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भारतीय अर्थव्यवस्था

उभरते सितारे अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड

  • 23 Aug 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

उभरते सितारे अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड, वैकल्पिक निवेश कोष, ग्रीन-शू ऑप्शन

मेन्स के लिये:

MSME क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की अन्य पहलें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने निर्यात-उन्मुख सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) को ऋण और इक्विटी फंडिंग की सुविधा के लिये 'उभरते सितारे' वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) लॉन्च किया है।

  • इस फंड से संभावित लाभ वाले उन भारतीय उद्यमों को चिह्नित करने की उम्मीद है, जो वर्तमान में खराब प्रदर्शन कर रहे हैं या विकास की अपनी छिपी क्षमता का दोहन करने में असमर्थ हैं।

वैकल्पिक निवेश कोष

  • निवेश के पारंपरिक रूपों के विकल्प को वैकल्पिक निवेश के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • भारत में AIFs को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 के विनियम 2(1)(बी) में परिभाषित किया गया है।
  • यह किसी ट्रस्ट या कंपनी या निकाय, कॉर्पोरेट या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) के तौर पर किसी भी निजी रूप से जमा किये गए निवेश फंड (चाहे भारतीय या विदेशी स्रोतों से) को संदर्भित करता है, जो वर्तमान में सेबी के किसी भी विनियमन द्वारा कवर नहीं किया गया है। इस प्रकार AIF की परिभाषा में वेंचर कैपिटल फंड, हेज फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड, कमोडिटी फंड, डेट फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड आदि शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु:

संदर्भ:

  • इस योजना के तहत चिह्नित एक ऐसी कंपनी को सहायता प्रदान की जाती है, जो भले ही वर्तमान में खराब प्रदर्शन कर रही हो या विकास हेतु अपनी छिपी क्षमता का दोहन करने में असमर्थ हो।
  • यह योजना ऐसी चुनौतियों का निदान करती है और इक्विटी, ऋण तथा तकनीकी सहायता को कवर करते हुए संरचित समर्थन के माध्यम से सहायता प्रदान करती है। इसमें 250 करोड़ रुपए का ग्रीन-शू ऑप्शन भी होगा।
    • ग्रीन-शू विकल्प एक अति-आवंटन विकल्प है, यह एक ऐसा शब्द है जो आमतौर पर एक शेयर की पेशकश में विशेष व्यवस्था का वर्णन करने के लिये उपयोग किया जाता है, उदाहरण के लिये एक इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) जो अपनी पूंजी को जोखिम में डाले बिना, निवेश करने वाले बैंक को पेशकश के बाद शेयर की कीमत का समर्थन करने में सक्षम बनाएगा।
  • फंड की स्थापना एक्ज़िम बैंक और सिडबी (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक) द्वारा संयुक्त रूप से की गई है, जो विनिर्माण एवं सेवा दोनों क्षेत्रों में निर्यात-उन्मुख इकाइयों में इक्विटी व इक्विटी जैसे उत्पादों के माध्यम से फंड में निवेश करेगा।

कंपनियों के चयन के लिये मानदंड:

  • अद्वितीय मूल्य:
    • वैश्विक आवश्यकताओं से मेल खाने वाली प्रौद्योगिकी, उत्पादों या प्रक्रियाओं में उनके अद्वितीय मूल्य प्रस्ताव के आधार पर समर्थन के लिये कंपनियों का चयन किया जाएगा।
  • वित्तीय सामर्थ्य:
    • स्वीकार्य वित्तीय और बाहरी अभिविन्यास वाली मौलिक रूप से मज़बूत कंपनियाँ; वैश्विक बाज़ारों में प्रवेश करने की क्षमता वाली छोटी और लगभग 500 करोड़ रुपए वार्षिक कारोबार के साथ मध्यम आकार की कंपनियाँ।
  •  व्यापार मॉडल:
    • एक अच्छा व्यवसाय मॉडल, जो मज़बूत प्रबंधन क्षमता वाली कंपनियों और उत्पाद की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

सहायता

  • पात्र कंपनियों को इक्विटी/इक्विटी जैसे इंस्ट्रूमेंट, आधुनिकीकरण के लिये सावधि ऋण, प्रौद्योगिकी या क्षमता उन्नयन के माध्यम से वित्तीय तथा सलाहकार सेवाओं द्वारा समर्थन के साथ ही उत्पाद अनुकूलन, बाज़ार विकास गतिविधियों और व्यवहार्यता अध्ययन के लिये तकनीकी सहायता प्रदान की जा सकती है।

उद्देश्य:

  • वित्त और व्यापक सहयोग के माध्यम से चुनिंदा क्षेत्रों में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना।
  • विभेदित प्रौद्योगिकी, उत्पादों या प्रक्रियाओं वाली कंपनियों की पहचान करना और उनका पोषण करना तथा उनके निर्यात व्यवसाय को बढ़ाना; निर्यात क्षमता वाली ऐसी इकाइयों की सहायता करना, जो वित्त के अभाव में अपने परिचालन को बढ़ाने में असमर्थ हैं।
  • सफल कंपनियों के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान कर और उनका समाधान करना जो उनके निर्यात में बाधा डालती हैं।
  • एक रणनीतिक और संरचित निर्यात बाज़ार विकास पहल के माध्यम से मौजूदा निर्यातकों को अपने उत्पादों की टोकरी को विस्तारित करने तथा नए बाज़ारों को लक्षित करने में सहायता करना।

MSME क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये अन्य पहलें

  • प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP):
    • यह नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना और देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिये एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है।
  • पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिये निधि की योजना (SFURTI):
    • इसका उद्देश्य कारीगरों और पारंपरिक उद्योगों को समूहों में व्यवस्थित करना तथा उन्हें वर्तमान के बाज़ार परिदृश्य में प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा हेतु एक योजना (ASPIRE):
      • यह योजना 'कृषि आधारित उद्योग में स्टार्टअप के लिये फंड ऑफ फंड्स', ग्रामीण आजीविका बिज़नेस इनक्यूबेटर (LBI), प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर (TBI) के माध्यम से नवाचार और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
  • MSME को वृद्धिशील ऋण प्रदान करने के लिये ब्याज सबवेंशन योजना: 
    • यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू की गई थी, जिसमें सभी कानूनी MSMEs को उनकी वैधता की अवधि के दौरान उनके बकाया, वर्तमान/वृद्धिशील सावधि ऋण/कार्यशील पूंजी पर 2% तक की राहत प्रदान की जाती है।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी योजना: 
    • ऋण की आसान उपलब्धता की सुविधा के लिये शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत MSMEs को दिये गए संपार्श्विक मुक्त ऋण हेतु गारंटी कवर प्रदान किया जाता है।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP): 
    • इसका उद्देश्य MSEs की उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता के साथ-साथ क्षमता निर्माण को बढ़ाना है।
  • क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन स्कीम (CLCS-TUS): 
    • इसका उद्देश्य संयंत्र और मशीनरी की खरीद के लिये 15% पूंजी सब्सिडी प्रदान करके सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) को प्रौद्योगिकी उन्नयन की सुविधा प्रदान करना है।
  • CHAMPIONS पोर्टल: 
    • इसका उद्देश्य भारतीय MSMEs की शिकायतों को हल करके उन्हें प्रोत्साहन, समर्थन प्रदान कर राष्ट्रीय और वैश्विक चैंपियन के रूप में स्थापित होने में सहायता करना है।

स्रोत: द हिंदू

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