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जैव विविधता और पर्यावरण

एशिया में जल सुरक्षा

  • 02 Jul 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जल संसाधन, वर्षा संचयन।

मेन्स के लिये:

जल सुरक्षा की चुनौतियाँ और इससे निपटने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के वैज्ञानिकों के निष्कर्ष बताते हैं कि दिल्ली सहित एशियाई शहरों में शहरी जल सुरक्षा में गिरावट आई है।

  • टोक्यो, शंघाई और दिल्ली जैसे वैश्विक मेगा शहर नई एशियाई सदी के उदय के प्रतीक हैं क्योंकि वे दुनिया के तीन सबसे बड़े शहर और आर्थिक विकास के इंजन हैं, जो अपने निवासियों एवं विश्व के लिये अरबों की आर्थिक गतिविधियों का संचालन करते हैं।
  • लेकिन उनकी एक गंभीर समस्या है, यानी प्रति व्यक्ति उनकी दैनिक ज़रूरतों के लिये पर्याप्त ताज़ा जल उपलब्ध नहीं है।

Water-Security

चुनौतियाँ:

  • मीठे जल की मात्रा:
    • एशिया में मीठे जल की उपलब्धता विश्व स्तर पर उपलब्ध मीठे जल की तुलना में आधा है।
  • जल की कम दक्षता:
    • कृषि उत्पादन में जल की तुलनात्मक रूप से बड़ी मात्रा का उपयोग होने के बावजूद (जल की दक्षता भी दुनिया में सबसे कम है) जल की दक्षता कम होने से फसल की पैदावार कम होती है।
  • शहरी प्रदूषण:
    • कई बड़े शहरों में पानी की समस्या आम है, इसका कारण पर्यावरण का ह्रास, जनसंख्या और आर्थिक विकास के लिये औद्योगिक गतिविधियाँ और जल निकायों में औद्योगिक अपशिष्ट का निर्वहन है।
    • सिर्फ मौज़ूदा जल संसाधन बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर सकते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे और बाढ़ जैसी चरम मौसमी घटनाएंँ अधिक देखी जा रही हैं, जो समस्या को बढ़ाती हैं।
  • उदाहरण:
  • बैंकॉक, थाईलैंड में अति-दोहन ने भूजल स्तर को गंभीर रूप से कम कर दिया है।
    • घरेलू सीवेज के सीधे नालों और नहरों में छोड़े जाने से शहर के आसपास के जल स्रोत भी प्रदूषित हो जाते हैं।
    • इसी तरह बैंकॉक की अपर्याप्त जल निकासी क्षमता और चाओ फ्राया नदी के बाढ़ के मैदानों में इसकी स्थिति इसे बाढ़ के लिये अतिसंवेदनशील बनाती है।
  • हनोई, वियतनाम सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के मामले में सबसे तेज़ी से बढ़ते शहरों में से है, जो देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद में 19% से अधिक का योगदान देता है।
    • इस वृद्धि के परिणाम आवासीय और औद्योगिक क्षेत्रों से अपशिष्ट जल के कारण इसकी प्रदूषित झीलों और नदियों में सीधे महसूस किये जाते हैं।
  • जॉर्डन में मदाबा जल की कमी वाला शहर है:
    • हालांँकि शहर की 98% आबादी की पानी तक पहुंँच है, लेकिन अनुचित जल आपूर्ति के कारण निवासियों को अक्सर अपनी ज़रूरतों को पूरा करने हेतु बड़े टैंक या निजी जल विक्रेताओं जैसे भंडारण के वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भर होने के लिये मजबूर होना पड़ता है।

सुझाव:

  • नीति हस्तक्षेप:
    • एकीकृत शहरी जल सुरक्षा मूल्यांकन ढांँचे की तरह व्यावहारिक हस्तक्षेप मददगार साबित हो सकते हैं। इसका उपयोग किसी शहर की शहरी जल सुरक्षा के पूर्ण स्पेक्ट्रम का आकलन करने हेतु किया जा सकता है जो कि ड्राइविंग फोर्स (Driving Forces) जो कि इसे प्रभावित कर सकते हैं, पर विचार कर सकता है।
  • विकसित प्रौद्योगिकी:
    • थाईलैंड के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Asian Institute of Technology- AIT) के शोधकर्त्ताओं ने वैटसैट विकसित किया है, जो एक वेब-आधारित जल सुरक्षा मूल्यांकन उपकरण है, यह शहरी जल सुरक्षा के पांँच (जल आपूर्ति, स्वच्छता, जल उत्पादकता, जल पर्यावरण और जल शासन) अलग-अलग पहलुओं को मापकर शहरों की स्थिति का मूल्यांकन कर सकता है।
  • स्थानीय समाधान:
    • जल प्रबंधन के नए तरीकों को अपनाने वाले शहर अपनी आबादी की आजीविका में सुधार कर निरंतर विकास का समर्थन कर सकते हैं। उदाहरण के लिये बैंकॉक ने अपशिष्ट जल को सार्वजनिक जल स्रोतों में छोड़ने से पहले घरेलू स्तर पर अपशिष्ट जल के उपचार को शामिल करने हेतु जल प्रबंधन के लिये प्रोत्साहनों को अपनाया है।
      • बैंकॉक विज़न 2032 के एक हिस्से के रूप में यह कार्यक्रम नहरों में पानी के रासायनिक गुणों की निगरानी भी करेगा और बीमारियों को रोकने तथा पर्यावरण की सुरक्षा के लिये स्वच्छता में सुधार करेगा।
  • जॉर्डन की जल कार्ययोजना में जल आपूर्ति के पूरक के रूप वर्षा जल संचयन या अपशिष्ट जल उपचार जैसे विकेन्द्रीकृत बुनियादी ढाँचे का निर्माण शामिल है। इसका उद्देश्य मीठे पानी के बजाय उपचारित अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग हेतु व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के लिये वित्तीय या कर प्रोत्साहन द्वारा दक्षता का प्रबंधन करना है।
  • योजना और कार्यान्वयन:
    • लीकेज पाइप के कारण पानी की आपूर्ति के नुकसान को रोकने के लिये योजनाओं की तत्काल आवश्यकता है जिससे उत्पादकता भी बढ़ेगी।
    • इनमें जल शुल्क के माध्यम से वित्तीय स्थिरता बढ़ाना, नए मीटरिंग उपकरण स्थापित करना, पानी की पाइपलाइनों में अनधिकृत उपयोग का पता लगाने का प्रयास करना और निगरानी प्रणालियों का उपयोग करना शामिल है।
    • रणनीति में बेहतर सुधार के लिये जंगलों, दलदलों और नदियों जैसे महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों की मरम्मत हेतु पानी का आवंटन भी शामिल है, जो इस बात का एक और उदाहरण है कि प्रकृति-आधारित समाधान कैसी भूमिका निभाते हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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