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विशिष्ट भूमि पहचान संख्या

  • 03 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्र की योजना एक वर्ष के भीतर देश के प्रत्येक भूखंड हेतु 14 अंकों की ‘विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या’ (Unique Land Parcel Identification Number) जारी करने की है।

  • वर्ष 2021 में ‘विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या’ (Unique Land Parcel Identification Number- ULPIN) योजना को 10 राज्यों में शुरू किया गया है जिसे मार्च 2022 तक संपूर्ण देश में लागू किया जाना है। 

प्रमुख बिंदु:

ULPIN के बारे में:

  • ULPIN को  ‘भूमि की आधार संख्या’ के रूप में वर्णित किया जाता है। यह एक ऐसी संख्या है जो भूमि के उस प्रत्येक खंड की पहचान करेगी जिसका सर्वेक्षण हो चुका है,  विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, जहाँ सामान्यतः भूमि-अभिलेख काफी पुराने एवं  विवादित होते हैं। इससे भूमि संबंधी धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।
  • इसके तहत भूखंड की पहचान, उसके देशांतर और अक्षांश के आधार पर की जाएगी जो विस्तृत सर्वेक्षण और संदर्भित भू संपत्ति-मानचित्रीकरण पर निर्भर होगी।
  • यह वर्ष 2008 में शुरू हुए डिजिटल इंडिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (Digital India Land Records Modernisation Programme- DILRMP) का अगला चरण है।
  • ULPIN के माध्यम से उचित भूमि सांख्यिकी (Land Statistics) और भूमि लेखांकन ( Land Accounting) के कार्यों को संपन्न किया जा सकता है जो भूमि विकास बैंकों को विकसित करने में सहायक होगा तथा एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (Integrated Land Information Management System- ILIMS) की ओर ले जाने में मदद करेगा।

लाभ:

  • ULPIN द्वारा सभी प्रकार के लेन-देन में विशिष्टता सुनिश्चित की जा सकती है और भूमि रिकॉर्ड को समय-समय पर अद्यतन किया जा सकता है।
  • इससे संपत्ति के लेन-देन में एक कड़ी या तारतम्यता स्थापित की  जा सकेगी।
  • सिंगल विंडो (Single Window) के माध्यम से भूमि रिकॉर्ड से संबंधित नागरिक सेवाओं का वितरण हो सकेगा। 
  • भूमि रिकॉर्ड डेटा को विभागों, वित्तीय संस्थानों और सभी हितधारकों के साथ साझा किया जा सकेगा।

डिजिटल इंडिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम:

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे 950 करोड़ रुपए की कुल लागत के साथ वर्ष 2020-21 तक बढ़ा दिया गया है।
  • भूमि संसाधन विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय) ने अपने मूल लक्ष्यों को पूरा करने सहित नई योजनाओं की एक शृंखला के साथ अपने दायरे को बढ़ाने हेतु ULPIN का विस्तार वर्ष 2023-24 तक किये जाने  का प्रस्ताव दिया है।
  • ULPIN, एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (Integrated Land Information Management System- ILIMS) के विकास हेतु विभिन्न राज्यों में भूमि रिकॉर्ड्स के क्षेत्र में मौजूद समानता पर आधारित होगा,  जिसमें अलग-अलग राज्य अपनी विशिष्ट ज़रूरतों के अनुसार, प्रासंगिक और उचित चीज़ों को जोड़ सकेंगे।
    • एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली: इस प्रणाली में भूखंड का स्वामित्व, भूमि उपयोग, कराधान, स्थान सीमा, भूमि मूल्य, ऋण भार और कई अन्य जानकारियाँ शामिल होंगी।
  • इस कार्यक्रम के तहत कुछ नई पहलें भी शामिल की गई हैं जैसे- नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम ( National Generic Document Registration System- NGDRS), ULPIN, राजस्व न्यायालय को भू-अभिलेखों से जोड़ना तथा सहमति के आधर पर भू-अभिलेखों को आधार नंबर के साथ एकीकरण करना आदि। 
    • NGDRS: इसका उद्देश्य नागरिकों को सशक्त ’बनाने हेतु दस्तावेज़ों और संपत्तियों के पंजीकरण के लिये ‘एक राष्ट्र एक सॉफ्टवेयर’ (One Nation One Software) सुविधा प्रदान करना है।
  • DILRMP के अगले चरण में बैंकों के साथ भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस (Land Record Databases) को लिंक किया जाएगा।
  • यह देश के नागरिकों तक सेवाओं की पहुँच में वृद्धि करेगा तथा कृषि, वित्त, आपदा प्रबंधन आदि अन्य क्षेत्रों से संबंधित योजनाओं के इनपुट के रूप में भी कार्य करेगा।

स्रोत: द हिंदू

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