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भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य

  • 12 May 2025
  • 3 min read

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (BWS) के पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र में सार्वजनिक घुसपैठ ने संरक्षणवादियों के बीच गंभीर चिंता उत्पन्न कर दी है, जिससे क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के लिये खतरा उत्पन्न हो गया है।

  • पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास के बफर क्षेत्र (10 किमी तक) हैं, जिन्हें हानिकारक मानवीय गतिविधियों को कम करने हेतु घोषित किया गया है तथा राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (वर्ष 2002-2016) के अनुसार पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत अधिसूचित किया गया है।
    • निषिद्ध : वाणिज्यिक खनन, प्रदूषणकारी उद्योग, प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएँ, आरा मिल, लकड़ी का वाणिज्यिक उपयोग आदि।
    • विनियमित : वृक्षों की कटाई, होटल/रिसॉर्ट का निर्माण, वाणिज्यिक जल उपयोग, कीटनाशक आधारित कृषि आदि।
    • अनुमति प्राप्त : पारंपरिक खेती, वर्षा जल संचयन, जैविक खेती, नवीकरणीय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग 
  • भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य: BWS कर्नाटक के बेलगाम ज़िले में गोवा की सीमा के पास स्थित है। यह पश्चिमी घाट में फैला हुआ है और दिसंबर 2011 में इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
    • इसका नाम भीमगढ़ किले के नाम पर रखा गया है, जिसे शिवाजी ने 17वीं शताब्दी में पुर्तगाली सेनाओं से बचाव के लिये बनवाया था।
    • यहाँ वेलवेट फ्रंटेड नटहैच, मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, इंपीरियल पिजन, एमराल्ड पिजन और दुर्लभ मालाबार ट्रोगोन सहित विविध पक्षी जीव पाए जाते है।
      • इसे बारापेडे गुफाओं में पाए जाने वाले रॉटन के फ्री-टेल्ड बैट के एकमात्र ज्ञात प्रजनन स्थल के रूप में जाना जाता है।
    • इस अभयारण्य में वज्रपोहा जलप्रपात शामिल है और यह महादयी नदी के जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा है। 

और पढ़ें: कर्नाटक के पश्चिमी घाट में आक्रामक प्रजातियाँ और खाद्य संकट

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