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भारतीय अर्थव्यवस्था

निर्यात हेतु व्यापार अवसंरचना योजना

  • 17 Mar 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

निर्यात हेतु व्यापार अवसंरचना योजना (TIES), पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान (NMP), शुल्क वापसी योजना, रूस-यूक्रेन युद्ध, आपूर्ति शृंखला का रणनीतिक प्रयोग, विशेष आर्थिक क्षेत्र।

मेन्स के लिये:

निर्यात को बढ़ावा देने के लिये प्रमुख सरकारी पहल, भारतीय निर्यात में वृद्धि से संबंधित चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों? 

भारत सरकार के वाणिज्य विभाग ने उचित बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर निर्यात को बढ़ावा देने के लिये निर्यात हेतु व्यापार अवसंरचना योजना (Trade Infrastructure for Export Scheme- TIES) लागू की है।

निर्यात को बढ़ावा देने हेतु प्रमुख सरकारी पहलें:  

  • TIES योजना:  
    • TIES योजना केंद्र/राज्य सरकार के स्वामित्त्व वाली एजेंसियों या उनके संयुक्त उद्यमों को महत्त्वपूर्ण निर्यात संबंधी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं हेतु सहायता अनुदान प्रदान करती है।
      • बुनियादी ढाँचे में बॉर्डर हाट, भूमि सीमा शुल्क स्टेशन, गुणवत्ता परीक्षण और प्रमाणन प्रयोगशालाएँ, कोल्ड चेन, व्यापार संवर्द्धन केंद्र, निर्यात भंडारण एवं पैकेजिंग, विशेष आर्थिक क्षेत्र व बंदरगाह/हवाई अड्डे कार्गो टर्मिनस शामिल हैं।
  • PM गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान (NMP): 
    • PM गति शक्ति NMP एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो देश में बुनियादी ढाँचे से संबंधित भू-स्थानिक डेटा को एकीकृत करता है और सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की योजनाओं का प्रारूप तैयार करता है।
      • यह डिजिटल प्रणाली देश में रसद लागत को कम करने और आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करने के उद्देश्य से बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के समकालिक कार्यान्वयन के लिये डेटा-आधारित निर्णय लेने में मदद करती है। 
  • शुल्क वापसी योजना: 
    • शुल्क वापसी योजना आयातित इनपुट पर सीमा शुल्क और निर्यातित वस्तुओं के विनिर्माण में उपयोग किये जाने वाले घरेलू इनपुट पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में छूट देती है।  
      • यह योजना सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के प्रावधानों के साथ-साथ सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क वापसी नियम, 2017 के अनुसार संचालित की जाती है है।

भारतीय निर्यात वृद्धि से संबंधित चुनौतियाँ: 

  • बढ़ता संरक्षणवाद और विवैश्वीकरण: विश्व भर के देश बाधित वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था रूस-यूक्रेन युद्ध और आपूर्ति शृंखला के रणनीतिक प्रयोग के कारण संरक्षणवादी व्यापार नीतियों की ओर बढ़ रहे हैं, इससे भारत की निर्यात क्षमता काफी प्रभावित हो रही है।
  • बुनियादी ढाँचे की कमी: भारत में विनिर्माण केंद्रों की अत्यधिक कमी है, विकसित देशों की तुलना में इंटरनेट सुविधाएँ और महँगा परिवहन उद्योगों के लिये एक बड़ी समस्या है।
    • चीन के अपने सकल घरेलू उत्पाद के 20% की तुलना में भारत प्रतिवर्ष अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 4.3% बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये उपयोग करता है। अवसंरचना क्षेत्र के लिये वर्ष 2023-24 के बजट में 10 लाख करोड़ रुपए (GDP का 3.3%) आवंटित किये गए थे, जो वर्ष 2019 से तीन गुना अधिक है।
    • दूसरी चुनौती निर्बाध विद्युत आपूर्ति की है।
  • अनुसंधान एवं विकास पर कम खर्च के कारण नवाचार में कमी: वर्तमान में भारत सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7% अनुसंधान और विकास कार्यों पर खर्च करता है। यह विनिर्माण क्षेत्र के विकसित होने, नवाचार करने और वृद्धि में बाधा उत्पन्न करता है।

आगे की राह

  • अवसंरचनात्मक अंतराल को भरना: मज़बूत बुनियादी ढाँचा नेटवर्क- गोदामों, बंदरगाहों, परीक्षण प्रयोगशालाओं, प्रमाणन केंद्रों आदि से भारतीय निर्यातकों को वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा करने में मदद मिलेगी।
    • इसे आधुनिक व्यापार पद्धतियों को अपनाने की भी आवश्यकता है जिन्हें निर्यात प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के माध्यम से लागू किया जा सकता है। इससे समय और लागत दोनों की बचत होगी।
  • संयुक्त विकास कार्यक्रमों की खोज: वैश्वीकरण की लहर और धीमी वृद्धि के बीच निर्यात विकास का एकमात्र साधन नहीं हो सकता है।
    • भारत को मध्यम अवधि की बेहतर संभावनाओं के लिये अन्य देशों के साथ अंतरिक्ष, अर्द्धचालक एवं सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में संयुक्त विकास कार्यक्रमों में साझेदारी करनी होगी।
  • MSME सेक्टर को आगे बढ़ाना: वर्तमान में MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) देश के सकल घरेलू उत्पाद में एक-तिहाई का योगदान करते हैं, निर्यात का 48% हिस्सा, इन्हें महत्त्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्यों को प्राप्त करने में अग्रणी बनाता है।
    • भारत के लिये आवश्यक है कि वह विशेष आर्थिक क्षेत्रों को MSME क्षेत्र से जोड़े और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित करे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न 1. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP की वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची दर का संकेत नहीं करती यदि: (2018) 

(a) औद्यौगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रहता है। 
(b) कृषि उत्पादन औद्यौगिक उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रहता है। 
(c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है। 
(d) निर्यातों की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ते हैं। 

उत्तर: (c)


प्रश्न 2. फरवरी 2006 से प्रभावी हुआ SEZ एक्ट, 2005 के कुछ उद्देश्य हैं। इस संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये:

  1. अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) सुविधाओं का विकास
  2. विदेशी स्रोतों से निवेश को प्रोत्साहन 
  3. केवल सेवा क्षेत्र में निर्यात को प्रोत्साहन  

 उपर्युक्त में से कौन-सा/से एक्ट का/के उद्देश्य है/हैं?

केवल 1 और 2
केवल 3
केवल 2 और 3
1, 2 और 3

उत्तर: (a) 


प्रश्न 3. "बंद अर्थव्यवस्था" वह अर्थव्यवस्था है जिसमें: (2011) 

(a) मुद्रा पूर्णतः नियंत्रित होती है  
(b) घाटे की वित्त व्यवस्था होती है  
(c) केवल निर्यात होता है  
(d) न तो निर्यात होता है, न ही आयात होता है  

उत्तर: (d) 

 स्रोत: पी.आई.बी.

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