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शासन व्यवस्था

डिजिटल युग में दूरस्थ कार्य

  • 29 Mar 2023
  • 13 min read

यह एडिटोरियल 25/03/2023 को ‘बिज़नेस वर्ल्ड’ में प्रकाशित “To Work, Or Not To Work, From Home” लेख पर आधारित है। इसमें आधुनिक डिजिटल युग में दूरस्थ कार्य से जुड़ी कठिनाइयों की पड़ताल की गई है और उन्हें दूर करने के उपाय सुझाए गए हैं।

संदर्भ

ADP रिसर्च इंस्टीट्यूट (श्रम बाज़ार और कर्मी प्रदर्शन अनुसंधान के लिये प्रमुख वैश्विक मंथन संस्था) की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि तीन-चौथाई से अधिक भारतीय कर्मचारी दूरस्थ या हाइब्रिड कार्यकरण (working remotely or hybrid) के लचीलेपन और अपने कार्य-समय पर नियंत्रण के लिये वेतन कटौती के लिये भी तैयार होंगे।

  • पिछले कुछ माह में, कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को भौतिक कार्यस्थलों पर वापस लौटने को कहा है, जिससे हाइब्रिड कार्य व्यवस्थाओं की प्रभावशीलता और करियर संभावनाओं पर उनके प्रभाव पर एक चर्चा शुरू हुई है। इसने पारंपरिक कार्यस्थल पर लौटने के कृत्य को मानसिकता के एक विषय में रूपांतरित कर दिया है।
  • इस परिदृश्य में, नए मॉडल को विकसित करना समय की मांग है और जो कंपनियाँ इस बदलाव को स्वीकार करती हैं और अपने कर्मचारियों के लिये अधिक लचीलेपन और स्वायत्तता के निर्माण हेतु इसका उपयोग करती हैं, वे शीर्ष प्रतिभा को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिये अधिक बेहतर स्थिति में होंगी।

दूरस्थ कार्य (Remote Work) के लाभ

  • लचीलापन (Flexibility):
    • दूरस्थ कार्य कर्मचारियों को उनके कार्य शेड्यूल और माहौल पर अधिक नियंत्रण रखने की अनुमति देता है। इससे कार्य संतुष्टि (job satisfaction) में वृद्धि हो सकती है और बेहतर कार्य-जीवन संतुलन का निर्माण हो सकता है।
  • प्रतिभा के व्यापक पूल तक पहुँच:
    • दूरस्थ कार्य कंपनियों को दुनिया में कहीं से भी कर्मचारियों को नियुक्त कर सकने का अवसर देता है, यह उपलब्ध प्रतिभाओं के पूल का विस्तार करता है और संभावित रूप से अधिक विविध कार्यबल की ओर ले जाता है।
  • परिवहन समय और लागत में कमी:
    • कर्मचारियों के कार्यालय आने-जाने की आवश्यकता को समाप्त करके, दूरस्थ कार्य परिवहन समय और लागत की बचत कर सकता है।
  • पर्यावरणीय लाभ:
    • कम लोगों के कार्यालय जाने के साथ, दूरस्थ कार्य कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • स्वायत्तता की वृद्धि:
    • दूरस्थ कार्य के लिये प्रायः कर्मचारियों को अपने कार्य के लिये अधिक उत्तरदायित्व ग्रहण करने और प्रभावी ढंग से अपने समय का प्रबंधन करने की आवश्यकता होती है। इससे स्वायत्तता (autonomy) की वृद्धि होती है और अपने कार्य को लेकर लोगों में स्वामित्व या प्रभुत्व (ownership) की वृहत भावना विकसित होती है।
  • कम तनाव और ‘बर्नआउट’:
    • दैनिक आवागमन की आवश्यकता को समाप्त करके और कर्मचारियों को आरामदायक वातावरण में कार्य करने की अनुमति देकर, दूरस्थ कार्य तनाव (stress) और शारीरिक-संवेगात्मक-मानसिक परिश्रांति (burnout) को कम कर सकता है।

दूरस्थ कार्य से संबद्ध चुनौतियाँ

  • अंतर्वैयक्तिक कौशल और संचार (interpersonal skills and communication):
    • एकीकृत एवं स्वीकार्य अंतर्वैयक्तिक कौशल और संचार के संबंध में दूरस्थ कार्यकरण चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
  • मिथ्याबोध या गलतफहमी (Misunderstandings):
    • दूरस्थ कार्य व्यवस्था में, टीम के अंदर किसी भी भ्रामक संप्रेषण (miscommunications) या ग़लतफ़हमी को तत्काल संबोधित करना महत्त्वपूर्ण होता है ताकि उससे आगे कोई बड़ी समस्या उत्पन्न न हो जाए।
  • आत्म-अनुशासन और आत्म-प्रेरणा (Self-Discipline and Self-Starting):
    • दूरस्थ कार्य के लिये आवश्यक है कि कर्मचारी आत्म-अनुशासित और आत्म-प्रेरित करने वाले हों, जो एक अव्यवस्थित जीवन शैली की स्थिति में जटिल सिद्ध हो सकता है।
  • उत्पादकता (Productivity):
    • दूरस्थ कार्य जगत में, विशेष रूप से उपयुक्त कार्यस्थल वातावरण के अभाव में उत्पादकता संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
      • स्टैंडफोर्ड द्वारा 9 माह की अवधि में 16,000 कर्मियों पर किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि घर से कार्य या ‘वर्क फ्रॉम होम’ से उत्पादकता में 13% की वृद्धि हुई।
      • प्रदर्शन में यह वृद्धि प्रति मिनट अधिक कॉल के कारण थी, जो शांत एवं अधिक सुविधाजनक कार्यकाजी माहौल और कम ब्रेक एवं रोग-अवकाश के कारण प्रति शिफ्ट अधिक मिनट तक कार्य करने से संभव हुई थी।
      • इसी अध्ययन में कर्मियों ने बेहतर कार्य संतुष्टि की भी सूचना दी और संघर्षण दर (attrition rates) में 50% की कमी आई।
  • गोपनीयता (Confidentiality):
    • सभी कार्य दूरस्थ रूप से नहीं किये जा सकते हैं और कुछ कंपनियाँ अभी भी पसंद करेंगी कि उनके कर्मचारी एक भौतिक कार्यालय में कार्य करें ताकि कार्य की गोपनीयता बनी रहे।
  • सहकार्यता (Collaboration):
    • सहकार्यता कठिन सिद्ध हो सकती है जब हर कोई अलग-अलग स्थानों से कार्य कर रहा हो। विविध विचारों पर मंथन करना, परियोजनाओं पर एक साथ कार्य करना और प्रतिक्रिया या फीडबैक प्रदान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • अलगाव की भावना (Isolation):
    • दूरस्थ कर्मी अपने सहकर्मियों और कंपनी की संस्कृति से अलग-थलग या ‘डिस्कनेक्टेड’ महसूस कर सकते हैं, जो मनोबल और उत्पादकता को प्रभावित कर सकता है।
  • प्रौद्योगिकी संबंधी मुद्दे:
    • तकनीकी कठिनाइयों को हल करना अधिक चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है जब हर कोई दूर से कार्य कर रहा हो। दूरस्थ कर्मियों के लिये आईटी सपोर्ट आसानी से उपलब्ध नहीं होगा, साथ ही उनके पास वे साधन एवं सॉफ़्टवेयर नहीं भी हो सकते हैं जो उन्हें कार्यालय में उपलब्ध होते हैं।
  • समय प्रबंधन:
    • दूरस्थ कर्मचारियों का आत्म-प्रेरित होना और प्रभावी ढंग से अपने समय का प्रबंधन करने में सक्षम होना आवश्यक है, तभी वे समय-सीमा (deadlines) की पूर्ति और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकेंगे।

आगे की राह

  • स्पष्ट नीतियों और दिशानिर्देशों की स्थापना:
    • दूरस्थ कार्य के लिये स्पष्ट नीतियों और दिशानिर्देशों की आवश्यकता होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मी अवगत हैं कि उनसे क्या अपेक्षा है। इसमें कार्य के घंटे, संचार, उत्पादकता और अन्य प्रासंगिक विषयों के संबंध में दिशानिर्देश शामिल हैं।
  • प्रौद्योगिकी में निवेश करना:
    • दूरस्थ कार्य का समर्थन करने के लिये, संगठनों को ऐसी प्रौद्योगिकी में निवेश करने की आवश्यकता है जो दूरस्थ सहकार्यता, संचार और उत्पादकता को सक्षम बनाए। इसमें वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग टूल, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सॉफ़्टवेयर और अन्य प्रासंगिक टूल शामिल हैं।
  • कर्मचारी कल्याण पर ध्यान देना:
    • दूरस्थ कार्य अलग-थलग होने की भावना को जन्म दे सकते हैं और ‘बर्नआउट’ की ओर ले जा सकते हैं। इसलिये, संगठनों के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि वे कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देने, मानसिक स्वास्थ्य संसाधन प्रदान करने और नियमित ब्रेक या अवकाश को प्रोत्साहित करने के रूप में कर्मचारी कल्याण पर ध्यान केंद्रित करें।
  • संचार और सहकार्यता पर बल देना:
    • दूरस्थ कार्य संचार और सहकार्यता (Communication and Collaboration) के लिये एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता रखता है। संगठनों को नियमित ‘चेक-इन’ (check-ins) स्थापित करके, सामाजिक संपर्क के अवसर प्रदान करके और ज्ञान साझेदारी को प्रोत्साहित करके संचार एवं सहकार्यता पर बल देने की आवश्यकता है।
  • ‘हाइब्रिड वर्क मॉडल’ पर विचार करना:
    • एक हाइब्रिड वर्क मॉडल (Hybrid Work Model) में दूरस्थ कार्य और कार्यस्थल कार्य या ‘इन-पर्सन वर्क’ दोनों शामिल होता है। इसमें कर्मी सप्ताह के कुछ दिन घर से कार्य कर सकते हैं और कुछ दिन कार्यस्थल पर आ सकते हैं।
      • इस प्रकार, एक हाइब्रिड वर्क मॉडल दोनों व्यवस्थाओं का सर्वश्रेष्ठ प्रदान कर सकता है और कई संगठनों के लिये एक अच्छा विकल्प सिद्ध हो सकता है।
  • आकलन और समायोजन:
    • संगठनों को अपनी दूरस्थ कार्य नीतियों का आकलन करने और आवश्यकतानुसार समायोजन करने की आवश्यकता है।
    • इसमें उत्पादकता, कर्मचारी संतुष्टि और अन्य प्रासंगिक घटकों का मूल्यांकन करना शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दूरस्थ कार्य संलग्न सभी लोगों के लिये प्रभावी ढंग से कार्य कर रहा है।

अभ्यास प्रश्न: डिजिटल युग में दूरस्थ कार्य को अपनाने में संगठनों एवं कर्मचारियों के समक्ष कौन-सी मुख्य चुनौतियाँ विद्यमान हैं और इन चुनौतियों को प्रभावी ढंग से कैसे संबोधित किया जा सकता है?

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

मुख्य परीक्षा

प्रश्न. COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में अभूतपूर्व तबाही मचाई है। हालाँकि संकट पर जीत हासिल करने के लिये तकनीकी प्रगति का आसानी से लाभ उठाया जा रहा है। महामारी के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार सहायता की? विस्तृत विवरण दें। (वर्ष 2020)

प्रश्न. पारिवारिक संबंधों पर 'वर्क फ्रॉम होम' के प्रभाव का अन्वेषण और मूल्यांकन करें। (वर्ष 2022)

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