लिये किसी ऊतक में रक्त वाहिकाओं को विकसित करने की प्रक्रिया को संवहनीकरण कहते हैं।
    • पिछले दृष्टिकोण जैसे कि सेरेब्रल ऑर्गेनॉइड के साथ रक्त वाहिका ऑर्गेनॉइड का सह-संवर्द्धन, सक्रिय रक्त प्रवाह की अनुपस्थिति के कारण अप्रभावी सिद्ध हुआ और साथ ही श्रम केंद्रित एवं लागत प्रभावी भी नहीं है।
  • न्यूरोवास्कुलर ऊतक या ऑर्गेनॉइड:
    • PGIMER शोधकर्त्ताओं ने आनुवंशिक हेर-फेर अथवा मॉर्फोजेन पूरकता के बिना, पूरी तरह से ऑटोलॉगस रक्त से स्व-संगठित NVOE स्थापित करने के लिये एक प्रारूप प्रस्तुत किया है।
      • ऑटोलॉगस रक्त, एक रक्त दान है जो एक व्यक्ति अपने स्वयं के उपयोग के लिये देता है, उदाहरण के लिये- सर्जरी से पहले।
    • यह दृष्टिकोण अपने आप कार्यात्मक संवहनी भ्रूण उत्पन्न करता है और इसके लिये किसी विशेष परिस्थितियों की आवश्यकता नहीं होती है, जो इसे लागत-कुशल एवं सुलभ बनाता है।
      • शोधकर्त्ताओं द्वारा बोल्ड(BOLD) (ब्लड-ऑक्सीजन-लेवल-डिपेंडेंट) इमेजिंग नामक विधि का उपयोग करके हीमोग्लोबिन से संकेतों का पता लगाकर सत्यापित किया कि इन न्यूरोवास्कुल ऑर्गेनोइड में रक्त वाहिकाएँ काम कर रही हैं।
        • बोल्ड इमेजिंग एक ऐसी तकनीक है जो मस्तिष्क की गतिविधि को मापने के लिये चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) का उपयोग करती है।
  • तंत्रिका विज्ञान के लिये निहितार्थ:
    • इन ऑर्गेनॉइड्स का न्यूरोलॉजिकल रोगों का अध्ययन करने, तंत्रिकाओं को पुनर्जीवित करने और ट्यूमर तथा ऑटोइम्यून स्थितियों के लिये उपचार विकसित करने हेतु व्यापक निहितार्थ हैं।
    • ये मॉडल शोधकर्त्ताओं को शुरुआती सेंसरिनुरल हियरिंग लॉस (SNHL) वाले बच्चों में हियरिंग लॉस और भाषा की चुनौतियों के आनुवंशिक कारणों को समझने में मदद करते हैं।
      • वे संचार परिणामों में सुधार लाने के उद्देश्य से ऑटिज़्म या बौद्धिक दिव्यांगता जैसी अतिरिक्त स्थितियों वाले बच्चों का अध्ययन करते हैं। NVOE का अध्ययन करके, शोधकर्त्ता यह जाँच कर सकते हैं कि परिवर्तित मस्तिष्क गतिविधि संवेदी प्रसंस्करण को कैसे प्रभावित करती है।
        • यद्यपि कार्यात्मक MRI (fMRI) मस्तिष्क गतिविधि की निगरानी के लिये एक उपयोगी उपकरण है, लेकिन यह इन बच्चों हेतु उनके कर्णावत प्रत्यारोपण या अति सक्रियता के कारण उपयुक्त नहीं है।
  • आगामी अनुप्रयोग:
    • प्रोटोटाइप में जन्मजात न्यूरोसेंसरी, न्यूरोडेवलपमेंटल और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के लिये रोगी-विशिष्ट भ्रूण मॉडल विकसित करने की क्षमता है।
    •  यह आनुवंशिकी और तंत्रिका तंत्र को समझने, दवाओं का परीक्षण करने एवं प्रारंभिक न्यूरोलॉजिकल रोगों के लिये नए बायोमार्कर की पहचान करने में सहायता कर सकता है, जिससे तंत्रिका विज्ञान में स्व-अनुकूलित चिकित्सा के एक नए युग की शुरुआत हो सकती है।

न्यूरल ऑर्गेनॉइड्स

  • न्यूरल ऑर्गेनॉइड्स, जिन्हें सेरेब्रल ऑर्गेनॉइड्स के रूप में भी जाना जाता है, मानव प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल (hPSC)-व्युत्पन्न, 3D इन-विट्रो कल्चर सिस्टम में संवर्द्धित होते हैं जो विकासशील मानव मस्तिष्क की विकासात्मक प्रक्रियाओं और संगठन की पुनरावृत्ति करते हैं।
    • ये एक इन-विट्रो 3D मस्तिष्क मॉडल प्रदान करते हैं जो मानव तंत्रिका-तंत्र के लिये विशिष्ट, न्यूरोलॉजिकल विकास और रोग प्रक्रियाओं के अध्ययन के लिये शारीरिक रूप से प्रासंगिक है।
  • मानव मस्तिष्क के विकास और सिज़ोफ्रेनिया जैसे तंत्रिका संबंधी विकारों के अध्ययन में इनका महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग शामिल है।
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