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भारतीय अर्थव्यवस्था

शेल तेल

  • 19 Nov 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

शेल तेल, जीवाश्म ईंधन

मेन्स के लिये:

पारंपरिक और अपरंपरागत संसाधनों का महत्त्व एवं भारत में शेल तेल की संभावनाएँ

चर्चा में क्यों?

केयर्न इंडिया पश्चिमी राजस्थान के ‘लोअर बाड़मेर हिल फॉर्मेशन’ में शेल अन्वेषण शुरू करने के लिये अमेरिका स्थित हॉलिबर्टन के साथ साझेदारी करेगी।

Sahle-Gas

प्रमुख बिंदु:

  • शेल तेल और गैस:
    • शेल तेल: शेल तेल और पारंपरिक कच्चे तेल के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर यह है कि यह छोटे बैचों में और पारंपरिक कच्चे तेल की तुलना में गहराई में पाया जाता है।
    • शेल गैस: पारगम्य चट्टानों से आसानी से निकाले जा सकने वाले पारंपरिक हाइड्रोकार्बन के विपरीत, शेल गैस कम पारगम्य चट्टानों के नीचे पाई जाती है।
    • निष्कर्षण प्रक्रिया: निष्कर्षण के लिये हाइड्रोलिक फ्रैकिंग/फ्रैक्चरिंग प्रक्रिया के माध्यम से हाइड्रोकार्बन को मुक्त करने हेतु तेल और गैस समृद्ध शेल में फ्रैक्चर के निर्माण की आवश्यकता होती है।
      • इसे कम पारगम्य चट्टानों को तोड़ने और शेल गैस के भंडार तक पहुँचने के लिये 'दबावयुक्त जल, रसायन एवं रेत' (शेल द्रव) के मिश्रण की आवश्यकता होती है।
    • शीर्ष उत्पादक: रूस और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े शेल तेल उत्पादकों में से हैं, अमेरिका में शेल तेल उत्पादन में वृद्धि ने 2019 में देश को कच्चे तेल के आयातक से शुद्ध निर्यातक में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • संबद्ध चिंताएँ: शेल तेल और गैस की खोज के लिये पर्यावरणीय चिंताओं के अलावा अन्य कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे- फ्रैकिंग के लिये पानी की अति आवश्यकता और भूजल संदूषण की संभावना।
      • शेल चट्टानें आमतौर पर एक्विफर' (ऐसी चट्टानें जिनमें उपयोग योग्य जल/ पीने का पानी पाया जाता है) चट्टानों के समीप पाई जाती हैं।
      • ‘फ्रैकिंग’ करते समय शेल द्रव संभवतः जलभृतों में प्रवेश कर सकता है, इससे पीने और सिंचाई के प्रयोजनों के लिये उपयोग किये जाने वाले भूजल में मीथेन विषाक्तता हो सकती है।

पारंपरिक और अपरंपरागत संसाधन

  • पारंपरिक तेल या गैस ऐसी संरचनाओं से प्राप्त होता है, जिनसे उत्पाद निकालना अपेक्षाकृत आसान होता है।
    • भूवैज्ञानिक संरचनाओं से जीवाश्म ईंधन ऐसे मानक तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है, जिनका उपयोग ईंधन को भंडार से निकालने के लिये किया जाता है।
    • पारंपरिक संसाधनों का उत्पादन आसान और कम खर्चीला होता है, क्योंकि उन्हें किसी विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है और इसके लिये सामान्य तरीकों का उपयोग किया जा सकता है।
  • अपरंपरागत तेल या गैस संसाधनों को निकालना अधिक कठिन होता है।
    • इनमें से कुछ संसाधन जलाशयों में खराब पारगम्यता और सरंध्रता के साथ फँस जाते हैं, जिसका अर्थ है कि तेल या प्राकृतिक गैस को छिद्रों के माध्यम से और एक मानक कुएँ में प्रवाहित करना बेहद मुश्किल या असंभव कार्य है।
    • इन जलाशयों से उत्पादन प्राप्त करने में सक्षम होने के लिये विशेष तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
  • भारत में शेल तेल की खोज की संभावनाएँ:
    • वर्तमान में भारत में ‘शेल तेल’ और गैस का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन नहीं होता है।
    • सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी- ओएनजीसी ने वर्ष 2013 में गुजरात में ‘कैम्बे बेसिन’ और आंध्र प्रदेश में कृष्णा गोदावरी बेसिन में शेल तेल की संभावनाएँ तलाशी थीं।
    • हालाँकि यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इन घाटियों में देखे गए तेल प्रवाह की मात्रा ‘व्यावसायिकता’ का संकेत नहीं देती है और भारतीय शेल्स की सामान्य विशेषताएँ उत्तरी अमेरिका में पाए गए शेल से काफी अलग हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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