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गुजरात के बन्नी घास के मैदान चीता पुनःस्थापना के लिये तैयार

  • 19 Jul 2025
  • 19 min read

स्रोत: TH

गुजरात के बन्नी घास के मैदान, जो प्रोजेक्ट चीता के तहत एक नामित स्थल हैं, अब चीता पुनःस्थापना के लिये तैयार हैं। यहाँ 600 हेक्टेयर का सुरक्षित बाड़ा, घासभक्षी प्रजातियों की बढ़ती आबादी और आवश्यक आधारभूत संरचना उपलब्ध है।

बन्नी घासभूमि: एक आदर्श आवास स्थल

  • बन्नी घासभूमि का परिदृश्य अफ्रीका की प्राकृतिक घासभूमि, सवाना एवं झाड़ीदार भूमि से अत्यंत मेल खाता है, जो चीतों के लिये आदर्श आवास बनाता है।
  • गुजरात वन विभाग ने यहाँ एक प्रजनन केंद्र (Breeding Centre) की स्थापना तथा चीतों के लिये शिकार प्रजातियों (जैसे: चीतल और सांभर) की संख्या में वृद्धि की है।

बन्नी घासभूमि:

  • परिचय: बन्नी, एशिया की सबसे बड़ी घासभूमि है, जो गुजरात में ग्रेट रण ऑफ कच्छ के समीप स्थित है।
    •  यह घासभूमि टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण समुद्र से उभरी है।
  • वनस्पति: यहाँ की वनस्पति विरल (sparse) है और मुख्यतः वर्षा पर निर्भर करती है। इसमें कम ऊँचाई वाली वनस्पतियाँ, फोर्ब्स (forbs), और घास वर्गीय पौधों (graminoids) का प्रभुत्व है, जिनमें कई लवण-सहिष्णु (halophytic) प्रजातियाँ हैं। इसके अतिरिक्त, झाड़ियाँ और कुछ विरल पेड़ भी पाए जाते हैं।
    • यह क्षेत्र “चिर बत्ती” (Chir Batti) के लिये भी प्रसिद्ध है, यह एक रहस्यमयी रात में दिखाई देने वाली प्रकाशीय घटना है, जिसे "भूतिया रोशनी" भी कहा जाता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र: बन्नी में आर्द्रभूमि और घास के मैदानों का अनूठा मिश्रण है, जो एक साथ मौजूद हैं। 
    • प्रमुख प्रजातियों में शामिल हैं: बन्नी भैंस, कांकरेज गाय, भारतीय जंगली गधा, ऊँट और घोड़े।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: बन्नी कई अर्द्ध-घुमंतू समुदायों का निवास स्थान है, जिनमें मालधारी समुदाय प्रमुख है।
  • मालधारी (Maldharis): ये पारंपरिक चरवाहा जनजाति (silvipastoralists) हैं, जो बन्नी और गिर वन क्षेत्रों में रहते हैं। ये लोग भेड़, बकरी, गाय, भैंस और ऊँट जैसे पशुओं का पालन करते हैं। इनकी जीवनशैली घासभूमि पारिस्थितिकी से गहराई से जुड़ी है।
  • चीता: चीता, विश्व का सबसे तेज़ दौड़ने वाला स्तनपायी, भारत का एकमात्र बड़ा मांसाहारी है जो वर्ष 1952 में विलुप्त हो गया था।
    • यह अन्य बड़े बिल्ली प्रजातियों की तरह गर्जता (Roar) नहीं है, बल्कि अपनी उपस्थिति और क्षेत्र को चहक (chirps), भौंक (barks), और हकलाहट जैसी ध्वनियों (stutter barks) से दर्शाता है।
    • चीतों की प्रवृत्ति एकाकी (solitary) होती है और मूत्र छिड़काव (urine spray), गाल रगड़ना (cheek rubbing) और पेड़ों पर खरोंच (tree scratching) लगाकर  अपना क्षेत्र चिह्नित करते हैं। 

CHEETAH

Grassland

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