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क्लाउड सीडिंग

  • 09 May 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

दिल्ली मंत्रिमंडल ने वायु प्रदूषण और जल की कमी को दूर करने के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग परीक्षण करने की परियोजना को स्वीकृति दे दी है।

  • क्लाउड सीडिंग: यह एक मौसम परिवर्तन तकनीक है जो सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड या सूखी बर्फ जैसे रसायनों को बादलों में विसरित करती है, जो जल की बूंदों के निर्माण के लिये नाभिक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे वर्षा उत्पन्न होती है। 
  • यह वायु प्रदूषण से निपटने में मदद कर सकती है, विशेषकर उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) रीडिंग की अवधि के दौरान।
    • क्लाउड सीडिंग से जल की उपलब्धता बढ़ सकती है तथा आर्थिक, पर्यावरणीय और मानव स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।
  • क्लाउड सीडिंग के प्रकार: स्थैतिक क्लाउड सीडिंग, जिसमें बर्फ के कणों को ठंडे बादलों में प्रविष्ट कराकर बर्फ के क्रिस्टल या हिमकण बनाए जाते हैं।
    • गतिशील क्लाउड सीडिंग, जो ऊर्ध्वाधर वायु धाराओं को बढ़ाकर और वर्षा बादलों के विकास को बढ़ावा देकर वर्षा को उत्तेजित करती है।
    • हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग, जिसमें बादल की बूंदों के आकार को बढ़ाने के लिये लवण के बारीक कणों का उपयोग किया जाता है।
    • ग्लेशियोजेनिक क्लाउड सीडिंग, जो अतिशीतित बादलों में बर्फ के निर्माण को प्रेरित करती है, जिससे वर्षा होती है। इसका उपयोग बर्फबारी बढ़ाने, पर्वतीय हिमखंड को बढ़ाने, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में वर्षा को प्रेरित करने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिये किया जाता है।
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