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अरुणाचल प्रदेश को तीन उत्पादों के लिये मिला GI टैग

  • 11 Oct 2023
  • 5 min read

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

अरुणाचल प्रदेश को हाल ही में अरुणाचल याक चुरपी, खाव ताई (खामती चावल) और तांगसा वस्त्र के लिये भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया है।

अरुणाचल याक चुरपी, खाव ताई और तांगसा वस्त्र की विशिष्टता: 

  • अरुणाचल याक चुरपी:
    • उत्पत्ति: अरुणाचल याक चुरपी अरुणाचली याक के दुग्ध से बनाई जाती है। अरुणाचली याक एक दुर्लभ नस्ल की याक है जो मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग और तवांग ज़िलों में पाई जाती है।
    • जनजातीय याक चरवाहे: यह दुग्ध ब्रोकपास जनजाति द्वारा पाले गए याक से प्राप्त किया जाता है। यह समुदाय याक पालन में निपुण होता है।
      • ये चरवाहे मौसम परिवर्तित होने पर प्रवास करते हैं, गर्मियों के दौरान ये अपने याक को अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र पर ले जाते हैं तथा सर्दियों में मध्य ऊँचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में प्रवास करते हैं, क्योंकि गर्मियों के दौरान याक निम्न ऊँचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों पर जीवित नहीं रह सकते हैं।
    • स्वास्थ्य लाभ और उपयोग: चुरपी प्रोटीन से भरपूर होता है और अरुणाचल प्रदेश के दुर्लभ, ठंडे एवं पर्वतीय क्षेत्रों में पोषण के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करता है।

  • खाव ताई (खामती चावल):
    • खाव ताई चबाने योग्य चावल की चिपचिपी प्रकार की किस्म है, जिसकी कृषि नामसाई क्षेत्र में पारंपरिक खम्पती जनजाति के किसानों द्वारा की जाती है।
  • तांग्सा टेक्सटाइल:
    • चांगलांग ज़िले की तांग्सा जनजाति द्वारा तैयार किये गए तांग्सा टेक्सटाइल उत्पाद अपने अनोखे डिज़ाइन और जीवंत रंगों के लिये प्रसिद्ध हैं।
      • यह पारंपरिक शिल्प कौशल इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।

GI टैग:

  • भौगोलिक संकेत (GI) टैग कुछ उत्पादों पर प्रयुक्त एक चिह्न है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबद्ध है।
    • उदाहरण के लिये, दार्जिलिंग चाय, कांचीपुरम सिल्क आदि।
  • भौगोलिक संकेतों को पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1(2) एवं 10 के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के एक भाग के रूप में मान्यता दी गई है और इन्हें बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS) समझौते के अनुच्छेद 22-24 के तहत भी मान्यता प्राप्त है।
    • विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) के सदस्य के रूप में भारत ने इस प्रकार के संकेतको की सुरक्षा के लिये भौगोलिक संकेत अधिनियम, 1999 को लागू किया, जो 15 सितंबर, 2003 से प्रभावी हुआ।
    • एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये मान्य होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्ष की अगली अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसको/किनको 'भौगोलिक सूचना (जिओग्राफिकल इंडिकेशन)' की स्थिति प्रदान की गई है? (2015)

  1. बनारस के जरी वस्त्र एवं साड़ी 
  2. राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा 
  3. तिरुपति लड्डू

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत में माल के भौगोलिक संकेत (रजिस्ट्रेशन और संरक्षण) अधिनियम,1999 को निम्नलिखित में से किससे संबंधित दायित्वों के अनुपालन के लिये लागू किया गया था? (2018)

(a) आई.एल.ओ.
(b) आई.एम.एफ.
(c) यू.एन.सी.टी.ए.डी.
(d) डब्ल्यू.टी.ओ.

उत्तर: (d)

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