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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

समस्या बन गया है रोज़गार के मुद्दे का समाधान

  • 17 May 2017
  • 2 min read

संदर्भ
वर्तमान में भारत के समक्ष रोज़गार से जुड़ी कई जटिल चुनौतियाँ विद्यमान हैं क्योंकि ऐसे क्षेत्र (जैसे- सूचना प्रौद्योगिकी, निर्माण और कृषि) जिन्होंने विगत वर्षों में देश में रोज़गारों का सृजन करने में योगदान किया है, अब चिंता का विषय बने हुए हैं|

प्रमुख बिंदु

  • वस्तुतः पर्याप्त संख्या में रोज़गारों का सृजन करने के लिये 8 से 10% आर्थिक वृद्धि की आवश्यकता होगी| 
  • मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार, रोज़गार सृजन की दिशा में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र (जिसे भारत का गतिशील क्षेत्र माना जाता था) एक बड़ी समस्या बन चुका है|
  • वस्तुतः आर्थिक विकास के लिये रोज़गार एक महत्त्वपूर्ण विषय है अतः सरकार इस पर अधिक ध्यान केन्द्रित करती है तथा इसे गंभीरतापूर्वक लेती है| परन्तु इसका पता लगा पाना मुश्किल है कि किसी क्षेत्र में रोज़गार से संबंधित समस्या उत्पन्न हो चुकी है| 
  • इसके लिये सरकार को सर्वप्रथम अर्थव्यवस्था की विकास दर को 5 से 10% तक लाना होगा क्योंकि यदि गतिशीलता आएगी तो रोज़गारों का सृजन होगा| वास्तव में यह महत्त्वपूर्ण भी है क्योंकि जब तक आर्थिक वृद्धि दर 3 से 4% के मध्य रहेगी तब तक रोज़गारों का सृजन नहीं किया जा सकता| इसके लिये भवन अवसंरचना में निवेश, निजी निवेशों के नवीकरण और बैंकिंग क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की आवश्यकता होगी|
  • भारत में वर्ष 2000 आर्थिक विकास का समय था जिससे आर्थिक विकास के तीनों क्षेत्रों में रोज़गारों का सृजन हुआ और इन क्षेत्रों ने काफी अच्छा प्रदर्शन भी किया| इन क्षेत्रों में कृषि, निर्माण और आईटी क्षेत्र शामिल हैं| वर्तमान में ये तीनों क्षेत्र चिंता का विषय बन चुके हैं| अब, भारत को निर्माण, कृषि और आईटी क्षेत्र में कार्य करना होगा|
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