जयपुर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 7 अक्तूबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा का समय

  • 09 Jun 2020
  • 14 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

हाल ही में राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautical and Space Administration- NASA) ने निजी कंपनी SpaceX के रॉकेट से दो अंतरिक्ष यात्रियों को 'अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन' (International Space Station- ISS) भेजा है। इसी के साथ दुनिया में ‘वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा’ की शुरुआत हो गई है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिये दो अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की यात्रा विज्ञान जगत के लिये गर्व की बात है। अंतरिक्ष स्टेशन पर मानव की यह पहली यात्रा नहीं है। लेकिन इस यात्रा ने विश्व व्यवस्था का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और अंतरिक्ष में मानव की इस यात्रा ने दुनिया भर के लोगों में उत्साह पैदा किया है। यह पहली बार था जब अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में किसी निजी कंपनी द्वारा निर्मित रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा गया। यह निश्चित रूप से अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नए युग की शुरुआत है।

अंतरिक्ष यात्री डग हार्ले (Doug Hurley) और बॉब बेनकेन (Bob Behnken) SpaceX के रॉकेट Falcon 9 की मदद से ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन‘ पहुँचे हैं। यात्रियों को जिस क्रू कैप्सूल के माध्यम से ले जाया गया है उसे ‘क्रू ड्रैगन’ (Crew Dragon) नाम दिया गया है।

इस आलेख में अंतरिक्ष यान की यात्रा, अंतरिक्ष का वाणिज्यिक उपयोग, निज़ी क्षेत्र की भूमिका, मिशन की सफलता का महत्त्व तथा अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर विमर्श किया जाएगा।

अंतरिक्ष यान की यात्रा

  • SpaceX का फाल्कन- 9 दो चरणों वाला रॉकेट है जिसने ‘फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर’ (Florida's Kennedy Space Center) से यात्रा प्रारंभ की।
  • SpaceX के कैप्सूल को ISS के साथ 'डॉकिंग प्रक्रिया' को पूरा करने में 28,000 किमी. प्रति घंटे की गति से 19 घंटे का समय लगा। डॉकिंग प्रक्रिया में दो अलग-अलग स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले वाहनों को एक साथ जोड़ा जाता है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुँचने के साथ ही यात्रा का प्रथम चरण पूरा हो गया है परंतु मिशन को तभी सफल घोषित किया जाएगा जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर सुरक्षित लौट आएँगे।

अंतरिक्ष का वाणिज्यिक उपयोग

  • मौज़ूदा समय में विश्व की कई कंपनियाँ अंतरिक्ष की वाणिज्यक दौड़ में शामिल हुई हैं। इन कंपनियों ने विश्व को अंतरिक्ष के आर्थिक उपयोग के लिये सोचने को प्रोत्साहित किया है। वर्तमान में वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग का आकार 350 बिलियन डॉलर है।
  • इसके वर्ष 2025 तक बढ़कर 550 बिलियन डॉलर होने की संभावना है। इस प्रकार अंतरिक्ष एक महत्त्वपूर्ण बाज़ार के रूप में विकसित हो रहा है।
  • इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं किंतु भारत का अंतरिक्ष उद्योग 7 बिलियन डॉलर के आस-पास है, जो वैश्विक बाजार का केवल 2 प्रतिशत ही है।

भारत भी बना रहा है स्पेस स्टेशन

  • ध्यातव्य है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) के चेयरमैन के. सिवान द्वारा घोषणा की गई थी कि भारत इस दशक के अंत तक यानी वर्ष 2030 तक अंतरिक्ष में अपने स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण पर विचार कर रहा है।
  • भारत ने वर्ष 2017 में ही स्पेस डॉकिंग जैसी तकनीक पर शोध करने के लिये बजट का प्रावधान किया था। यह तकनीक स्पेस स्टेशन में उपयोग होने वाले मॉडयूल को आपस में जोड़ने के लिये आवश्यक होती है। इसके बाद से ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की चर्चाएँ काफी तेज़ हो गईं थीं।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्टेशन का भार 20 टन होगा जो कि ISS (450 टन) और चीनी अंतरिक्ष स्टेशन (80 टन) से काफी हल्का है और इस स्टेशन में 4-5 अंतरिक्ष यात्री 15-20 दिनों के लिये रुक सकेंगे। इस स्टेशन को पृथ्वी की निम्न कक्षा (LEO) में लगभग 400 किमी. की ऊँचाई पर स्थापित किया जाएगा।
  • अंतरिक्ष को भविष्य की कई संभावनाओं का द्वार माना जा रहा है। इन संभावनाओं का सहभागी होने से भारत आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है। 

अंतरिक्ष यात्रा के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव 

  • पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की सीमा के ऊपर विकिरण के कारण कैंसर का खतरा बढ़ जाता है साथ में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और संज्ञानात्मक क्रियाएँ (पहचान संबंधी समस्याएँ) भी प्रभावित हो सकते हैं। 
  • एक लंबे समय तक एक छोटी सी जगह में लोगों के समूहों को रखा जाता है, तो उनके बीच व्यवहार संबंधी मुद्दे उभर आते हैं चाहे वे कितने भी प्रशिक्षित क्यों न हों। 
  • एक अंतरिक्ष यात्री को संचार में देरी, उपकरणों की विफलता या चिकित्सीय आपातकाल जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • मानक गुरुत्वाकर्षण में कमी या वृद्धि का हड्डियों, मांसपेशियों, हृदय प्रणाली सभी पर प्रभाव पड़ता है।  
  • रॉकेट में यात्रियों के लिये आवश्यक तापमान, दबाव, प्रकाश, ध्वनि आदि को मानव आवश्यकता के अनुसार अनुकूलित करना होता है। 

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता अमेरिका 

  • नासा द्वारा वर्ष 2011 में 'अंतरिक्ष शटल कार्यक्रम’ (Space Shuttle Programme) समाप्त होने की घोषणा कर दी गई थी। इसके बाद से रूसी ‘सोयुज़’ एकमात्र ऐसे अंतरिक्ष यान हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों को ISS में आवागमन की सुविधा देते हैं। NASA रूस के ‘सोयुज़ स्पेस शटल’ कार्यक्रम पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है।
  • SpaceX के द्वारा अमेरिका अंतरिक्ष यात्रियों को ISS में आवागमन की सुविधा प्रदान करने में सक्षम हो गया है, जिससे निश्चित रूप से अमेरिका आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकता है।  

निजी क्षेत्र की भूमिका

  • अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योग की भागीदारी कोई नई बात नहीं है। पूरी दुनिया में अंतरिक्ष एजेंसियों का काम निजी कंपनियों के साथ मिलकर किया जा रहा है। सैकड़ों निजी कंपनियाँ हैं जो अपने ग्राहकों के लिये वाणिज्यिक उपग्रहों के निर्माण में लगी हुई हैं। 
  • नासा ने अपने 'वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम' (Commercial Crew Programme- CCP) के तहत निजी क्षेत्र की कंपनियों SpaceX और बोइंग (Boeing) के साथ अंतरिक्ष यान निर्माण के लिये समझौते किया था। अमेरिका द्वारा भविष्य में अंतरिक्ष यान का उपयोग करने के लिये लगभग 7 बिलियन डॉलर का अनुबंध किया गया था।
  • लेकिन बोइंग कंपनी, विगत वर्ष किये गए परीक्षण के असफल रहने के बाद SpaceX कंपनी से अलग हो गई।
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अमेरिका ‘वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम’ के तहत ऐसी कंपनियों को निवेश के लिये आमंत्रित कर रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तथा पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष परिवहन सेवाएँ प्रदान कर सकें।
  • निजी कंपनियों को आमंत्रित करने से अंतरिक्ष यात्रा की लागत में तेजी से कमी आने की भी उम्मीद है।

अंतरिक्ष प्रशासन संबंधी नियम 

  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष के सुव्यवस्थित प्रशासन के लिये कई प्रकार के प्रावधान किये गए हैं जिनमें से प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:
    • वर्ष 1967 में की गई वाह्य अंतरिक्ष संधि (Outer Space Treaty) सदस्य देशों को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये वाह्य अंतरिक्ष का प्रयोग करने की इजाज़त देती है। साथ ही यह संधि अंतरिक्ष में जनसंहारक हथियारों  की तैनात करने पर पाबंदी लगाती हैं। विदित है कि भारत प्रारंभ से ही इस संधि का हिस्सा है।
    • वर्ष 1979 में सोवियत संघ की पहल के बाद ‘मून एग्रीमेंट’ (Moon Agreement) पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे। यह समझौता अन्य राष्ट्रों की अनुमति के बिना सभी खगोल पिंडों की जाँच-पड़ताल या उनके प्रयोग को प्रतिबंधित करता है।
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1967 में ‘रेस्क्यू एग्रीमेंट’ (Rescue Agreement) को अपनाया गया था। इस समझौते के अनुसार, सभी राष्ट्रों का यह दायित्त्व है कि वे सभी संकटग्रस्त अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने और उन्हें अपने देश वापस लाने का हरसंभव प्रयास करें।
    • लायबिलिटी कन्वेंशन (Liability Convention) को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1971 में अपनाया गया था। इसके अनुसार, यदि किसी देश के स्पेस ऑब्जेक्ट के कारण अंतरिक्ष में किसी अन्य देश को कोई नुकसान होता है तो उसके मुआवज़े का भुगतान करने के लिये स्पेस ऑब्जेक्ट से संबंधित देश ही उत्तरदायी होगा।

मिशन की सफलता का महत्व

  • दोनों यात्रियों के प्रवास के दौरान व्यापक परीक्षण किये जाएंगे ताकि भविष्य में ISS की वाणिज्यिक यात्रा की दिशा में अमेरिका की दक्षता को प्रमाणित किया जा सके।
  • इससे अमेरिका की ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ आधारित मिशन के लिये रूस पर निर्भरता में कमी आएगी।
  • निजी क्षेत्र के प्रवेश से अन्य ग्रहों पर आधारित अमेरिका के अंतरिक्ष मिशनों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

  • नासा का सहयोग प्राप्त कर भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिये। 
  • भारत को SpaceX के जैसी फ्लाई, टेस्ट, फेल, फिक्स (Fly, test, fail, fix) की रणनीति पर कार्य करना होगा  
  • भारत का अतीत अंतरिक्ष के क्षेत्र में कामयाबी भरा रहा है। किंतु वर्तमान में अंतरिक्ष नवीन संभावनाओं को जन्म दे रहा है। इन संभावनाओं का भागी बनने के लिये भारत को भी महत्त्वपूर्ण प्रयास करने होंगे।
  • भारत पहले ही अंतरिक्ष की उपयोगिता और महत्त्व को समझते हुए डिफेंस स्पेस एजेंसी तथा अंतरिक्ष प्रतिरक्षा तथा अनुसंधान संगठन के गठन की योजना पर कार्य कर रहा है। अतः इसरो को अपनी असैन्य पहचान को बल देना चाहिये साथ ही स्वयं को वाणिज्यिक क्षेत्र से भी जोड़ने की योजना बनानी चाहिये।

प्रश्न- अंतरिक्ष की मानवयुक्त  वाणिज्यिक यात्रा के आलोक में निज़ी क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डालिये। इसके साथ ही अंतरिक्ष प्रशासन संबंधी नियमों का भी उल्लेख कीजिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2