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सामाजिक न्याय

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2022

  • 11 Oct 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस, कोविड -19, मानसिक स्वास्थ्य के लिये भारतीय पहल, मनोदर्पण, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017

मेन्स के लिये:

मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा

चर्चा में क्यों?

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्तूबर) के अवसर पर लैंसेट ने “एंडिंग स्टिग्मा एंड डीस्क्रिमिनेसन इन मेंटल हेल्थ” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की तथा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक और भेदभाव को समाप्त करने के लिये शख्त कार्रवाई का आह्वान किया।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति की व्यापकता:
    • विश्व स्तर पर लगभग एक अरब लोग मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के साथ रह रहे हैं।
    • 10-19 वर्ष के आयु वर्ग में सात में से एक मानसिक स्थिति से पीड़ित है।
      • ये लोग स्थिति के प्रभाव और कलंक एवं भेदभाव के हानिकारक सामाजिक परिणामों के दोहरे खतरे का अनुभव करते हैं।
    • कोविड -19 महामारी ने दुनिया भर में तत्काल मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को उज़ागर करने में मदद की।
      • महामारी के पहले वर्ष में अवसाद और तनाव के प्रसार में अनुमानित 25% की वृद्धि हुई थी।
  • प्रभाव:
    • मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के साथ रहने वाले 90% लोग कलंक और भेदभाव की वजह से नकारात्मक रूप से प्रभावित महसूस करते हैं।
    • स्टिग्मा "मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले लोगों के सामाजिक बहिष्कार और अक्षमता का कारण बन सकता है, जिससे भेदभाव एवं मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा तक पहुँचने में समस्याएँ, रोज़गार हासिल करने में चुनौतियाँ तथा स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं की संभावना बढ़ जाती है जिससे जल्दी मृत्यु हो सकती है।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • यद्यपि भारत में स्टिग्मा/कलंक में धीरे-धीरे कमी आ रही है, फिर भी यह एक वास्तविक और वर्तमान समस्या बनी हुई है।
    • गंभीर मानसिक विकार के निदान वाली महिलाएँ और उनके परिवार के सदस्यों को अधिक कलंक का सामना करना पड़ता है जो विवाह तथा रोज़गार व सामाजिक समावेशन को रोकता है।
    • भारतीय मीडिया, विशेष रूप से टेलीविज़न धारावाहिकों जैसे दृश्य मीडिया मानसिक बीमारी को नकारात्मक रूप से चित्रित करना जारी रखते हैं।
  • सुझाव:
    • मानसिक स्वास्थ्य के कलंक और भेदभाव को खत्म करने के लिये मिलकर काम करने हेतु सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नियोक्ताओं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता एवं मीडिया संगठनों के साथ-साथ अनुभव वाले लोगों के सक्रिय योगदान के साथ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिये।
    • नियोक्ता को मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले लोगों के लिये शैक्षिक अवसरों, कार्य भागीदारी और काम पर वापसी कार्यक्रमों तक पूर्ण पहुँच को बढ़ावा देना तथा मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की समझ में सुधार के लिये स्कूल पाठ्यक्रम में छात्रों के लिये सत्र आयोजित होने चाहिये।
    • स्टिग्मा को कम करने के प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिये मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के अनुभव वाले लोगों को सशक्त बनाने और उनका समर्थन करने की आवश्यकता है।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस:

  • विषय:
    • विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर वर्ष 10 अक्तूबर को दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूक और शिक्षित करने के लिये मनाया जाता है।
      • पहली बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्तूबर, 1992 को मनाया गया था।
    • इस दिवस की शुरुआत तत्कालीन उप महासचिव रिचर्ड हंटर ने वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की वार्षिक गतिविधि के रूप में की थी।
  • वर्ष 2022 की थीम:
    • वैश्विक स्तर पर सभी के लिये मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता बनाना।

मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदम:

  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम:
    • मानसिक विकारों के भारी दबाव और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिये सरकार वर्ष 1982 से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) चला रही है।
  • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017:
  • किरण हेल्पलाइन:
    • यह प्रारंभिक स्क्रीनिंग, प्राथमिक चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता, संकट प्रबंधन, सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देने आदि के उद्देश्य से मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करता है।
  • मनोदर्पण:
    • मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) (अब शिक्षा मंत्रालय) ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इसे लॉन्च किया। इसका उद्देश्य छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को कोविड-19 के समय में उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिये मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना है।
  • मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य वृद्धि प्रणाली (मानस):
    • वर्ष 2021 में भारत सरकार ने विभिन्न आयु समूहों में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य स्थिति वृद्धि प्रणाली (मानस) मोबाइल एप लॉन्च किया।

आगे की राह

  • भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति सरकार द्वारा सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप और संसाधन आवंटन की मांग करती है। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति कलंक को कम करने के लिये हमें समुदाय/समाज को प्रशिक्षित और संवेदनशील बनाने के उपायों की आवश्यकता है।
  • भारत को मानसिक स्वास्थ्य एवं इसके संबद्ध मुद्दों के बारे में शिक्षित करने और जागरूकता पैदा करने के लिये निरंतर वित्त की आवश्यकता है।
  • स्वच्छ मनसिकता जैसे अभियानों के माध्यम से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिये प्रेरित करना समय की मांग है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. आपके लिये इस उद्धरण का क्या अर्थ है-"हम बाहरी दुनिया में तब तक शांति प्राप्त नहीं कर सकते जब तक कि हम अपने भीतर शांति प्राप्त नहीं करते।" - दलाई लामा (2021)

स्रोत: द हिंदू

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