रैपिड फायर
मेट्रोलॉजी और भारत की पहल
- 22 May 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने वर्ल्ड मेट्रोलॉजी डे 2025 मनाया।
- वर्ल्ड मेट्रोलॉजी डे 2025: यह दिवस 20 मई 1875 को पेरिस में हस्ताक्षरित मीटर कन्वेंशन की 150वीं वर्षगांठ की स्मृति में मनाया जाता है, जिसने वैश्विक स्तर पर मात्रक प्रणाली को मानकीकृत करने के लिये मीट्रिक प्रणाली की स्थापना की थी।
- इसकी शुरुआत सबसे पहले वर्ष 1999 में भार एवं मापन की अंतर्राष्ट्रीय समिति (CIPM) द्वारा की गई थी।
- वर्ष 2025 की थीम है: "सभी समय के लिये, सभी लोगों के लिये मापन (Measurements for all times, for all people)" जो इतिहास, वर्तमान और भविष्य में मापन के निरंतर प्रभाव को उजागर करती है।
- मेट्रोलॉजी (मापविज्ञान): यह मापन के वैज्ञानिक अध्ययन की शाखा है, जो मात्रकों और उपकरणों के लिये सामान्य मानक स्थापित करती है। यह नौवहन, निर्माण, उत्पाद विकास, पर्यावरण निगरानी, चिकित्सा और खाद्य प्रसंस्करण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- मेट्रोलॉजी UNESCO के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो एक बेहतर विश्व के लिये विज्ञान को प्रोत्साहित करने की बात करता है।
- मेट्रोलॉजी में भारत की पहल: भारत वर्ष 1957 में भार एवं माप मानक अधिनियम, 1956 के अधिनियमन के बाद मीटर कन्वेंशन में शामिल हुआ।
- भारत विश्व स्तर पर इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर लीगल मेट्रोलॉजी (OIML) प्रमाण-पत्र जारी करने वाला 13वाँ देश बन गया, जिससे इसकी माप प्रणालियों में वैश्विक विश्वास बढ़ा है।
- ई-मैप पोर्टल, आसान लाइसेंसिंग, पंजीकरण और प्रवर्तन के लिये 18 राज्यों में लीगल मेट्रोलॉजी प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाता है।
- मसौदा IST नियम 2025 के तहत "वन नेशन, वन टाइम" पहल की शुरुआत का उद्देश्य क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं के माध्यम से मिलीसेकंड-सटीक भारतीय मानक समय (IST) प्रदान करना है, जिससे दूरसंचार और बैंकिंग जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को लाभ होगा।
मेट्रोलॉजी (मापविज्ञान) |
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वैज्ञानिक (Scientific) |
औद्योगिक (Industrial) |
विधिक (Legal) |
1. मापन इकाइयों (SI) की स्थापना |
1. विनिर्माण में मापन का उपयोग |
1. विधि स्थापित करना, उदाहरण के लिये मापन यंत्रों के उपयोग हेतु |
2. नई मापन विधियों का विकास |
2. अन्य प्रक्रियाएँ तथा समाज में इनका उपयोग |
2. विधि का पर्यवेक्षण और प्रवर्तन |
3. मापन मानकों की प्राप्ति |
3. मापन यंत्रों की उपयुक्तता, उनका अंशांकन और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना |
3. मापन और मापन यंत्रों के लिये वैधानिक ट्रेसबिलिटी प्रणाली उपलब्ध कराना |
4. इन मानकों से समाज में उपयोगकर्त्ताओं तक ट्रेसबिलिटी का हस्तांतरण |