इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

दैतारी ग्रीनस्टोन बेल्ट

  • 16 Jun 2023
  • 5 min read

हाल ही के एक शोध में सिंहभूम क्षेत्र, भारत में उल्लेखनीय रूप से संरक्षित ज्वालामुखीय और तलछटी चट्टानों का विश्लेषण किया गया, जो 3.5 अरब वर्ष पुराने हैं।

  • ये निष्कर्ष भारत के भूगर्भीय इतिहास और दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्रों के साथ इसकी समानता पर प्रकाश डालते हैं।

निष्कर्ष: 

  • अध्ययन क्षेत्र:
    • यह अध्ययन पूर्वी भारत में सिंहभूम क्रेटन में दैतारी ग्रीनस्टोन बेल्ट में लगभग 3.5 अरब वर्ष पहले बनी ज्वालामुखीय और तलछटी चट्टानों पर केंद्रित था।
    • ये चट्टानें असाधारण रूप से अच्छी तरह से संरक्षित हैं और पृथ्वी के अतीत की एक झलक पेश करती हैं।
  • ग्रीनस्टोन्स की भूगर्भिक संरचना:
    • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि दैतारी ग्रीनस्टोन बेल्ट दक्षिण अफ्रीका के बार्बरटन और नोंडवेनी क्षेत्रों में पाए जाने वाले ग्रीनस्टोन के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया के पिलबारा क्रेटन में पाए जाने वाले ग्रीनस्टोन के समान भूवैज्ञानिक विशेषताएँ साझा करता है।
    • इस प्रकार की समानताओं से इन क्षेत्रों के एक सामान्य भूगर्भीय इतिहास का संकेत मिलता है। 

  • उप-समुद्री ज्वालामुखी गतिविधि:  
    • शोध से पता चला है कि 3.5 से 3.3 अरब वर्ष पूर्व उप-समुद्री ज्वालामुखी विस्फोट की घटनाएँ सामान्य बात थीं।
    • इन विस्फोटों के कारण सिंहभूम, कापवाल और पिलबारा क्रैटन के ग्रीनस्टोन चट्टानों के भीतर तकियानुमा/पिल्लो लावा (Pillow Lava) संरचनाएँ निर्मित हुईं।
    • तकियानुमा/पिल्लो लावा का निर्माण तब होता है जब गर्म पिघला हुआ बेसाल्टिक मैग्मा धीरे-धीरे पानी के नीचे प्रस्फुटित होता है और गोलाकार अथवा गोल तकिये के आकार में तेज़ी से जम जाता है। 
  • उप-समुद्री तलछटी चट्टानें:
    • सिलिकिक ज्वालामुखी के बाद ज्वालामुखीय लावा जलमग्न होने के कारण उप-समुद्री टर्बिडिटी करंट डिपॉज़िट का निर्माण हुआ था।
    • ये तलछटी चट्टानें उप-समुद्री वातावरण के संबंध में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं तथा ये लगभग 3.5 बिलियन वर्ष पहले डेट्राइटल U-Pb जिरकोन डेटा का उपयोग करके दिनांकित की गई थीं।
      • डेट्राइटल जिरकोन U-Pb भू-कालानुक्रम तलछटी चट्टानों के अध्ययन जैसे कि उद्भव, उत्तराधिकार का सहसंबंध और अधिकतम निक्षेपण उम्र को परिभाषित करने के साथ-साथ पुरापाषाणकालीन पुनर्निर्माण और महाद्वीपीय भूपर्पटी के विकास से संबंधित अध्ययन के लिये एक उपकरण है।

निष्कर्षों का महत्त्व:

  • प्राचीन वातावरण को समझना:
    • ज्वालामुखीय और तलछटी चट्टानों सहित प्राचीन ग्रीनस्टोन्स का अध्ययन वैज्ञानिकों को प्रारंभिक अवस्था में पृथ्वी पर रहने योग्य वातावरण की अंतर्दृष्टि प्राप्त करने की अनुमति देता है। ये चट्टानें टाइम कैप्सूल के रूप में कार्य करती हैं, जो ग्रह के विकास के बारे में संकेत प्रदान करती हैं।
  • भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाएँ:  
    • ये निष्कर्ष विविध ज्वालामुखीय प्रक्रियाओं और प्राचीन महाद्वीपों के भूगर्भिक इतिहास की समझ में योगदान करते हैं।
  • भूगर्भीय संबंध:  
    • भारत, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के भूगर्भीय विशेषताओं के बीच समानताएँ प्रदर्शित करती हैं कि इन क्षेत्रों में 3.5 अरब वर्ष पहले समान भूगर्भीय घटनाएँ हुई थी। 
  • पैलियोग्राफिक भौगोलिक स्थिति:  

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2