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रैपिड फायर

डी. के. बसु मामला

  • 01 Feb 2024
  • 1 min read

सर्वोच्च न्यायालय ने 2022 में गुजरात में हुई घटना पर अपनी मौखिक टिप्पणी व्यक्त की, जहाँ चार पुलिस अधिकारी गरबा कार्यक्रम में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए एक व्यक्ति को खंभे से बांध कर सार्वजनिक रूप से पीटने में शामिल थे।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस दुर्व्यवहार के खिलाफ वर्ष 1996 के डी.के. बसु निर्णय पर ज़ोर देते हुए ऐसे कृत्यों में शामिल होने के अधिकारियों के अधिकार पर सवाल उठाया।
  • डी.के. बसु निर्णय में कहा गया है कि जहाँ अपराधियों को गिरफ्तार करना और पूछताछ करना पुलिस का कानूनी कर्त्तव्य है, वहीं कानून हिरासत के दौरान थर्ड-डिग्री तरीकों के उपयोग या यातना पर सख्ती से रोक लगाता है।
    • थर्ड डिग्री विधि मूल रूप से पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा उपयोग की जाने वाली शारीरिक क्रूरता को संदर्भित करती है, लेकिन समय के साथ, इसमें मनोवैज्ञानिक दबाव, नींद की कमी और दुर्व्यवहार के अन्य रूपों सहित विभिन्न रूप शामिल हो गए हैं।

और पढ़ें: हिरासत में प्रताड़ना

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