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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

न्यायसंगत विकास के लिये प्रवासन का प्रबंधन

  • 19 Apr 2017
  • 9 min read

संदर्भ
एफ. स्कॉट फिट्ज़गेराल्ड की प्रसिद्ध रचना ‘द ग्रेट गेट्सबे’(The Great Gatsby) में, 1920 में न्यूयार्क में रहने वाले प्रत्येक बड़े प्रवासी व्यक्ति के विषय में बताया गया है| विदित है कि अमेरिका के इतिहास में प्रवासन की सदैव एक मुख्य भूमिका रही है| दरअसल, श्रम की तलाश में लोगों की देश से बाहर जाने की क्षमता ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गतिशील स्वरूप प्रदान करती है| ध्यातव्य है कि जब उचित लोगों को उचित आय वाले अच्छे रोज़गार प्राप्त होते हैं तो उनकी उत्पादकता में तो बढ़ोतरी होती ही है, साथ ही उनके देश का आर्थिक विकास भी होता है|

सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु

  • वस्तुतः भारत में धनी और निर्धन के बीच का अंतराल उत्तर-दक्षिण धुरी और ग्रामीण-शहरी अंतराल के ही समान है|
  • दरअसल, आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन (Organization for Economic Co-operation and Development- OECD)  द्वारा विकास, रोज़गार और असमानता पर एक अध्ययन किया गया तथा बताया गया कि भारत में विकास का लाभ केवल धनी राज्यों को ही प्राप्त हो रहा है तथा इससे गरीब और अधिक जनसंख्या वाले राज्य (बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश) विकास की दौड़ में पीछे छूट रहे हैं|
  • स्पष्ट है कि धनी राज्यों की उच्च वृद्धि दर का कारण वाणिज्य और सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में होने वाली वृद्धि है, जबकि कई गरीब राज्यों में कृषि ही जीविका का मुख्य स्रोत है जबकि उद्योग प्रायः अनुपस्थित हैं|
  • इस सर्वेक्षण में इस प्रश्न की ओर भी ध्यान केन्द्रित किया गया कि “आतंरिक समन्वय द्वारा भी राज्यों के मध्य आय और उपभोग के अंतराल में संकीर्णता क्यों नहीं आती है”? हालाँकि, इस प्रश्न की दो संभावित व्याख्याएँ हो सकती हैं: एक, शासन-व्यवस्था और संस्थागत व्यवस्था में सम्मिलन नहीं होना, और दूसरा, भारत का अपने आर्थिक विकास में बढ़ोत्तरी करने के लिये अकुशल क्षेत्रों की बजाय कुशल क्षेत्रों को अधिक महत्त्व देना|
  • ये दोनों ही व्याख्याएँ सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद में गतिशीलता को दर्शाती हैं| अतः कम विकसित राज्यों पर अपनी शासन-व्यवस्था को सुधारने का दबाव बनाया जाए जो प्रतिस्पर्द्धात्मक रूप से भी आकर्षक हो|

भारत की स्थिति

  • उल्लेखनीय है कि भारतीय बाज़ारों में प्रवासन की स्थिति अमेरिका के विपरीत है| 
  • हालाँकि, भारत से श्रम के प्रवासन में वृद्धि हुई है परन्तु इसके बावजूद भी यहाँ असमानता में कोई कमी नहीं आई है| 
  • इस वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत से अधिक से अधिक प्रवासन हो रहा है तथा इसकी दर में बढोतरी हुई है| 
  • विदित हो कि 2011 की जनगणना के आँकड़ों और रेलवे यात्री ट्रैफिक के आधार पर 2017 के सर्वेक्षण में नई पद्धति का उपयोग कर यह पता चला कि वर्ष 2001 से 2011 के मध्य औसतन वार्षिक अंतर्राज्यीय श्रम गतिशीलता पाँच से छह मिलियन थी, जबकि औसत वार्षिक प्रवासन करीब नौ मिलियन था| यह संख्या पिछले बार की जनगणना (3.3 मिलियन) से काफी अधिक है|

अमेरिका में प्रवासन की स्थिति

  • वास्तव में, अमेरिका में प्रवासन की प्रवृत्ति में पिछले कुछ वर्षों में कमी आई है| 
  • वर्ष 1948 के आँकड़ों के अनुसार, उस समय अमेरिका में प्रवासन की वार्षिक दर 20.2% थी| 
  • परन्तु पिछले माह जारी किये गए आँकड़ों से पता चला है कि अमेरिका से होने वाले प्रवासन में निरंतर कमी आई है तथा वर्तमान में इसकी दर 11.2% है| 
  • ब्रूकिंग्स संस्थान द्वारा प्रकाशित फेडरल रिज़र्व बोर्ड के एक अध्ययन में भी यही पाया गया कि अमेरिका के श्रम बाज़ार में वर्ष 1980 की तुलना में 10-15% तक की कमी आई है| 
  • संक्षेप में, इसका तात्पर्य यह है कि अमेरिका की कार्यशील जनसंख्या ने अमेरिका से प्रवास करने की प्रवृत्ति का त्याग कर दिया है|
  • यहाँ प्रश्न यह भी है कि अमेरिका ‘स्थानीय जनसंख्या’ का ही देश (nation of homebodies) क्यों बन रहा है? नोबल पुरस्कार प्राप्तकर्ता एडमंड फेल्प्स यह तर्क देते हैं कि मुख्यतः 2008 की घटना के पश्चात अमेरिकी अपने देश में ही स्थिर हो चुके हैं अथवा उन्होंने पलायन करना कम कर दिया है| 
  • येल लॉ स्कूल के डेविड स्च्लेइचेर इसके लिये सरकार की नीतियों को ज़िम्मेदार मानते हैं जिनके कारण स्थानीय लोगों को देश से बाहर जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है|
  • अन्य विशेषज्ञों ने रोज़गारों की खराब गुणवत्ता (ऐसे रोज़गार जो कुछ वर्षों में समाप्त हो जाएंगे) और दोहरी आय वाले दंपतियों (यदि कोई व्यक्ति अपने साथी के रोज़गार को प्राथमिकता देता है तो ऐसे व्यक्तियों के लिये अकेले बाहर जाना कठिन है) की बढ़ती संख्या को प्रवासन में हुई कमी का कारण माना है| 
  • चूँकि अमेरिकी उन स्थानों पर नहीं जा रहे हैं जहाँ उन्हें रोज़गार के अच्छे विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं| अतः इससे आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी होनी स्वाभाविक है|
  • स्पष्ट है कि पहले की तुलना में अमेरिका में असमानता दर भी बढ़ी है और कई विशेषज्ञ यह तर्क देते हैं कि यहाँ की असमानता दर चीन से भी कही अधिक है|

प्रवासन की समस्या का समाधान

  • यहाँ एक बात बिलकुल स्पष्ट है कि अच्छे रोज़गार और बेहतर जीवन स्तर के लिये लोग अपने देश से अन्य देशों की ओर प्रवास करते है| अतः सभी को एकसमान लाभ प्राप्त हो इसके लिये सरकार को इसका उचित तरीके से प्रबंधनत करना होगा| 
  • शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार से क्षेत्रीय असमानता जैसी समस्या का सामना किया जा सकता है| देश के महानगरों जैसे दिल्ली और मुंबई में भी गुणवत्ता की बजाय क्षमताओं में वृद्धि की ओर ही अधिक ध्यान दिया जाता है| 
  • यह स्मरणीय है कि इसमें व्यक्तिगत प्रवासियों के कल्याण का मुद्दा भी शामिल है|
  • सरकार सभी प्रवासियों के लिये बुनियादी सुरक्षा नेटवर्क तथा वहनीय घर और घर के स्वामित्व को सुनिश्चित कर कई लाभकारी योजनाओं की शुरुआत कर सकती है|
  • वस्तु और श्रम के मुक्त व्यापार से देश के भीतर असमानता को कम करने में सहायता मिलेगी तथा यह धनी और निर्धन के मध्य सेतु का कार्य करेगा| चीन इसका एक अच्छा उदाहरण है क्योंकि चीन में सभी गरीब प्रान्तों को उनके धनी समकक्षों के साथ जोड़  दिया गया है| 

निष्कर्ष 

  • उपरोक्त उपाय शहरीकरण के उन घटकों को भी मज़बूत करेंगे जो कि पहले से ही कार्यरत हैं तथा इन्हें अपनाने से भारत के आर्थिक विकास में भी वृद्धि होगी| 
  • अधिकांशतः यह देखा गया है कि शहरी अर्थव्यवस्थाएँ ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक उत्पादक होती हैं| 
  • भारत के नीति निर्धारक आज भी ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में होने वाले प्रवासन को कम करने पर अधिक बल देते हैं| हालाँकि, यह प्रवासन की नीतियों में अवरोध का एकमात्र उदाहरण है|
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