विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास
- 20 May 2025
- 26 min read
यह एडिटोरियल 19/05/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “Copyright’s tryst with generative AI” पर आधारित है । लेख में यह प्रकाश डाला गया है कि तकनीक के साथ विकसित होता कॉपीराइट कानून अब जनरेटिव एआई द्वारा कॉपीराइट से संरक्षित कृतियों के उपयोग को विनियमित करने की चुनौती का सामना कर रहा है, जबकि सृजनकर्त्ताओं के अधिकारों और नवाचार के बीच संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक है।
प्रिलिम्स के लिये:कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंडियाAI मिशन, AI पर राष्ट्रीय रणनीति, सभी के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023, कौशल भारत, नीति आयोग का ऐरावत, यूरोपीय संघ एआई अधिनियम,युवाओं के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, GPAI शिखर सम्मेलन (2023), डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन। मेन्स के लिये:विकास और शासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्त्व और संबंधित चिंताएँ। |
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अब कोई दूर की कल्पना नहीं रही — यह भारत की विकास यात्रा को पुनर्परिभाषित करने वाली एक परिवर्तनकारी शक्ति बन चुकी है। कृषि में क्रांति लाने से लेकर सार्वजनिक सेवा वितरण को नए सिरे से परिभाषित करने तक, AI में आर्थिक समावेशन और शासन दक्षता को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएँ हैं। इंडियाAI मिशन जैसी दूरदर्शी पहलों के साथ, भारत न केवल AI को अपना रहा है, बल्कि एक विशिष्ट स्वदेशी AI पारितंत्र (इकोसिस्टम) को सक्रिय रूप से आकार भी दे रहा है। हालाँकि, इन अवसरों के साथ-साथ बुनियादी ढाँचे, डाटा, विनियमन और समानता से जुड़ी चुनौतियों को समय रहते संबोधित करना भी उतना ही आवश्यक है।
भारत के विकास और शासन के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता कौन-से अवसर प्रस्तुत करती है?
- रणनीतिक आर्थिक गुणक: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) वर्ष 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 967 अरब डॉलर जोड़ने की संभावना है।
- यह आँकड़ा NASSCOM और Accenture द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जो यह दर्शाता है कि इससे भारत के सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) में 15% तक की परिवर्तनकारी वृद्धि हो सकती है।
- आर्थिक परिवर्तन: AI को अपनाने से विभिन्न उद्योगों में उत्पादकता, गुणवत्ता और संचालन क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
- भारत के आईटी सेवा क्षेत्र को वर्ष 2030 तक AI के एकीकरण से 500 अरब डॉलर का आर्थिक लाभ होने की संभावना है।
- इसके अतिरिक्त, एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, जनरेटिव AI भारत के 254 अरब डॉलर के सॉफ्टवेयर क्षेत्र की उत्पादकता को 43–45% तक बढ़ा सकता है, विशेष रूप से सॉफ्टवेयर विकास में, क्योंकि कंपनियाँ तेज़ी से AI को अपने कार्यों में शामिल कर रही हैं।
- कृषि को सशक्त बनाना: AI आधारित फसल निगरानी और पूर्वानुमान विश्लेषण कृषि उत्पादकता और जोखिम प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहे हैं।
- उदाहरण के लिये, माइक्रोसॉफ्ट के एआई सोइंग ऐप ने आंध्र प्रदेश में मूँगफली की उपज में 30% की वृद्धि दर्ज की, जो इसका प्रत्यक्ष प्रभाव दर्शाता है।
- स्वास्थ्य उपचार में AI का उपयोग: AI-सक्षम डायग्नोस्टिक उपकरण कमज़ोर और दूरदराज़ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित समस्याओं को समाप्त करने में प्रभावी हैं।
- Qure.ai जैसे स्टार्टअप्स AI की मदद से क्षयरोग (TB) की प्रारंभिक पहचान करते हैं, जिससे उपचार की प्रक्रिया का समय काफी घट जाता है।
- शिक्षा तक पहुँच में सुधार: AI शिक्षा को व्यक्तिगत बनाता है, जहाँ विद्यार्थियों की ज़रूरतों और शिक्षण शैली के अनुसार सामग्री अनुकूलित की जाती है।
- विभिन्न प्लेटफॉर्म्स AI का उपयोग कर भारत की विविध जनसंख्या के करोड़ों छात्रों के लिये सीखने का अनुभव व्यक्तिगत रूप से तैयार करते हैं।
- ज्ञान और नवाचार का लोकतंत्रीकरण: AI जानकारी और सस्ती तकनीकी अधोसंरचना तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित करता है, जिससे स्टार्टअप्स और शोधकर्त्ताओं को लाभ होता है।
- इंडियाएआई मिशन जैसे पहलें सब्सिडी वाले ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) की सुविधा देकर प्रत्येक नवप्रवर्तक को बराबरी का अवसर देती हैं।
- AI आधारित डेटा विश्लेषण द्वारा शासन: AI सरकारी निर्णयों को वास्तविक समय में लेने में मदद करता है, क्योंकि यह जनता से जुड़े बड़े डेटा सेट्स का त्वरित विश्लेषण कर सकता है।
- सड़क परिवहन मंत्रालय AI का उपयोग यातायात प्रवाह को अनुकूलित करने, सड़क सुरक्षा बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने में कर रहा है।
- सार्वजनिक क्षेत्र की दक्षता: AI सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति को आधुनिक बनाता है, जिससे गति, पारदर्शिता और नागरिक सहभागिता में सुधार होता है।
- दिल्ली पुलिस की क्राइम मैपिंग एनालिटिक्स प्रणाली AI के ज़रिये क्राइम हॉटस्पॉट की पहचान करती है और प्रोऐक्टिव गश्त की रणनीति बनाती है।
- वित्तीय समावेशन का विस्तार: AI आधारित क्रेडिट स्कोरिंग प्रणाली उन लोगों को वित्तीय सेवाओं तक पहुँच प्रदान करती है, जो अब तक बैंकिंग सेवाओं से वंचित थे।
- फिनटेक कंपनियाँ पारंपरिक डेटा के स्थान पर वैकल्पिक डेटा का उपयोग कर AI के माध्यम से पहली बार ऋण लेने वालों के लिये क्रेडिट स्कोर तैयार करती हैं।
- MSME प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना: AI सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को पूर्वानुमान विश्लेषण, स्वचालन और बेहतर ग्राहक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) की Google के साथ साझेदारी MSME को AI अपनाने के लिये सशक्त बना रही है, जिससे संचालन क्षमता और विकास दर में सुधार हो रहा है।
- पर्यावरण प्रबंधन: AI-संचालित जलवायु मॉडल प्रदूषण का पूर्वानुमान लगाने और शहरी पर्यावरणीय जोखिमों को कम करने में सहायता करते हैं।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) AI का उपयोग वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान लगाने और समय पर जनता को चेतावनी जारी करने के लिये कर रहा है।
- स्मार्ट सिटी पहल: AI स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को यातायात, अपशिष्ट प्रबंधन और ऊर्जा दक्षता के अनुकूलन में समर्थन देता है।
- पुणे स्मार्ट सिटी में AI आधारित निगरानी प्रणाली और गतिशीलता विश्लेषण का उपयोग बेहतर शहरी प्रशासन हेतु किया जा रहा है।
- AI-प्रेरित न्यायिक सुधार: AI उपकरण मुकदमों के निर्धारण को सुव्यवस्थित करते हैं और न्यायालयों में कानूनी शोध की दक्षता में सुधार करते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट का “सुवास” (सुप्रीम कोर्ट विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर) मंच AI-सक्षम अनुवाद सेवाएँ प्रदान करता है, जिससे बहुभाषी न्यायिक प्रक्रियाएँ सुलभ बनती हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना: AI सीमा निगरानी और साइबर सुरक्षा को मज़बूत बनाता है, जिससे उन्नत खतरा पहचान प्रणाली संभव हो पाती है।
- DRDO द्वारा विकसित AI आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम संवेदनशील क्षेत्रों और महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं।
- कौशल और रोज़गार को समर्थन: अनुमान है कि AI 2025 तक 2 करोड़ रोज़गार उत्पन्न कर सकता है, बशर्ते मज़बूत कौशल विकास पहलें अपनाई जाएँ।
- NASSCOM का FutureSkills Prime मंच पेशेवरों को AI, डेटा साइंस, और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर रहा है।
- भारत को AI निर्यात केंद्र बनाना: भारत अपनी AI प्रतिभा क्षमता के बल पर वैश्विक AI आउटसोर्सिंग और नवाचार का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
- 4 लाख से अधिक AI पेशेवरों के साथ भारत विश्व के अग्रणी AI प्रतिभा केंद्रों में शामिल है।
AI अंगीकरण के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- अपर्याप्त डेटा पारिस्थितिकी तंत्र: भारत में AI प्रशिक्षण के लिये आवश्यक उच्च गुणवत्ता वाले, समन्वित एवं उचित रूप से एनोटेट किए गये डेटा की कमी है।
- नेशनल डेटा एवं एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म (NDAP) जैसी पहलें डेटा को एकीकृत करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- अनुसंधान एवं विकास (R&D) में कम निवेश: भारत का AI अनुसंधान व्यय GDP का मात्र 0.1% से भी कम है, जो अमेरिका और चीन की तुलना में बेहद कम है।
- इस सीमित निवेश के कारण स्थानीय AI प्रौद्योगिकियों और मूलभूत मॉडलों का विकास बाधित हो रहा है।
- कुशल कार्यबल की कमी: भारत के केवल 4% कार्यबल को ही AI और संबंधित डिजिटल तकनीकों में औपचारिक रूप से प्रशिक्षित माना जाता है।
- नीति आयोग की AI पर राष्ट्रीय रणनीति में 10 मिलियन युवाओं को तत्काल कौशल प्रदान करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
- क्षेत्रीय डिजिटल विभाजन: AI का उपयोग IT और वित्त में केंद्रित है, जबकि कपड़ा और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्र पीछे हैं।
- खराब डिजिटल बुनियादी ढाँचे और AI से संबंधित जागरूकता की कमी MSME और कृषि क्षेत्र की भागीदारी में बाधा डालती है।
- नैतिक और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: ज़िम्मेदार प्रशासन के बिना AI प्रणालियों से पूर्वाग्रह, भेदभाव और निगरानी को बढ़ावा मिलने का खतरा है।
- भारत में वर्तमान में AI नैतिकता, गोपनीयता और डेटा संरक्षण को नियंत्रित करने के लिये व्यापक रूप से कानून का अभाव है।
- कॉपीराइट से संबंधित चुनौतियाँ: कॉपीराइट कानून प्रौद्योगिकी के साथ-साथ विकसित हुआ है, जो अभिव्यक्ति के नए रूपों को अपनाते हुए रचनाकारों की रक्षा करता है।
- वर्तमान में, जनरेटिव AI प्रत्यक्ष पुनरुत्पादन के बिना प्रशिक्षण के लिये कॉपीराइट कार्यों का उपयोग करके कानून को चुनौती देता है।
- सीमित उद्योग-अकादमिक सहयोग: कमज़ोर साझेदारी के कारण अकादमिक AI अनुसंधान अक्सर उद्योग की ज़रूरतों से अलग रहता है।
- बुनियादी ढाँचे का अंतराल: वर्ष 2023 तक, लगभग 45% भारतीय आबादी के पास इंटरनेट तक पहुँच नहीं होगी, जिससे व्यापक रूप से AI को अपनाना सीमित हो जाएगा।
- भारतनेट जैसी परियोजनाओं का उद्देश्य लास्ट-मील कनेक्टिविटी में सुधार करना है, लेकिन इनका क्रियान्वयन असमान है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के डेटा का कम उपयोग: सरकारी डेटासेट अक्सर पुराने होते हैं और मशीन द्वारा पढ़े जाने योग्य नहीं होते हैं, जिससे AI की उपयोगिता कम हो जाती है।
- ओपन गवर्नमेंट डेटा प्लेटफॉर्म का उद्देश्य सार्वजनिक डेटा की पहुँच को मानकीकृत और बेहतर बनाना है।
- विखंडित विनियामक परिदृश्य: AI विनियमन एकीकृत राष्ट्रीय कानून के बिना विभिन्न क्षेत्रों में बिखरा हुआ है, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।
- बड़े पैमाने पर तैनाती और प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिये एक सुसंगत राष्ट्रीय AI कानून आवश्यक है।
- स्टार्टअप्स का धीमा विकास: भारत में 3,000+ AI स्टार्टअप्स हैं, परंतु अधिकांश को पूंजी और मार्गदर्शन की कमी का सामना करना पड़ता है।
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना प्रारंभिक चरण के उद्यमों को सहायता प्रदान करती है, लेकिन इसका क्रियान्वयन असमान है।
भारत समावेशी और नैतिक विकास के लिये AI के भविष्य को रणनीतिक रूप से कैसे संचालित कर सकता है?
- अधिकार-आधारित AI फ्रेमवर्क अपनाना: भारत को सभी AI परिनियोजनों में निष्पक्षता, जवाबदेही और गोपनीयता सुरक्षा को शामिल करना चाहिये।
- नीति आयोग का "सभी के लिये उत्तरदायी AI" समानता और नैतिकता पर केंद्रित एल्गोरिथम शासन की वकालत करता है।
- डेटा संरक्षण व्यवस्था को मज़बूत बनाना: सहमति, शिकायत निवारण और प्रवर्तन सुनिश्चित करने वाले मजबूत डेटा गोपनीयता कानून महत्त्वपूर्ण हैं।
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 एक आधार प्रदान करता है, लेकिन इसके लिये स्पष्ट प्रवर्तन की आवश्यकता है।
- कौशल विभाजन को कम करना: समावेशी AI विकास के लिये लक्षित कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण और हाशिये पर पड़े युवाओं को कौशल प्रदान करना आवश्यक है।
- फ्यूचरस्किल्स प्राइम और स्किल इंडिया जैसी पहलों को व्यावसायिक प्रशिक्षण में AI मॉड्यूल को एकीकृत करना चाहिये।
- स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देना: विदेशी AI मॉडलों पर निर्भरता कम करने के लिये स्थानीय अनुसंधान एवं विकास में सार्वजनिक-निजी निवेश की आवश्यकता है।
- तेलंगाना में INAI (इंटेल AI) सहयोगात्मक AI विकास भारतीय संदर्भों के लिये अनुरूप समाधान का उदाहरण है।
- AI तक समान पहुँच सुनिश्चित करना: इसकी तैनाती स्थानीय भाषा के साथ सामाजिक क्षेत्रों - स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा - पर केंद्रित होनी चाहिये।
- AI फॉर ऑल पहल का उद्देश्य भाषाई और भौगोलिक विविधता को संबोधित करके AI तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाना है।
- शासन में AI को ज़िम्मेदारीपूर्वक लागू करना: सरकारी AI के उपयोग से सार्वजनिक सेवाओं में बहिष्कार, पूर्वाग्रह और पारदर्शिता की कमी से बचा जाना चाहिये।
- नीति आयोग का ऐरावत प्लेटफॉर्म कुशल और नैतिक सेवा वितरण के लिये विश्वसनीय AI मॉडल को बढ़ावा देता है।
- बहु-हितधारक शासन को बढ़ावा देना: नागरिक समाज, शिक्षा जगत और उद्योग की भागीदारी के साथ समावेशी नियामक निकाय महत्त्वपूर्ण हैं।
- नियामक निरीक्षण के साथ नवाचार को संतुलित करने के लिये एक AI सलाहकार परिषद की सिफारिश की गई है।
- क्षेत्र-विशिष्ट विनियम बनाना: विशिष्ट जोखिमों के प्रबंधन के लिये स्वास्थ्य सेवा और वित्त जैसे क्षेत्रों के लिये अनुरूप दिशानिर्देशों की आवश्यकता है।
- इनमें AI की व्याख्या, उत्तरदायित्व और नैतिक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जाना चाहिये।
ज़िम्मेदार और प्रभावी AI विकास के लिये आगे की राह क्या है?
- स्केलेबल कंप्यूटेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना: भारत को AI की बढ़ती मांग के लिये क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा सेंटर और वितरित नेटवर्क को बढ़ाना होगा।
- ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों को प्राथमिकता देने से ग्रामीण-शहरी डिजिटल विभाजन को प्रभावी ढंग से कम करने में मदद मिलेगी।
- समावेशी और वैश्विक AI विनियम लागू करना: भारत को यूरोपीय संघ AI अधिनियम जैसे वैश्विक ढाँचे के अनुरूप AI नीतियाँ तैयार करनी चाहिये।
- पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ जोखिम-आधारित विनियमन नैतिक AI परिनियोजन को बढ़ावा देगा।
- AI शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण का लोकतंत्रीकरण: युवाओं के लिये उत्तरदायी AI और इंडियाAI फ्यूचरस्किल्स जैसी पहलों का विस्तार करना अनिवार्य है।
- इन कार्यक्रमों को विविध AI कार्यबल का निर्माण करने के लिये ग्रामीण और हाशिये पर स्थित समुदायों को लक्षित करना चाहिये।
- उच्च गुणवत्ता वाले डेटा अभिशासन को बढ़ावा देना: डेटा सटीकता, गोपनीयता अनुपालन और एकीकृत पहुँच सुनिश्चित करने के लिये अभिशासन ढाँचे को लागू करना।
- इंडियाडेटासेट्स प्रोग्राम जैसे प्लेटफॉर्म से AI की विश्वसनीयता और नागरिक विश्वास को बढ़ावा मिलेगा।
- सहमति-आधारित डेटा साझाकरण को बढ़ावा देना: सहमति-आधारित डेटा नीतियाँ पारदर्शिता को प्रोत्साहित करती हैं और AI शासन में नागरिकों को सशक्त बनाती हैं।
- इस तरह की साझेदारी कुशल, वैयक्तिकृत सार्वजनिक सेवाओं को सक्षम बनाती है और डेटा-संचालित नीति-निर्माण को समर्थन प्रदान करती है।
- समावेशी AI पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करना: AI टूल्स को भारत भर में भाषाई विविधता और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को संबोधित करना होगा।
- स्थानीय AI अनुप्रयोगों के विकास से पहुँच और सामाजिक समावेशन में वृद्धि होगी।
- भारत ने GPAI शिखर सम्मेलन (वर्ष 2023) के दौरान बहु-हितधारक ढाँचे के महत्त्व पर ज़ोर दिया, जो सतत् वैश्विक विकास के लिये सुरक्षित, समावेशी और ज़िम्मेदार AI को आगे बढ़ाने के लिये सरकारों, उद्योग, शिक्षा और नागरिक समाज को एक साथ लाता है।
- AI नीतियों की निगरानी, मूल्यांकन और अनुकूलन: यह सुनिश्चित करने के लिये कि AI नीतियाँ प्रासंगिक और प्रभावी बनी रहें, वास्तविक समय प्रभाव आकलन स्थापित करना।
- डेटा अंतर्दृष्टि का उपयोग करके निरंतर परिशोधन से उभरती हुई तकनीकी चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिलेगी।
- साइबर सुरक्षा ढाँचे को उन्नत करना: डिजिटल बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा के लिये AI-सक्षम खतरे का पता लगाने और पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण को लागू करना।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) सुरक्षा को मज़बूत करना राष्ट्रीय लचीलेपन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का लाभ उठाना: अमेरिका-भारत AI पहल जैसी वैश्विक साझेदारियाँ क्षेत्र-विशिष्ट AI अनुप्रयोगों को गति प्रदान करती हैं।
- सहयोग से ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा तथा भारत की विशिष्ट विकासात्मक आवश्यकताओं के अनुरूप समाधान तैयार होंगे।
- अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करना: राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन को शिक्षा-उद्योग-सरकार साझेदारी को बढ़ावा देना चाहिये।
- इस तरह के सहयोग से स्थानीय चुनौतियों का समाधान करने वाले AI समाधानों के नवाचार और क्रियान्वयन में तेज़ी आती है।
निष्कर्ष
भारत की AI यात्रा एक निर्णायक मोड़ पर है, जो नवाचार को ज़िम्मेदारी के साथ मिश्रित कर रही है। चुनौतियों का समाधान करके तथा अपनी जनसांख्यिकीय, भाषाई और डिजिटल शक्तियों का लाभ उठाकर भारत समावेशी AI में विश्व का नेतृत्व कर सकता है। एक रणनीतिक, नैतिक और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि AI राष्ट्रीय परिवर्तन के लिये एक सच्चा उत्प्रेरक बन जाए।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: चर्चा कीजिये कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता भारत के आर्थिक विकास और शासन परिवर्तन के लिये उत्प्रेरक के रूप में कैसे कार्य कर सकती है। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. कृत्रिम बुद्धि (ए.आई.) की अवधारणा का परिचय दीजिये। ए.आई. क्लिनिकल निदान में कैसे मदद करता है? क्या आप स्वास्थ्य सेवा में ए.आई. के उपयोग में व्यक्ति की निजता को कोई खतरा महसूस करते हैं? (2023) |