इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

सतत विकास के लिये नवीकरणीय ऊर्जा एक बेहतर विकल्प

  • 03 Mar 2020
  • 21 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में सतत विकास के लिये नवीकरणीय ऊर्जा एक बेहतर विकल्प नामक विषय पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

विकास की दौड़ में शामिल अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक अग्रणी अर्थव्यवस्था है। इस अग्रणी अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की उच्च मांग प्राथमिक आवश्यकता है। ऊर्जा की उच्च मांग की पूर्ति के लिये परमाणु ऊर्जा (परंपरागत ऊर्जा स्रोत का एक उदाहरण) और नवीकरणीय ऊर्जा का विकल्प उपलब्ध है। किसी परमाणु के नाभिक की ऊर्जा को ‘परमाणु ऊर्जा’ कहा जाता है, तो वहीं प्राकृतिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे- सूर्य, पवन, जल, भूगर्भ और पादपों से प्राप्त ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा कहा जाता है। नवीकरणीय ऊर्जा का विश्लेषण करते हुए हम यह पाते हैं कि यह ऊर्जा का ऐसा स्थायी स्रोत है जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिये हानिकारक नहीं है। वर्तमान में विश्व की लगातार बढ़ रही जनसंख्या के कारण ईंधन की लागत में भी वृद्धि हो रही है और इसके समानांतर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों में भी निरंतर कमी देखी जा रही है। ऐसे में सभी लोग ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत खोजने में जुट गए हैं। वस्तुतः जहाँ एक ओर भविष्य की अपार संभावनाओं से युक्त नवीकरणीय ऊर्जा आज की आवश्यकता बनती जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर परमाणु ऊर्जा से हुई आपदाओं के उदाहरण भी सामने आते रहते हैं।

इस आलेख में परमाणु ऊर्जा व नवीकरणीय ऊर्जा का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए भारत के संबंध में इसकी व्यवहार्यता का भी परीक्षण किया जाएगा।

मुद्दा क्या है?

  • फरवरी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि अमेरिका की वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी और भारत की न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड दोनों मिलकर भारत में छह परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिये संयुक्त रूप से कार्य करेंगी।
  • अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के मद्देनज़र डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करना चाहते हैं, ऐसे में वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी सहित कई परमाणु रिएक्टर विक्रेताओं द्वारा इस संदर्भ में लाॅबिंग की जा रही है।
  • इन कंपनियों द्वारा चुनाव में फंडिंग की जाएगी जिसके कारण ट्रंप प्रशासन वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी सहित कई परमाणु रिएक्टर कंपनियों को व्यापार में लाभ पहुँचाना चाहता है।

परमाणु ऊर्जा

  • नाभिकीय विखंडन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को नाभिकीय या परमाणु ऊर्जा कहा जाता है। नाभिकीय विखंडन वह रासायनिक अभिक्रिया है, जिसमें एक भारी नाभिक दो भागों में टूटता है। परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिये नाभिकीय रिएक्टर में नियंत्रित शृंखला अभिक्रिया अपनाई जाती है।
  • जब यूरेनियम पर न्यूट्राॅनों की बमबारी की जाती है, तो एक यूरेनियम नाभिकीय विखंडन के फलस्वरूप बहुत अधिक ऊर्जा व तीन नए न्यूट्रॉन उत्सर्जित करता है। ये नव उत्सर्जित न्यूट्रॉन, यूरेनियम के अन्य नाभिकों को विखंडित करते हैं । इस प्रकार यूरेनियम नाभिकों के विखंडन की एक शृंखला बन जाती है। इसी शृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित कर परमाणु रिएक्टरों में परमाणु ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है ।

भारत में परमाणु ऊर्जा

  • भारत के पास एक अति महत्त्वाकांक्षी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम है, जिससे अपेक्षा है कि वर्ष 2024 तक यह 14.6 गीगावाट बिजली का उत्पादन करेगा, जबकि वर्ष 2032 तक बिजली उत्पादन की यह क्षमता 63 गीगावाट हो जाएगी।
  • भारत का परमाणु ऊर्जा भंडार 293 बिलियन टन का हैं जिसमें अधिकांश योगदान इसके पूर्वी राज्यों जैसे- झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल का है।
  • भारत के पास निमनलिखित पाँच बिजली ग्रिड हैं –उत्तरी, पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी। दक्षिणी ग्रिड के अलावा इसके अन्य सभी ग्रिड आपस में जुड़े हुए हैं। इन सभी ग्रिडों का संचालन पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Power Grid Corporation of India) द्वारा किया जाता है।

परमाणु ऊर्जा का लाभ

  • यूरेनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होती है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणुओं के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है।
  • अनेक विकसित और विकासशील देश परमाणु ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रुपांतरण कर रहे हैं।
  • परमाणु ऊर्जा बहुत लंबे समय तक हमारी ऊर्जा संबंधी ज़रूरतों को पूरा कर सकती है। यह अन्य स्रोतों की अपेक्षा कम खर्च पर ऊर्जा प्रदान करती है।
  • परमाणु ऊर्जा कम मात्रा में ही हरितगृह गैसों को उत्पन्न करती है।

परमाणु ऊर्जा से हानि

  • फुकुशिमा के परमाणु विध्वंस से यह साफ हो गया है कि परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा का चाहे कितना भी दावा किया जाए, वे पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहे जा सकते।
  • ऐसे में भारत में अधिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के पीछे दिये जा रहे तर्क हास्यास्पद हैं।
  • परमाणु ऊर्जा संयत्रों को प्राकृतिक आपदा के कारक के रूप में भी देखा जा सकता है।
  • जादूगुड़ा, तारापुर, रावतभाटा और कलपक्कम आदि जहाँ भारत के मौजूदा परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं, वहाँ के नज़दीकी गाँवों और बस्तियों में रहने वाले लोगों में अनेक रेडियोधर्मिता से जुड़ी बीमारियों का फैलना साबित करता है कि परमाणु विकिरण का असर काफी खतरनाक हैं।
  • आमतौर पर लोग सोचते हैं कि परमाणु ऊर्जा सिर्फ बम के रूप में ही हानिकारक होती है अन्यथा नहीं। लेकिन सच तो यह है कि परमाणु बम में रेडियोएक्टिव पदार्थ कुछ किलो ही होता है और विस्फोट की वजह से उसका नुकसान एक बार में ही काफी ज्यादा होता है, जबकि एक रिएक्टर में रेडियोधर्मी परमाणु ईंधन कई टन की मात्रा में होता है। अगर वह किसी भी कारण से बाहरी वातावरण के संपर्क में आ जाता है तो उससे रेडियोधर्मिता का खतरा बम से भी कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
  • जहाँ तक परमाणु ऊर्जा की लागत का सवाल है, तो इसके लिये आवश्यक रिएक्टर तो बहुत महँगे हैं ही और परमाणु ऊर्जा के तकनीकी मामले में हम विदेशों पर आश्रित हैं।
  • किसी भी परमाणु संयंत्र की लागत का अनुमान करते समय न तो उससे निकलने वाले परमाणु कचरे के निपटान की लागत को शामिल किया जाता है और न ही परमाणु संयंत्र की डी-कमीशनिंग (विध्वंस) में आने वाले व्यय को शामिल करते हैं।
  • यदि कोई दुर्घटना न भी हो तो भी एक अवस्था के बाद परमाणु संयंत्रों को बंद करना होता है और वैसी स्थिति में परमाणु संयंत्र का विध्वंस तथा उसके रेडियोएक्टिव कचरे को डंप करना अधिक खर्चीला होता है। और यदि अगर परमाणु दुर्घटना हो जाए तो उसके खर्च का अनुमान लगाना ही बहुत मुश्किल है। वर्ष 1986 में चेर्नोबिल की दुर्घटना से 4000 वर्ग किमी. का क्षेत्रफल हज़ारों वर्षों तक रहने योग्य नहीं रहा। वहाँ हुए परमाणु ईंधन के रिसाव से करीब सवा लाख वर्ग किमी ज़मीन परमाणु विकिरण के भीषण असर से ग्रस्त है।
  • फुकुशिमा के हादसे के बाद से दुनिया के तमाम देशों ने अपने परमाणु कार्यक्रमों को स्थगित कर उन पर पुनर्विचार करना शुरू किया है। जर्मनी में तो वहाँ की सरकार ने परमाणु ऊर्जा को शून्य पर लाने की योजना बनाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है। खुद अमेरिका में 1976 के बाद से कोई भी नया परमाणु संयंत्र नहीं लगाया गया है।
  • परमाणु ईंधन को ठंडा रखने के लिये बहुत ज्यादा मात्रा में पानी उस पर लगातार छोड़ा जाता है। यह पानी परमाणु प्रदूषित हो जाता है और इसका प्रभाव भी जानलेवा हो सकता है।

स्वच्छ ऊर्जा विकल्प

1970 के दशक में पर्यावरणविदों ने पारंपरिक ईंधन स्रोतों से हमारी निर्भरता को कम करने और उसके प्रतिस्थापन के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना शुरू किया। 21वीं सदी की शुरुआत में दुनिया की ऊर्जा खपत का 20 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होने लगा था। ध्यातव्य है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने भी अपनी बिजली उत्पादन क्षमता में काफी वृद्धि किया है। विगत तीन वर्षों में नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा में लगभग 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

क्या है नवीकरणीय ऊर्जा?

  • यह ऐसी ऊर्जा है जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जल शक्ति ऊर्जा और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि यह कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जा सकता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों (जो कि दुनिया के काफी सीमित क्षेत्र में मौजूद हैं) की अपेक्षा काफी विस्तृत भू-भाग में फैले हुए हैं और ये सभी देशों को काफी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं।
  • ये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े होते हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा विकल्प बेहतर क्यों हैं?

  • नवीकरणीय ऊर्जा के उपर्युक्त विकल्पों और उनकी अक्षय व पुन:निर्मित क्षमताओं ने परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से स्वयं को बेहतर साबित किया है।
  • हम सभी जानते हैं कि वर्षों से दुनिया जिन ऊर्जा स्रोतों को जीवाश्म ईंधन के रूप में उपयोग करती आ रही है, वे एक सीमित संसाधन हैं। जहाँ एक ओर उनके विकास में लाखों साल लग जाते हैं, वहीं उनके अत्यधिक दोहन के कारण समय के साथ-साथ वे कम होते जाएंगे। एक और सबसे बड़ी बात यह है कि नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों का जीवाश्म ईंधन की तुलना में पर्यावरण पर बहुत कम दुष्प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इनसे ग्रीन हाउस गैसें नहीं निकलती हैं।
  • इसके अलावा जीवाश्म ईंधन प्राप्त करने के लिये प्रायः पृथ्वी पर उन स्थानों में खनन अथवा ड्रिलिंग करने की आवश्यकता होती है जो पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील होते हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा विकल्प पूर्णतया निःशुल्क तथा प्रचुरता में सरलता से उपलब्ध हैं। इन पर जीवाश्मीय ईंधनों, जैसे-तेल, गैस या नाभिक ईंधनों जैसे यूरेनियम आदि की तरह किसी भी देश या वाणिज्यिक प्रतिष्ठान का एकाधिकार नहीं होता है। अतः इनकी आपूर्ति भी निर्बाध होती रहती है और नवीकरणीय ऊर्जा मूल्यप्रभावी बन जाती है।
  • इस तरह नवीकरणीय ऊर्जा विकल्प विशुद्ध रूप से सरल, सर्वव्यापी और पूरी दुनिया में आसानी से उपलब्ध हैं, जिसमें ग्रामीण और सुदूर क्षेत्र के वे इलाके भी शामिल हैं जहाँ अभी तक बिजली भी नहीं पहुँच पाई है।

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति

  • पृथ्वी को स्वच्छ रखने की ज़िम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए भारत ने संकल्प लिया है कि वर्ष 2030 तक बिजली उत्पादन की हमारी 40 फीसदी स्थापित क्षमता ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों पर आधारित होगी।
  • साथ ही यह भी निर्धारित किया गया है कि वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की जाएगी। इसमें सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट, पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट, बायोमास से 10 गीगावाट और छोटी पनबिजली परियोजनाओं से 5 गीगावाट क्षमता प्राप्त करना शामिल है।
  • इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के साथ ही भारत विश्व के सबसे बड़े स्वच्छ ऊर्जा उत्पादकों की कतार में शामिल हो जाएगा। यहाँ तक कि वह कई विकसित देशों से भी आगे निकल जाएगा।
  • वर्ष 2018 में देश की कुल स्थापित क्षमता में तापीय ऊर्जा की 63.84 फीसदी, नाभिकीय ऊर्जा की 1.95 फीसदी, पनबिजली की 13.09 फीसदी और नवीकरणीय ऊर्जा की 21.12 फीसदी हिस्सेदारी थी।
  • भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ नवीकरणीय ऊर्जा के विकास के लिये अलग मंत्रालय गठित है और ‘राष्ट्रीय पवन-सौर स्वच्छता नीति-2018’ के अनुसार, पवन-सौर ऊर्जा उत्पादन के वर्तमान लक्ष्य 80 गीगावाट को वर्ष 2022 तक दोगुने से भी ज्यादा अर्थात 225 गीगावाट तक पहुँचाने का लक्ष्य है

नवीकरणीय ऊर्जा विकल्प लोकप्रिय क्यों नहीं हैं?

  • नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों की प्रौद्योगिकियों का निरंतर विकास हो रहा है, फिर भी वे लोकप्रिय नहीं बन पा रहे हैं। सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों और नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोतों का उपयोग मुख्य रूप से बिजली का उत्पादन करने में किया जा रहा है। परंतु इन सभी विकल्पों में एक उभय-निष्ठ तथ्य जो उभरकर आता है, वह है इनका अधिक ख़र्चीला होना, क्योंकि इनके उत्पादन में भारी निवेश की आवश्यकता होती है।
  • साथ ही लोगों में नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर जागरूकता का अभाव है, जिससे उपलब्ध‍ क्षमता के बावजूद भी नवीकरणीय ऊर्जा का दोहन काफी कम है।
  • लोग इन विकल्पों पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि बरसों से परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के उपयोग करने की आदत पड़ गई है और उनसे भावनात्मक जुड़ाव हो गया है।
  • चूँकि नवीकरणीय ऊर्जा की मात्रा में अचानक परिवर्तन हो सकता है, अतः यह भी संभव है कि मांग या आवश्यकता के समय इसकी उपलब्धता उत्पादन को प्रभावित करे। अतः इसकी विश्वसनीय आपूर्ति न होने के कारण नवीकरणीय ऊर्जा की व्यावहारिक सुविधा को लेकर आशंका बनी रहती है। जैसा कि किसी भी नई तकनीक की शुरूआत के साथ होता है, वही नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों के साथ भी हो रहा है।
  • इनकी वास्तविक क्षमताओं और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत के तौर पर इनकी विश्वसनीयता को लेकर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है।

नवीकरणीय ऊर्जा ही भविष्य का एकमात्र विकल्प क्यों है?

  • पिछले कुछ दशकों में विश्व की निरंतर बढ़ रही औसत जनसंख्या, आधुनिक तकनीकी विकास और विद्युतीकरण की बढ़ती दर के कारण विश्व स्तर पर ऊर्जा की मांग भी उतनी ही तेजी से बढ़ी है। पर्यावरण विशेषज्ञों का विश्वास है कि इस मांग को नवीकरणीय ऊर्जा के विभिन्न विकल्पों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है।
  • लोगों के बेहतर स्वास्थ्य, कोयले जैसे पारंपरिक ईंधन के बढ़ते खर्च पर नियंत्रण, विश्वव्यापी ऊष्णता तथा अम्लीय वर्षा और कार्बन - डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करके पर्यावरण की सुरक्षा के लिये अब नवीकरणीय ऊर्जा ही भविष्य का एकमात्र विकल्प रह गया है।

आगे की राह

  • विश्व में सौर ऊर्जा से लेकर समुद्र तटीय क्षेत्रों में पवन और जल ऊर्जा के विस्तार के साथ-साथ भू-तापीय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन द्वारा दुनिया की अधिकतम बिजली की ज़रूरत को पूरा किया जा सकता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार से वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इसके लिये नवीकरणीय ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उपयोग के साथ-साथ इसकी भंडारण क्षमता के सशक्तीकरण की भी आवश्यकता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को स्वेच्छा से अपनाने के लिये लोगों को भावनात्मक और सामाजिक तौर पर जुड़ना होगा। इनकी विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों पर अधिक नियंत्रण और इनका बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करना होगा।

प्रश्न- भारत की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता पर चर्चा करें। आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं कि नवीकरणीय ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा का एक बेहतर विकल्प है? विश्लेषण करें।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow